बाबा सखी शाह सुल्तान का मेला एक मार्च से, तैयारी शुरू
बाबा सखी शाह सुल्तान का मेला एक मार्च से तैयारी शुरू।
संवाद सहयोगी, सुल्तानपुर लोधी : ऐतिहासिक नगरी सुल्तानपुर लोधी की धरती पर पीरों, फकीरों, ऋषि-मुनियों, व संतों ने जन्म लेकर पवित्रता प्रदान की है। ऐसी ही महान विभूतियों में बाबा सखी शाह सुल्तान भी शामिल है। मोहल्ला शाह सुल्तान स्थित पावन स्थान पर श्रद्धालु नतमस्तक होते हैं। मोहल्ला शाह सुल्तान में हर वर्ष मेला लगता है जिसमें श्रद्धालु ढोलक की थाप पर नाचते और बाबा की महिमा का गुणगान करते हुए शामिल होते हैं। प्रबंधक कमेटी के प्रधान राजपाल पुंज बताते हैं कि इस वर्ष इस पावन स्थान पर तीन दिवसीय वार्षिक जोड़ मेला एक से तीन मार्च तक लगेगा। मेले की तैयारियां शुरू हो गई है।
कौन थे बाबा सखी शाह सुल्तान
मुगल काल में सुल्तानपुर लोधी के ऊंचे सैयद खानदान के बुजुर्ग थे शाह सुल्तान। बताया जाता है कि वह अविवाहित रहे। बाबा शाह सुल्तान फकीर के रब को मानने वाले थे और हर समय जनसेवा को समर्पित रहते थे। इलाके के सभी हिदू, सिख व मुसलमान उनका सम्मान करते थे। मान्यता है कि शाह सुल्तान बहुत कम बोलते थे और यदि कुछ फरमा देते थे तो वह सत्य हो जाता था। शाह सुल्तान की बहन भी थी जिसे सभी बीबी जी कह कर पुकारते थे । बीबीजी अपने फरिश्ता सीरत भाई की खूब खिदमत (सेवा) करती थी और उन्हें औलिया होने का दावा करती थी। अपनी जिदगी का एक भी पल व्यर्थ नहीं गंवाना चाहती थी। उसने भी शादी नहीं करवाई। बताया जाता है कि शाह सुल्तान जब रब को प्यारे हो गए तो कुछ समय के पश्चात उनकी बहन भी इस दुनिया को अलविदा कह गई । दोनों ही भाई-बहन की कब्र इसी पावन मुकाम पर मौजूद हैं। बताते हैं कि बीबी जी की कब्र पर नहीं डाली जा सकती ।