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टाहली साहब से चल कर नगर कीर्तन पहुंचा बाबे नानक की नगरी

सुलतानपुर लोधी श्री गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व को समर्पित तीसरा नगर कीर्तन गुरुद्वारा टाहली साहिब बलेरखानपुर से चल कर अलग -अलग स्थानों से होता हुआ बाबे नानक की नगरी सुलतानपुर लोधी पहुंचा।

By JagranEdited By: Published: Mon, 21 Oct 2019 07:12 PM (IST)Updated: Mon, 21 Oct 2019 07:12 PM (IST)
टाहली साहब से चल कर नगर कीर्तन पहुंचा बाबे नानक की नगरी
टाहली साहब से चल कर नगर कीर्तन पहुंचा बाबे नानक की नगरी

संवाद सहयोगी, सुलतानपुर लोधी : श्री गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व को समर्पित तीसरा नगर कीर्तन गुरुद्वारा टाहली साहिब बलेरखानपुर से चल कर अलग -अलग स्थानों से होता हुआ बाबे नानक की नगरी सुलतानपुर लोधी पहुंचा। नगर कीर्तन में शामिल संगतों ने चार पातशाहियों के धार्मिक अस्थानों के दर्शन किए। यह पहला ऐसा नगर कीर्तन है जो एक ही समय चार पातशाहियों के धार्मिक स्थानों से होकर गुजरा है।

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पहली पातशाही श्री गुरु नानक देव जी के स्थान सुलतानपुर लोधी पहुंचने वाला यह नगर कीर्तन छठी पातशाही श्री हरगोबिंद साहिब जी के ऐतिहासिक स्थान गुरुद्वारा टाहली साहब से शुरू हुआ था। इसके बाद सातवीं पातशाही श्री गुरु हरि राय साहिब जी के स्थान गुरुद्वारा सैदराना साहिब से होता हुआ पांचवी पातशाही श्री गुरु अर्जुन देव जी के स्थान डल्ला साहिब पहुंचा। यहां से यह नगर कीर्तन पहली बादशाही श्री गुरु नानक देव जी के स्थान से होता हुआ सुलतानपुर लोधी पहुंचा और पवित्र काली बेई के किनारे होता हुआ निर्मल कुटिया सुलतानपुर लोधी में संपन्न हुआ।

सोमवार प्रात:काल श्री गुरु ग्रंथ साहब जी की छत्रछाया में पांच प्यारों के नेतृत्व में बोले सो निहाल के जयकारों से नगर कीर्तन गुरुद्वारा टाहली साहिब से चला। छठी पातशाही श्री गुरु हरगोबिंद साहिब जी की चरनछोह प्राप्त गुरुद्वारा टाहली साहिब के मुख्य सेवक संत दया सिंह जी की तरफ से नगर कीर्तन में शामिल धार्मिक शख्सियतों, संत बलबीर सिंह सीचेवाल, संत लीडर सिंह, संत अमरीक सिंह, संत गुरमेज सिंह, संत बलदेव कृष्ण सिंह, महात्मा मुनि और अन्य नेताओं को सिरोपा पहनाकर सम्मानित किया। नगर कीर्तन के आगे-आगे गतका के खिलाड़ी अपनी कला के जौहर दिखाते हुए चल रहे थे।

नगर कीर्तन गांव सुन्नड़ा, संधू चट्ठा, आधी से होता हुआ गुरुद्वारा सैदराना साहिब गांव बिल्ली बड़ैच पहुंचा। इस ऐतिहासिक स्थान को सातवीं पातशाही के चरनों की छोह प्राप्त है। नगर कीर्तन यहां से चलकर गुरुद्वारा डल्ला साहिब पहुंचा। इस स्थान को पांचवें पातशाह श्री गुरु अर्जुन देव जी की चरणछोह प्राप्त है। बाद में यह नगर कीर्तन सुलतानपुर लोधी पहुंचा।

नगर कीर्तन का जगह-जगह हुआ स्वागत

गांवों में नगर कीर्तन का स्वागत करने के लिए नगर पंचायतें और अन्य लोग उपस्थित रहे। गांवों में संगतों ने जहां श्री गुरु ग्रंथ साहब जी को बेहद सुंदर रुमाले भेंट किए गए। वहीं, पांच प्यारों और धार्मिक शख्सियतों को भी हर जगह सम्मानित किया गया। नगर कीर्तन में श्री गुरु नानक देव जी की बाणी का गुणगान करते पर्यावरण प्रेमी संत बलबीर सिंह सीचेवाल ने संगतों को न्योता दिया कि वह शताब्दी समागमों में आने वाली संगतों के लिए घरों के दरवाजे खोलें और गुरु घर की खुशियां प्राप्त करें। उन्होंने पंजाब को प्लास्टिक मुक्त करने का भी न्योता दिया। नगर कीर्तन में संगत रास्ते में प्लास्टिक के लिफाफे और बोतलें आदि भी इकट्ठे करती रहीं।


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