पांच साल में 18 बच्चे लापता, ट्रेस नहीं कर पाई पुलिस
पिछले पांच सालों दौरान जिले के विभिन्न थानों से किशोर अवस्था के 18 बच्चे लापता हुए हैं।
हरनेक सिंह जैनपुरी, कपूरथला सावधान। जिले में आप के किशोर सुरक्षित नही हैं। अपने नाबालिग बच्चों को संभाल कर रखें। गुमशुदा होने पर पुलिस की मदद नही मिलेगी। पिछले पांच सालों के दौरान जिले के अलग-अलग थानों से किशोर अवस्था के 18 लड़के व लड़कियां लापता हैं जिनका आज तक सुराग नही लग सका है। साल 2015 से अप्रैल 2018 तक जिले के 46 लोग लापता हुए हैं जिनमें 18 किशोर शामिल हैं। जिला पुलिस अभी तक इन बच्चों का सुराग लगाने में नाकाम रही है। अप्रैल 2018 के बाद का पुलिस पास कोई डाटा ही उपलब्ध नही है।
जिले के अलग-अलग थानों में साल 2015 से अप्रैल 2018 तक कुल 46 लोग लापता हो चुके हैं, जिनमें 18 किशोर युवा व युवतियां हैं जिनका आज तक सुराग नही लग सका है। पुलिस थाना सिटी कपूरथला से चार नाबालिग लापता है जिनमें 14 साल की नबीना, 15 साल की काजल, 14 साल का सौरव एवं 15 साल की दामनी शामिल है। फगवाड़ा थाना से तीन बच्चे लापता हैं जिनमें 16 साल की किरन दीप एवं 17 साल की सरोज और बलजीत शामिल है। यह किशोर कई सालों से लापता है जिनका सुराग लगाने में पुलिस नाकाम रही है। सबसे ज्यादा गुमशुदगी थाना सिटी कपूरथला, थाना बेगोवाल व फगवाड़ा थाना में है और सबसे कम तलवंडी चौधरियां, ढिलवां व फत्तूढीगा थानों में एक-एक नाबालिग लापता हुए है। सुल्तानपुर लोधी थाने में दो नाबालिग लापता हुए हैं। सुल्तानपुर लोधी थाना की 16 साल की सुनीता एवं 16 साल की अनीता लापता है। भुलत्थ थाने की 16 साल की जट्टी एवं 16 साल का गोपी कई सालों से लापता है। सुभानपुर थाने से 17 वर्षीय सुरजीत, ढिलवां थाने से 15 साल की अन्नू, फत्तूढीगा थाना से 17 साल की कुलविदर कौर, कोतवाली थाने से 15 साल की नरिदर कौर और तलवंडी चौधरिया थाने से मनीशा लापता है। इन 18 लापता किशोरों में 13 युवतियों का लापता होने का आंकड़ा और भी डरावना है। इससे लगता है कि कम उम्र की लड़कियां सुरक्षित नही है। यह भी काफी हैरानी की बात है कि जिला पुलिस के पास यह तमाम आकड़ा अप्रैल 2018 तक ही उपलब्ध है। उसके बाद पुलिस पास कोई आकड़ा ही नही है।
56 लोगों को तलाश कर परिजनों को सौंप चुकी है पुलिस : एसपी (डी)
इस संबंध में एसपी (डी) मनप्रीत सिंह ढिल्लो का कहना है कि उक्त वर्षो के दौरान लगभग 102 लोग लापता हुए थे जिनमें करीब 56 लोगों को तलाश कर उन्हें परिजनों को सौप दिया गया है और बाकी को तलाशने की कोशिश चल रही है।
आंकड़ों की जुबानी गायब हुए बच्चों की कहानी
साल 2015 में 4 बच्चे लापता हुए
साल 2016 में 6 बच्चे लापता हुए
साल 2017 में 3 बच्चे लापता हुए
साल 2018 में 5 बच्चे लापता हुए
बच्चों के लापता होने की वजह
लापता बच्चों में ज्यादा संख्या किशोर युवतियों की शामिल है, जिससे माना जा रहा है कि इन बच्चों को अगवा करके कही ओर भेज दिया गया है अथवा वह अपनी मर्जी से कही चले गए है। पुलिस हर किसी की अलग स्थित मान रही है। पुलिस के अनुसार कई केसों में घरेलू समस्या व मां बाप के आपसी झगड़े भी कारण होते है।
क्यों नहीं तलाश कर सकी पुलिस पुलिस की तरफ से लापता बच्चों को लेकर कोई खास अभियान नहीं शुरू किया जाता है। जब केस नया नया होता है तो उस वक्त थोड़ी मुस्तैदी दिखाई जाती है। इसके बाद पुलिस की तलाश ढीली पड़ जाती है। पुलिस के पास कई तर्क होते है कि घर वालों से फीडबैक नही मिल रहा। पुलिस की अनेक तरह की ड्यूटियां स्टाफ की कमी आदि कई वजह बताई जाती है।