पराली के धुंए में उड़ रहा डीसी का आदेश
इस बारे में कृषि माहिर का कहना है कि खेद में फसल के अवशेष को आग लगाने से जीव-जन्तु आग की चपेट में आ
इस बारे में कृषि माहिर का कहना है कि खेद में फसल के अवशेष को आग लगाने से जीव-जन्तु आग की चपेट में आ जाते हैं तथा मिटटी की उपजाऊ शक्ति कम होने के साथ-साथ मित्र कीड़े भी मर जाते हैं।
इसके अलावा पराली को आग लगाने से उठने वाला धुंआ आंखों तथा सांस की बीमारी को बढ़ाता है।
इस बारे में शहर निवासी विमल कुमार, सुशील कुमार, प्रमोद कुमार, विनोद कपूर, सतीश शर्मा, यशपाल आनंद, जीवन कुमार, अजय कुमार, ओम प्रकाश, राजिंद्र प्रकाश, सुखदेव ¨सह, बलजिंद्र संद्धू व अन्य ने कहा कि पराली को आग लगाने पर लगाई गई पाबंदी के बावजूद किसान खुलेआम आग लगा रहे हैं तथा प्रशासन मौन बैठा है। यदि प्रशासन सख्त हो तो किसान आग लगाने से पहले कई बारे सोचने के लिए मजबूर होंगे।
कई तरह से कर सकते हैं पराली का उपयोग : डीसी
इस बारे में डीसी दलजीत ¨सह मांगट का कहना हैं कि किसानों को अपनी सोच बदल कर धान की कटाई के बाद पराली के कई काम लिए जा सकते हैं, इसलिए वह पराली को आग न लगाएं, यदि इसके बावजूद भी किसान पराली को आग लगाते हैं तो जल्द ही एक मुहिम के तहत कार्रवाई की जाएगी।