जालंधर में एलकेसी टीसी स्कूल में कार्यशाला आयोजित, सुधीर ने उद्यमी पारिस्थितिकी तंत्र के ढांचे पर चर्चा की
जालंधर में एलकेसी टीसी स्कूल में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। उद्यमी सुधीर दुआ ने भारत और विदेशों के प्रसिद्ध उद्यमियों का उदाहरण दिया। उन्होंने वर्तमान परिदृश्य में उद्यमिता के महत्व पर प्रकाश डालते हुए प्रोत्साहित किया।
जागरण संवाददाता, जालंधर। एलकेसी टीसी स्कूल आफ मैनेजमेंट ने फैकेल्टी सदस्यों और विद्यार्थियों के लिए अपने करियर को अनुकूलित करने, रोजगार कौशल पर एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की। इसमें उद्यमी सुधीर दुआ ने विद्यार्थियों को भारत और विदेशों के प्रसिद्ध उद्यमियों का उदाहरण देते हुए वर्तमान परिदृश्य में उद्यमिता के महत्व पर प्रकाश डालते हुए प्रोत्साहित किया।
दुआ ने कहा कि पाठ्यक्रम और पाठ्येतर गतिविधियों के संदर्भ में उच्च शिक्षा संस्थानों पर आधारित उद्यमी पारिस्थितिकी तंत्र के ढांचे पर चर्चा की। बेहतर रिटर्न पाने के लिए ज्ञान में निवेश सबसे अच्छा है। सफल उद्यमी के लिए तीन स्तंभ महत्वपूर्ण हैं। जिसमें सबसे पहला निर्णय लेना, दूसरा विफलता की स्वीकृति और तीसरा जीवन का लक्ष्य। उद्यमिता तभी सफल होती है जब उसने स्पष्ट दृष्टि से असफलताओं को स्वीकार कर निर्णय लेने की कला सीख ली हो।
उन्होंने यह भी कहा कि जो छात्र उद्यमिता के किसी भी नए विचार के साथ आएगा उसे 20 हजार रुपये की पूंजी प्रदान की जाएगी। दुआ ने आकांक्षाओं को वास्तविकता में स्थानांतरित करने के लिए आवश्यक अनुकूल और सहायक वातावरण की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला। उनके अनुसार इस माहौल के निर्माण के लिए एक ऐसा दृष्टिकोण है, जो एंटरप्रेन्योरियल इकोसिस्टम (ईई) के विकास के माध्यम से है।
उन्होंने एचईआइ आधारित एंटरप्रेन्योरियल इकोसिस्टम के विकास की आवश्यकता को सामने रखा, जो (ए) अलग पाठ्यक्रम के माध्यम से उद्यमिता पाठ्यक्रम के डिजाइन, (बी) पाठ्येतर गतिविधियों, (सी) प्रौद्योगिकी हस्तांतरण अधिकारियों से बना है। कार्यक्रम का संचालन मैनेजेंट विभाग के एचओडी डा इंदरपाल सिंह और पारुल नंदा ने किया।
डा इंद्रपाल सिंह ने कहा कि यह कार्यशाला पहचान योग्य और निवेश योग्य रूप में नए नवाचारों को विकसित करने के लिए उद्यमी प्रतिभा की एक टीम का पता लगाने में मदद करेगी और कार्यशाला का उद्देश्य अधिकतम प्रभाव के लिए स्केलेबल बिजनेस माडल के साथ तेजी से बढ़ने की महत्वाकांक्षा के साथ निर्मित नवाचार के मूल्य को मान्य और कैप्चर करना है। निदेशक सुखबीर सिंह चट्ठा, डा. एसके सूद और डा. आरएस देयोल ने इस कार्यशाला के संचालन के लिए मैनेजमेंट विभाग के प्रयासों को सराहा।