मुद्राओं और हाव-भाव की पूर्णता का संगम है 'कत्थक'
कहानियों को पेश करने का साधन कहे जाने वाला नृत्य कत्थक मुद्राओं के साथ हाव-भाव को पूर्णता के साथ व्यक्त करने का संगम है। इस नृत्य की बारीकियों को समझाने के लिए सतयुग दर्शन संगीत कला केंद्र में दो दिवसीय वर्कशॉप का शुभारंभ किया गया।
जालंधर : कहानियों को पेश करने का साधन कहे जाने वाला नृत्य 'कत्थक' मुद्राओं के साथ हाव-भाव को पूर्णता के साथ व्यक्त करने का संगम है। इस नृत्य की बारीकियों को समझाने के लिए सतयुग दर्शन संगीत कला केंद्र में दो दिवसीय वर्कशॉप का शुभारंभ किया गया। डॉ. अंजुल शर्मा ने बच्चों के साथ लड़कियों और महिलाओं को परफेक्ट मुद्राएं बनाने के तरीकों से अवगत करवाया। इस आयोजन में लगभग 80 प्रतिभागी मौजूद रहे। सतयुग दर्शन संगीत कला केंद्र मैनेजिंग कमेटी के सेंटर इंचार्ज नलिन कपूर, मीना सिक्का, मीनाक्षी खेड़ा, रितिका, मीनाक्षी, रीना, पूजा कपूर, मोहित, अमृत, सुमित कपूर, बुद्धिराजा मौजूद रहे। सुमित कपूर ने बताया कि ऐसी गतिविधियों से ही बच्चे अपनी संस्कृति को समझते हैं।
प्रतिभागियों ने मंगलाचारण पर सीखे कत्थक के स्टैप
पावनी, हीतिका, मनप्रीत, जानवी, आयान, तनु, रेजल, कशिश, हिताशी, पियुषा, दृष्टि, नित्या, सानवी, आहना, नीरजा, फागुनी, अमीषा, हर्षिता, हुनर, वोनिका, निशा, वंशिका, अक्षिता, प्रिशा, जयाना, खुशी, किरण, रिचा, दिव्या, सुरुचि, साक्षी, उमिका, दिव्या, सपना सहित 80 प्रतिभागियों ने उत्साह के साथ वर्कशॉप में कत्थक के बारे में जानकारी ली। नृत्य को बेहद पसंद करने वालों के चेहरों पर कत्थक सीखने का उत्साह नजर आ रहा है। प्रतिभागियों ने बताया कि श्री गणेश के मंगलाचारण पर कत्थक के स्टैप्स सीखे हैं।