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जब सर्किट हाउस को लग गई हथकड़ी... पढ़ें जालंधर की और भी रोचक खबरें

मंगलवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री विजय सांपला को किसानों ने सर्किट हाउस में घेर लिया था। उन्हें वहां प्रेस कांफ्रेंस करनी थी। यह देख पुलिस के हाथ पांव फूल गए। आनन-फानन में सर्किट हाउस का गेट बंद किया। जब कहीं ताला नहीं मिला तो उसे हड़कड़ी से लॉक कर दिया।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Thu, 22 Oct 2020 01:53 PM (IST)Updated: Thu, 22 Oct 2020 01:53 PM (IST)
पिछले दिनों सर्किट हाउस में किसानों पूर्व मंत्री सांपला का घेराव कर लिया था।

जालंधर, जेएनएन। सर्किट हाउस को ही हथकड़ी लग गई, सुनने में अटपटा तो जरूर है लेकिन कारनामा पंजाब पुलिस का है तो भरोसा करना बनता है। हुआ यूं कि बीते मंगलवार पूर्व केंद्रीय मंत्री विजय सांपला जालंधर पहुंचे थे। सर्किट हाउस में उन्हें प्रेस कांफ्रेंस करनी थी। इसकी भनक कृषि सुधार कानून के लिए आंदोलन कर रहे किसान संगठनों को लग गई। वे तुरंत सर्किट हाउस पहुंच गए। तब तक पूर्व मंत्री सांपला अंदर पहुंच चुके थे। किसान संगठन अंदर जाना चाहते थे, यह देख पुलिस के हाथ-पांव फूल गए। सरकार भी कानून के विरोध में है, ऐसे में किसानों पर सख्ती भी नहीं कर सकते थे। यह देख पुलिस अफसर ने कर्मचारियों की तरफ देखा कि गेट बंद करो। अब ताला कहां ढूंढे, एक थानेदार के पास हथकड़ी थी तो वह बोल पड़ा 'जनाब ताला ता है नीं, हथकड़ी ला दइए'। मजबूर अफसर ने मुस्कुराते हुए हथकड़ी लगवा दी।

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महकमे नूं क्लर्क ने पढऩे पाया
कभी जो क्लर्क साहिबों की जी हजूरी करता था, बर्खास्त होने के बाद उसी ने पढ़ाने वाले महकमे को पढऩे पर लगा रखा है। असल में इस क्लर्क को सेवानिवृत्त कर्मचारियों के पैसे, मेडिकल बिल जैसे कई घपले करने के आरोप में विजिलेंस ने पकड़ा था। फिर महकमे ने खुद को पाक-साफ दिखाने के लिए उसे बर्खास्त कर दिया। बर्खास्त क्लर्क पर महकमे ने लाखों का बकाया निकाल दिया। क्लर्क नौकरी से बाहर हुआ तो फिर चिट्ठियों का रास्ता पकड़ लिया। अब तो हर हफ्ते एक चिट्ठी आती है कि मेरा जीपीएफ दो। अफसर एक चिट्ठी को फाइलों के अंदर सरका देते हैं तो तब तक दूसरी चिट्ठी आ जाती है। महकमा जवाब देता है कि पहले घपले का पैसा जमा कराओ। परेशान अफसर भी कहने लग गए हैं कि एस क्लर्क पूरे महकमे ने पढऩे पा रखेया ए।

...जब खाकी पर भारी पड़ी खादी
इन दिनों पोस्ट मैट्रिक स्कालरशिप का मामला गर्म है। घपला सामने आया तो हर जगह धरने लग रहे हैं। जालंधर शहर भी इससे अछूता नहीं है। अनुसूचित वर्ग के विद्यार्थियों की परेशानी के लिहाज से यह मामला काफी संवेदनशील है लेकिन विरोध पंजाब सरकार का है, ऐसे में कभी-कभार खाकी की स्वामीभक्ति भी जाग जाती है। ऐसा ही कुछ डीसी दफ्तर के गेट पर हुआ। स्कालरशिप की मांग को लेकर प्रभावित छात्र धरना दे रहे थे। तभी एक खाकी वाले साहब आए और कहने लगे कि चलो डीसी साहब से मिलवा देता हूं। एक नेता ने जब इसका विरोध किया तो खाकी रौब में बोले कि 'यार तूं क्यों पंगा पा रिहे'। इस पर नेता भड़क गया और सरकार को छोड़ उसी अफसर की मुर्दाबाद शुरू कर दी। बात बिगड़ी तो तुरंत बड़े अधिकारी हरकत में आए और रौब वाले अफसर को वहां से हटा नेता को मनाया।

खेल विभाग के अधिकारी से 'खेल'

चंडीगढ़ बैठे खेल विभाग के कई दिग्गज मैदान में तो कोई कमाल दिखा नहीं पा रहे हैं। यहां तक कि जालंधर का एकमात्र एथलेटिक ट्रैक काफी समय से फटा पड़ा है उसे ठीक तक नहीं कर पा रहे लेकिन अपने विभाग के भीतर वो जमकर खेल खेल रहे हैं। हाल ही में खेल विभाग की एक महिला अधिकारी के साथ खेल हो गया। महिला अधिकारी सेवानिवृत्ति के नजदीक हैं, ऐसे में बड़े अधिकारियों से रहमदिली की उम्मीद हर कोई कर लेता है लेकिन अमृतसर की रहने वाली महिला अधिकारी को जालंधर भेज दिया गया और कपूरथला का भी अतिरिक्त चार्ज दे दिया। न गाड़ी दी न ड्राइवर, अब घर से दूर महिला अधिकारी को अपनी जेब से पेट्रोल डलवाकर अपनी ही गाड़ी के टायर घिसने पड़ रहे हैं। एतराज भी वो चंडीगढ़ भेज चुकी है कि घर के नजदीक भेज दो या सुविधा तो दो, लेकिन बात अभी तक अनसुनी है।


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