अमृतसर में नशा सेवन के आदी निकले हथियार धारक, ज्यादातर के यूरिन में अफीम की मात्रा पाई गई
अमृतसर में दस फीसद हथियार धारकों की रग-रग में नशा रचा और बसा है। इसका प्रमाण डोप टेस्ट की रिपोर्ट से मिलता है। मई 2018 से शुरू डोप टेस्ट की प्रक्रिया से गुजरने वाले लोगों में भारी संख्या में हथियार धारक नशे के आदी पाए गए हैं।
अमृतसर [नितिन धीमान]। हथियारों का फितूर और दिमाग में नशे का सुरूर...जी हां! जिले में नशा सेवन करने वालों के हाथों में भी आधुनिक हथियार हैं। दस फीसद हथियार धारकों की रग-रग में नशा रचा और बसा है। इसका प्रमाण डोप टेस्ट की रिपोर्ट से मिलता है। मई 2018 से शुरू डोप टेस्ट की प्रक्रिया से गुजरने वाले लोगों में भारी संख्या में हथियार धारक नशे के आदी पाए गए हैं। ज्यादातर के यूरिन में अफीम की मात्रा पाई गई है। पंजाब में अफीम की खेती व बिक्री प्रतिबंधित होने के बावजूद यह बिक रही है। अफीम के सुरूर में डूबे लोगों के हाथों में हथियार होना कितना खतरनाक साबित है, इसकी कल्पना कर हृदय सिहर उठता है।
दरअसल, अमृतसर के सिविल अस्पताल में अब तक तकरीबन चार हजार हथियार धारकों के डोप टेस्ट किए जा चुके हैं। इनमें से 200 से अधिक की रिपोर्ट पाजिटिव पाई गई है। इसी प्रकार अजनाला सिविल अस्पताल, सिविल अस्पताल बाबा बकाला व सरकारी मेडिकल कालेज में भी तकरीबन पांच हजार टेस्ट किए गए हैं। इनमें 300 से अधिक पाजिटिव मिले हैं। ये लोग किसी न किसी रूप में नशा सेवन करते है। ज्यादातर अफीम के आदी हैं। स्वास्थ्य विभाग द्वारा इनकी रिपोर्ट जिला प्रशासन को भेज दी गई है। नियमानुसार इनका हथियार लाइसेंस रद होना चाहिए, पर अभी तक प्रशासन ने ऐसा कदम नहीं उठाया है। अमृतसर में तकरीबन 38 हजार असलाह लाइसेंस धारक हैं। तीन वर्ष पूर्व शुरू हुई डोप टेस्ट की प्रक्रिया के अंतर्गत अब तक नौ हजार के टेस्ट ही किए जा सके हैं।
नशीले आतंक की गिरफ्त में फंसे पंजाब को उबारने के लिए सरकारी स्तर पर कई चुनावी घोषणाएं की जाती रही हैं। यहां तक कि कैप्टन अमरिंदर सिंह की अगुआई वाली सरकार ने नशे को मुद्दा बनाकर चुनाव लड़ा और जीता भी। अफसोसनाक पक्ष यह है कि नशे का दैत्य और विकराल होता चला गया। इसके बाद सरकार ने हथियार धारकों के डोप टेस्ट का क्रम शुरू किया गया। राजनेताओं की सिफारिश या ऊंची पहुंच के जरिए लोग धड़ाधड़ लाइसेंस बनवा रहे हैं, पर नशे का त्याग करने को तैयार नहीं।
पाजिटिव आने पर रिपीट टेस्ट का प्रावधान, पर किसी ने करवाया नहीं
जो असलहा धारक पाजिटिव पाए गए, सरकारी नियम के अनुसार एक सप्ताह बाद रिपीट डोप टेस्ट करवा सकते थे। यह जानकर हैरानी होगी कि नशे की लत न छोड़ पाने की वजह से इन लोगों ने रिपीट टेस्ट नहीं करवाया। इससे स्पष्ट है कि उसने फर्जी टेस्ट रिपोर्ट तैयार करवाकर सबमिट करवा दी होगी। हाल ही में एक रिपोर्ट दैनिक जागरण ने प्रकाशित की थी। इसके अनुसार डोप टेस्ट की सरकारी रिपोर्ट में एक शख्स पाजिटिव पाया गया, लेकिन उसने यह रिपोर्ट सब्मिट करवाने की वजह हूबहू फर्जी रिपोर्ट तैयार करवाई। रिपोर्ट असली जैसी थी। मोहरें तक असली लगती हैं, पर पैथोलाजिस्ट के हस्ताक्षर असली नहीं थे। फर्जी रिपोर्ट तैयार करने का भी एक बड़ा गिरोह जिले में सक्रिय है। कुछ सरकारी कर्मचारी भी इस काम को अंजाम दे रहे हैं।
फर्जी रिपोर्ट तैयार करने वाला किया था काबू
वर्ष 2018 में सिविल अस्पताल का ही एक कर्मचारी फर्जी रिपोर्ट तैयार करते पकड़ा गया था। उससे नकली लेटर पैड और मोहरें बरामद हुई थीं। विभाग ने उसे उसी समय सस्पेंड कर दिया था। इसी प्रकार इसी माह भी सिविल अस्पताल के बाहर खड़ा एक शख्स आवेदकों से कहता हुआ पाया गया था कि वह उनकी पाजिटिव रिपोर्ट को निगेटिव में बदल देगा। अस्पताल प्रशासन को पता चला तो वह वहां से फरार हो गया।
जल्द ही कार्रवाई होगी: एडीसी रूही डग
एडीसी रूही डग के अनुसार सभी डोप रिपोर्ट्स का विश्लेषण किया जा रहा है। जिन लोगों की रिपोर्ट्स पाजिटिव आई हैं उन्हें रिपीट टेस्ट का मौका दिया गया है। सभी रिपोर्ट्स की हम जांच कर रहे हैं। जल्द ही नियमानुसार कार्रवाई करेंगे।