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पंजाब के गांव कपाहट में बुजुर्गों के प्रति आस्था का नायाब उदाहरण, आज भी पांच कुओं को सहेज बुझा रहे प्यास

पंजाब के होशियारपुर जिले में स्थित गांव कपाहट में आज भी लोग कुएं का पानी पी रहे हैं। ऐसा नहीं है कि यहां पानी आता नहीं है बल्कि गांव के लोगों ने अपने बुजुर्गों की याद में कुओं को सहेजा हुआ है और उसी का पानी पीते हैं।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Mon, 30 Aug 2021 07:26 PM (IST)Updated: Tue, 31 Aug 2021 10:07 AM (IST)
गांव का कपाहट में कुएं से पानी भरती महिला। फोटो जागरण

नीरज शर्मा, होशियारपुर। जहां आज लोग प्रकृति से दूर जाते जा रहे हैं, वहीं एक ऐसा गांव भी है जो अभी तक प्राकृतिक संसाधनों को संजोये हुए है। होशियारपुर पानी के मामले में डार्क जोन में जा रहा है, लेकिन इसी जिले के गांव कपाहट में आज भी पांच कुएं ऐसे हैं जो सदियों से लोगों की प्यास बुझा रहे हैं। लोग इन कुओं को अपने बुजुर्गों का आशीर्वाद मानते हैं और आज भी इन कुओं को धरोहर की तरह संभाले हुए हैं। लोगों का कहना है कि वह जब भी गांव के इन कुओं पर जाते हैं तो उन्हें ऐसा लगता है जैसे वह अपने बुजुर्गों के पास आए हों। वह दिन याद आ जाते हैं जब हम अपने माता-पिता की अगुंली थामे यहां आते थे। मानो जैसे बीता हुआ समय फिर उनके सामने आ जाता है।

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सदियों पुराने हैं यह कुएं

75 वर्षीय यशपाल सिंह ने बताया कि कुएं कितने पुराने हैं यह कोई नहीं जानता है। इतना पता है कि हमारे दादा-परदादा भी यहां आते रहे हैं। यशपाल सिंह ने बताया कि अब लोग अपने पुराने संसाधनों को भूलते जा रहे हैं। हरेक को जल्दबाजी है। लोगों के घरों तक पाइप लाइन द्वारा पानी पहुंच चुका है। तालाब, कुएं कहानियों में रह गए हैं, पर हम अपने बुजुर्गों की इस धरोहर को संभाले हुए हैं और जब तक दम रहेगा, इसे संभाले रखेंगे।

गांव का एतिहासिक कुआं। जागरण

गांव में पांच कुएं सभी हैं चालू

उन्होंने बताया कि गांव में 5 कुएं हैं और सभी चालू हालत में है और समय-समय पर इनकी मरम्मत भी करवाई जाती है, ताकि इन्हें सुरक्षित रखा जा सके। जहां एक तरफ लोग अपने प्राकृतिक संसाधनों को बर्बाद कर चुके हैं और कुछ बर्बाद कर रहे हैं वहीं हम अपने गांव के इन प्राकृतिक संसाधन को सहेजे हुए हैं।

नहीं आई कभी पानी की कमी न सूखे ये कुएं

यशपाल सिंह ने बताया कि उन्होंने जब से होश संभाला है, वह इस कुएं से लोगों को ऐसे ही पानी निकालते देख रहे हैं। हैरानी वाली बात तो यह है कि इन कुंओं में न तो पानी कम हुआ और न ही कभी यह सूखे से प्रभावित हुए हैं। पूछे जाने पर कि यह कितने पुराने हैं तो उन्होंने कहा कि हमारे बुजुर्ग बताते थे कि यह उनसे भी पहले के हैं और आप हिसाब लगाओ की अब वह 75 साल का हो चुके हैं।

कुएं के बारे में बताते गांव के बुजुर्ग। जागरण

रोजमर्रा के कामों में प्रयोग किया जाता है कुंओं का पानी

गांव की महिलाएं सुनीता देवी, ज्योति, राज रानी, पार्वती देवी ने बताया कि यह कुएं उनके गांव के लिए वरदान हैं। उन्होंने कहा कि कंडी का इलाका होने के कारण शुरू से ही पानी की कमी रहती है। खैर, अब तो वॉटर सप्लाई आ गई है। मगर, जब पानी की कमी होती है तो हमें इन कुओं का ही सहारा होता है। उन्होंने बताया कि रोजमर्रा के कामों में आज भी वे इन कुओं के पानी का इस्तेमाल करते हैं। यहां तक कि लोग इन कुओं का पानी पीने के लिए भी इस्तेमाल करते हैं।

कुएं से पानी भरती महिला। जागरण

पंचायत रखती है विशेष बजट

लोगों ने बताया कि कुएं गांव की धरोहर हैं और इसके लिए पंचायत अलग से रखरखाव का बजट रखती है। समय-समय पर कुएं के पानी में बकायदा दवाई डाली जाती है, सफाई करवाई जाती है। अब कुओं के ऊपर के कवर कर दिया गया है, ताकि कोई इनको नुकसान न पहुंचा सके।

प्राकृतिक संसाधनों को बचाएं लोग

सरपंच मीना कुमारी ने बताया कि सब लोगों का फर्ज बनता है कि वे अपनी प्राकृतिक संपदा को बचाएं, क्योंकि यदि एक बार यह विलुप्त हो गई, तो फिर सिवाय अपने आप को कोसने के बिना कुछ नहीं रहेगा। यह कुएं मुश्किल सूखे के दिनों में गांव की लाइफ लाइन है और भगवान की कृपा से इनमें कभी पानी की कमी नहीं आई।


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