स्मार्ट सिटी की टीम जालंधर पहुंची, हर घर के बाहर लगेगी क्यूआर आईडी प्लेट
शहर की सभी प्रापर्टीज पर यूनीक आईडी और बार कोड वाली नंबर प्लेट लगाने के प्रोजेक्ट के लिए टीम जालंधर पहुंच गई है।
जागरण संवाददाता, जालंधर : शहर की सभी प्रापर्टीज पर यूनीक आईडी और बार कोड वाली नंबर प्लेट लगाने के प्रोजेक्ट के लिए टीम जालंधर पहुंच गई है। टीम ने स्मार्ट सिटी कंपनी के साथ मीटिग करके प्लेट्स लगाने के लिए सर्वे भी शुरू कर दिया है। पंजाब म्यूनिसिपल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कमेटी द्वारा तय किए गए कांट्रैक्टर की टीम वीरवार को यह फाइनल कर लेगी कि किस इलाके से काम शुरू करना है। इसके तहत सबसे पहले एक इलाके या वार्ड में ही घर के बाहर क्यूआर (क्विक रिस्पांस) कोड की नंबर प्लेट लगेगी। ट्रायल सफल रहने पर पूरे शहर में यूनीक आईडी पर काम शुरू होगा। निगम के चार साल पुराने ग्लोबल इंफार्मेशन सिस्टम (जीआइएस) सर्वे में शहर में करीब 2.82 लाख प्रापर्टी रजिस्टर्ड हुई थी। अब यह करीब तीन लाख हो गई हैं। शहर में शामिल कैंट के इलाकों को भी क्यूआर कोड वाली ई-प्लेटस के प्रोजेक्ट में शामिल किया गया है। यह प्रोजेक्ट एक साल में पूरा करना है। इस काम पर करीब दो करोड़ रुपये खर्च आएंगे। जीआईएस सर्वे से जुडे क्यूबार कोड प्लेट्स की योजना का लक्ष्य नगर निगम की आय को बढ़ाना है। निगम व लोगों का ये फायदा होगा कोड से
नगर निगम हर घर को क्यूआर कोड देगा। क्यूआर कोड में हर घर के पानी, सीवरेज का बिल, प्रापर्टी टैक्स, बिल्डिंग से जुड़ी जानकारी, निगम की कार्रवाई का रिकार्ड अपलोड होगा। ऐसे में निगम के पास आनलाइन यह जानकारी मौजूद रहेगी कि किस प्रापर्टी का पानी-सीवरेज का बिल, प्रापॅटी टैक्स यह अन्य कोई जुर्माना बकाया है। घर-घर से कूड़े की कलेक्शन का सिस्टम भी इससे जोड़ा जाएगा। इससे रिकवरी में सुधार होगा और निगम की आय में बढ़ोतरी होगी। --------
एप से स्कैन करने पर आएगी हर प्रापर्टी की डिटेल
हर घर के बाहर क्यूआर प्लेट्स को एप से जोड़ा जाना है। एप से क्यूआर कोड स्कैन करने पर पता चलेगा कि इस प्रापर्टी पर निगम के कौन से बिल या टैक्स बकाया हैं। नगर निगम जैसे-जैसे बिलों और टैक्स का डाटा अपलोड करता जाएगा वैसे-वैसे क्यूआर कोड में भी डाटा अपडेट हो जाएगा। क्यूआर कोड को मोबाइल फोन से स्कैन करके निगम को बिल का भुगतान किया जा सकेगा। क्यूआर कोड में डाटा सुरक्षित होने को लेकर भी सवाल सामने आते रहे हैं। स्मार्ट सिटी कंपनी और नगर निगम हर प्रापर्टी मालिक को क्यूआर कोड खोलने का लिमिटेड राइट्स भी दे सकता है जिससे बिल देखने और पेमेंट करने में आसानी होगी।
----------- निगम की पानी-प्रॉपर्टी टैक्स की रिकवरी तीन गुणा होने की उम्मीद
क्यूआर कोड प्लेट्स लगने से निगम की इनकम भी बढ़ेगी। 2.25 लाख प्रापर्टी निगम के टैक्स के दायरे में आती हैं। 70 हजार प्रापर्टी से टैक्स मिल रहा है। ऐसे ही पानी के बिलों की रिकवरी भी काफी सुस्त है। हजारों की गिनती में लोग पानी का बिल नहीं दे रहे। अब जब सरफेस वाटर प्रोजेक्ट शुरू होगा तो सभी से पानी के बिलों की वसूली भी की जानी है। ऐसे में डाटाबेस मजबूत होगा तो रिकवरी भी ज्यादा होगी। पानी के बिलों और प्रापर्टी टैक्स से मौजूद आय करीब 50 करोड़ है और क्यूआर कोड लगने के बाद यह 150 करोड़ तक पहुंच सकती है। डिफाल्टरों पर भी कार्रवाई आसानी से हो सकेगी। आय बढ़ने से विकास कार्य भी बेहतर ढंग से हो पाएंगे।
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