थाना डिवीजन-3 बना पहली, एक हफ्ते के अंदर दो को हटाकर तीसरे SHO की तैनाती Jalandhar News
बार-बार एसएचओ बदले जाने का असर इलाके की कानून व्यवस्था पर पड़ रहा है। क्योंकि जब तक एसएचओ इलाका घूम कर कोई योजना बनाता है तब तक उसका तबादला कर दिया जाता है।
जालंधर, [फरीद शेखूपुरी]। कमिश्नरेट पुलिस के अधिकारियों के लिए थाना डिवीजन नंबर तीन एक पहेली बन गया है। यहां एक हफ्ते में दो एसएचओ को हटा तीसरे की तैनाती कर दी है। इस प्रकार एक साल में इस थाने में तैनात हुए सात एसएचओ के तबादले हो चुके हैं।
बड़े अधिकारियों को इस थाने के लिए अभी तक ऐसा कोई काबिल एसएचओ नहीं मिला, जो लंबा समय यहां गुजार सके। हालांकि हर बार एसएचओ बदल कर अफसर जिस प्रबंधकीय आधार की रट लगाते हैं, इस मामले में खुद उनसे ही प्रबंधन ठीक नहीं हो पा रहा है। बार-बार एसएचओ बदले जाने का असर इलाके की कानून व्यवस्था पर पड़ रहा है। क्योंकि जब तक एसएचओ इलाका घूम कर कोई योजना बनाता है, तब तक उसका तबादला कर दिया जाता है। वहीं थाने में फरियाद लेकर आने वाले आम लोगों की सुनवाई भी इस से बाधित हो रही है और निचले दर्जे के कर्मचारियों को मनमानी करने का खुला मौका मिल रहा है।
राजेश हटाए, रुपिंदर तैनात
थाना तीन में 12 फरवरी को एसएचओ इंस्पेक्टर रशमिंदर सिंह को इलाके में हो रही चोरियों के चलते हटा कर लाइन हाजिर कर दिया गया। उनकी जगह पर इंस्पेक्टर राजेश कुमार को थाने की जिम्मेदारी दे दी गई। इंस्पेक्टर राजेश को चार्ज संभाले दो दिन भी अभी नहीं हुए थे कि उन्हें भी हटा दिया गया और इंस्पेक्टर रुपिंदर सिंह को थाने का एसएचओ लगा दिया गया।
साल भर से यही हालात...
थाना तीन में एसएचओ के पद पर तैनात इंस्पेक्टर कुंवर विजय पाल का पांच मार्च 2019 को तबादला कर दिया गया। इनके बाद सिर्फ 11 महीने के भीतर में एसएचओ की कुर्सी पर इंस्पेक्टर भारत भूषण, इंस्पेक्टर रेशम सिंह, इंस्पेक्टर नवदीप सिंह, इंस्पेक्टर सुरिंदर सिंह, इंस्पेक्टर जीवन सिंह और इंस्पेक्टर राजेश एक के बाद एक कर बैठे, लेकिन कोई भी लंबी पारी खेल नहीं पाया।
इलाके में चोरी, तस्करी व झपटमारी का बोल बाला
थाना तीन क्षेत्र में पिछले एक महीने के भीतर 12 से अधिक चोरियां हो चुकी है। जबकि छीना-झपटी के मामले भी आए दिन घटित हो रहे हैं। इसके साथ ही शराब तस्करों ने भी इलाके में अपनी पूरी पैठ बना रखी है, जिनके खिलाफ जब भी कोई एसएचओ कार्रवाई करने के लिए कोई प्लान बनाता है तो वह ठंडे बस्ते में चला जाता है। क्योंकि एसएचओ ही अपनी कुर्सी पर अधिक समय टिक नहीं पाता।
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