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बेघरों के लिए बने सात रैन बसेरों में चार बंद, ठंड से दो की मौत Jalandhar News

10 नवंबर को दोमोरिया पुल के रैन बसेरे से 100 मीटर की दूरी पर ही एक व्यक्ति ने ठंड से दम तोड़ दिया था जबकि सोमवार को सोढल रोड पर एक व्यक्ति की लाश मिली है।

By Edited By: Published: Tue, 31 Dec 2019 02:36 AM (IST)Updated: Wed, 01 Jan 2020 09:57 AM (IST)
बेघरों के लिए बने सात रैन बसेरों में चार बंद, ठंड से दो की मौत Jalandhar News

जालंधर, जेएनएन। बेघरों के लिए बनाए नगर निगम के सात रैन बसेरों में चार बंद हैं। स्टाफ की कमी के कारण निगम सभी बसेरे नहीं खोल पा रहा है। नतीजतन बेघर लोगों की ठंड में जान जा रही है। सोमवार को ही दो बेघरों की ठंड से मौत हो गई है। अब तक ठंड से मरने वालों की कुल संख्या तीन हो गई है। 10 नवंबर को दोमोरिया पुल के रैन बसेरे से 100 मीटर की दूरी पर ही एक व्यक्ति ने ठंड से दम तोड़ दिया था, जबकि सोमवार को सोढल रोड पर एक व्यक्ति की लाश मिली है। इस व्यक्ति की मौत का कारण भी ठंड ही बताया जा रहा है। सोढल नगर में ठंड से जिस व्यक्ति की मौत हुई, उसकी अभी पहचान नहीं हो सकी है। थाना आठ की पुलिस ने शव को अस्पताल भिजवा दिया है।

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मामले की जांच कर रहे थाना डिवीजन आठ के एएसआइ मंजीत राम ने कहा कि सोढल मंदिर के पीछे टावर वाली गली में एक व्यक्ति की लाश पड़ी होने की सूचना कंट्रोल रूम को मिली थी। उन्होंने कहा कि मृतक के पास ऐसा कोई दस्तावेज नहीं मिला जिससे उसकी पहचान हो सके। आसपास के लोगों का कहना है कि यह व्यक्ति रूटीन में यहीं सोता था। तीसरी मौत कैंट रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म वन पर एक साधु की हुई है। कैंट रेलवे स्टेशन के जीआरपी इंचार्ज अशोक कुमार ने बताया कि सुबह सूचना मिली कि प्लेटफार्म पर एक साधु गिरा हुआ है। मौके पर जाकर देखा तो उसकी मौत हो चुकी थी।

तीन साल पहले लगते थे तंबू, अब पक्के बसेरे भी नहीं सभल रहे

सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर हैं कि रैन बसेरों में रहने के लिए अच्छे प्रबंध हो लेकिन जालंधर के रेन बसेरे इंतजाम की कमी के कारण बंद हैं। तीन साल पहले तो निगम ने शहर के कई इलाकों में तंबू लगा कर अस्थायी रैन बसेरे भी बनाए थे, लेकिन अब पक्के बने रैन बसेरे चलाने भी मुश्किल हो रहे हैं। आउटसोर्स स्टाफ के हाथ है काम रैन बसेरों का इंतजाम फिलहाल आउटसोर्स पर रखे स्टाफ के हाथ है। निगम के दोमोरिया पुल, बस स्टेंड फ्लाईओवर के नीचे थाना बारादरी के सामने और वीर बबरीक चौक में जोन ऑफिस के साथ बने रैनबसेरे ही लोगों के लिए खोल जा रहे हैं। मदन फ्लोर मिल चौक, गढ़ा निगम जोन दफ्तर के पास, गढ़ा डिस्पोजल के नजदीक, बस्ती पीरदाद के रैन बसेरे बंद हैं, जबकि दोमोरिया पुल के पास ही दूसरे रैन बसेरे को कुछ साल पहले दोमोरिया पुल के नीचे चल रहे रैन बसेरे में प्रबंध बढ़ा कर पक्के तौर पर बंद कर दिया था।

निगम नहीं जला रहा शहर में अलाव

ठंड में लोगों की राहत के लिए नगर निगम पहले अलाव जलाता था लेकिन अब ऐसा कोई प्रबंध नहीं है। नगर निगम बाजारों, बस्तियों में अलाव जलाता रहा है, लेकिन अब यह सिस्टम खतम कर दिया गया है। नगर निगम पहले सामाजिक जिम्मेवारी निभाता रहा है लेकिन अब व्यवसायिक युग में निगम भी सामाजिक जिम्मेवारी भूलता जा रहा है। बाजारों में आने वाले लोगों, दुकानदारों, रिक्शा चालकों, फड़ी वालों के लिए यह इंतजाम किया जाता था।

ज्वाइंट कमिश्नर बोले, जबरन लोगों को बसेरे में लाने का प्रावधान नहीं

नगर निगम के ज्वाइंट कमिश्नर राजीव वर्मा ने कहा कि सात में से बंद पड़े चार रैन बसेरों पर रिपोर्ट मांगी है। तीन दिन पहले ही चार्ज मिला है और पहले दिन ही लोगों के लिए खोले गए तीन रैन बसेरों की जांच की थी। तभी बंद पड़े रैन बसेरों पर भी रिपोर्ट मांग ली थी। रैन बसेरों के बाहर रह रहे लोगों से अपील भी की है कि वह रैनबसेरों के अंदर रहें। बेघरों के रहने के लिए सभी इंतजाम किए गए हैं। व्यवस्था में सुधार के भी निर्देश दिए हैं। निगम के पास ऐसा कोई प्रावधान नहीं कि वह जबरदस्ती लोगों को रैन बसेरों में लेकर आए, लेकिन बाहर रह रहे लोगों से जाकर बार-बार अपील करेंगे कि वह दान लेने के चक्कर में जान दाव पर न लगाएं।


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