एनएचएस अस्पताल ने नौ साल पुराने दर्द से दी राहत
तीन देशों व 45 अस्पतालों से निराश हुए तरनतारन के 53 वर्षीय पूर्ण ¨सह के लिए एनएचएस अस्पताल वरदान साबित हुआ।
जेएनएन, जालंधर : तीन देशों व 45 अस्पतालों से निराश हुए तरनतारन के 53 वर्षीय पूर्ण ¨सह के लिए एनएचएस अस्पताल वरदान साबित हुआ। पूर्व सिंह को नौ साल पहले रीढ़ की हड्डी में गोली लगी थी। इस कारण उन्हें असहनीय दर्द था, जिससे किसी भी दवाई और अन्य तरीकों से राहत नहीं मिल पा रही थी।
उन्होंने पंजाब, दिल्ली, चंडीगढ़ और देश के कई बड़े अस्पतालों में दिखाया पर हर बार उनके हाथ में निराशा ही लगी। पूर्ण ¨सह ने बताया कि वे अब तक देश-विदेश के 45 डॉक्टरों को दिखा चुके हैं और उनसे इलाज के लिए सलाह ले चुके हैं। इनमें से तकरीबन सभी डॉक्टरों ने उन्हें इलाज करने से मना कर दिया और अगर किसी ने ऑपरेशन के लिए हां भी की तो ऑपरेशन में काफी जोखिम बताया। मरीज द्वारा यह सवाल पूछे जाने पर कि क्या ऑपरेशन के बाद वे चल पाएंगे-इसका कोई भी डॉक्टर तसल्ली से जवाब नहीं दे रहा था। उन्होंने जापान और यूएसए के डॉक्टरों से सलाह भी ली, परंतु वहां के डॉक्टरों ने भी हार मान ली और इलाज करने से मना कर दिया। सभी डॉक्टर गोली के कारण एमआरआइ करने तक से इंकार कर देते थे और ना ही गोली निकालने का जोखिम लेते थे। तब उन्हें हाल ही में कपूरथला रोड पर खुले एनएचएस अस्पताल के डॉ. नवीन चिटकारा के बारे में पता चला।
डॉ. नवीन चिटकारा ने अस्पताल ने लगी अत्याधुनिक एमआरआइ की इम्प्लांट आर्टीफेक्ट रिड्यूशन एप की मदद से स्पाइन की एमआरआइ करवाई और रीढ़ की हड्डी, नसों व गोली की स्थिति का पूरी तरह से पता लगाया। इसके बाद दो घंटे तक चले इस जटिल माइक्रो न्यूरोसर्जीकल ऑपरेशन में डॉक्टर नवीन ने एडवांस्ड दूरबीन की मदद से बिना किसी नस को नुकसान पहुंचाए गोली को निकल दिया पूर्ण ¨सह को 9 साल पुराने दर्द से निजात दिलवाई। ऑपरेशन के अगले ही दिन पूर्ण ¨सह को चला भी दिया गया। बिना किसी दर्द के अपने पैरों पर चले पूर्ण ¨सह की आंखें नम थीं। पूर्ण ¨सह ने बताया कि वे इलाज से संतुष्ट हैं। एनएचएस अस्पताल में उनका इलाज बाकी अस्पतालों के मुकाबले पांचवें हिस्से में ही हो गया।