जालंधर में मेयर राजा के तीन साल... कांग्रेस विधायकों के ही निशाने पर रहे, परगट ने बताया कमजोर
जालंधर में तीन साल के कार्यकाल में मेयर जगदीश राजा अपनी ही पार्टी के नेताओं के निशाने पर बने रहे। विधायक परगट सिंह ने उन्हें सार्वजनिक मंच से कमजोर मेयर बताया। विधायक सुशील रिंकू ने भी शहर में कांग्रेस की खराब होती स्थिति के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराया।
जालंधर, जेएनएन। मेयर जगदीश राजा का तीन साल का कार्यकाल न चाहते हुए भी राजनीतिक विवादों से घिरा रहा। राजा कभी खुद किसी विवाद में नहीं फंसे लेकिन पार्टी के ही नेताओं के निशाने पर बने रहे। विधायक परगट सिंह के बयानों ने मेयर राजा को कई बार चर्चा में ला खड़ा किया।
पहले 2 साल में तो परगट सिंह ने कई बार मेयर पर निशाना साधा। उन्हें सार्वजनिक मंच से कमजोर मेयर बता डाला था। विधायक परगट सिंह राजा को मेयर पद से हटाने के लिए जुगाड़ लगाते रहे। कई मौकों पर विधायक सुशील रिंकू ने भी मेयर पर निशाना साधा और शहर में कांग्रेस की खराब होती स्थिति के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराया। राजेंद्र बेरी से भी मनमुटाव देखने को मिला है।
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कूड़े की समस्या का हल नहीं, बायोमाइनिंग प्रोजेक्ट पर भी विवाद
मेयर के लिए पिछले तीन साल में वेस्ट मैनेजमेंट बड़ी समस्या रही है। न तो कूड़े के निपटारे के लिए कोई प्रोजेक्ट तय हो पाया और न ही शहर में सफाई व्यवस्था सुचारू हो पाई। पुराने कूड़े को खत्म करने के लिए बायोमाइनिंग प्रोजेक्ट विवादों में घिरा हुआ है और इसे अभी तक शुरू नहीं किया जा सका। रोजाना शहर से निकलने वाले कूड़े के लिए कई प्रोजेक्ट बनाने के बाद पिट्स प्रोजेक्ट पर फोकस किया गया है लेकिन इसकी गति धीमी बनी हुई है। शहर की कई मेन रोड पर कूड़े के डंप बने हुए हैं जो अगले चुनावों में राजनीतिक मुद्दा बने रहेंगे।
चौधरी साहब! हुण मंग के विखाओं वोटां...
नगर निगम में भ्रष्टाचार घटने के बजाय बढ़ा
भ्रष्टाचार मिटाने का वादा करके मेयर की कुर्सी पर बैठने वाले जगदीश राजा के तीन साल के कार्यकाल में नगर निगम दफ्तर में भ्रष्टाचार की जड़ें और मजबूत हो गई हैं। तीन साल में एक भी बड़ा प्रोजेक्ट पूरा नहीं हो पाया। यह अलग बात है कि अगले दो सालों में कुछ प्रोजेक्टों के कंप्लीट होने पर मेयर की नजरें टिकी हैं। पिछले तीन महीनों स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट को लेकर उन्होंने तेजी भी लानी शुरू की है। मेयर का अभी दो साल का कार्यकाल बचा है। इन दो सालों में सड़कों, सीवरेज, कूड़ा तथा स्ट्रीट लाइटों सहित स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्टों पर मेयर का आगे का सियासी भविष्य टिका है।
पंडिज जी ने केहा... तां ही बड्डा कोट ते बड्डे बूट पाए ने...
यूनियनबाजी का दबाव और कमिश्नर की दखलअंदाजी
मेयर और नगर निगम की यूनियनों में भी टकराव रहा है। निगम अफसरशाही पर यूनियनों का खासा प्रभाव रहा है लेकिन मेयर ने पिछले 3 साल में यह दबाव कम करने में सफलता भी हासिल की है। नगर निगम में अब तक जितने कमिश्नर रहे हैं मेयर की उनसे कम ही बनी है। मौजूदा कमिश्नर करनेश शर्मा शहर के ही कुछ विधायकों की पसंद है लेकिन कमिश्नर की सक्रियता से मेयर ज्यादा खुश नहीं। मौजूदा कमिश्नर सिर्फ नगर निगम ही नहीं स्मार्ट सिटी कंपनी के सीईओ भी है और पुडा के चीफ एडमिनिस्ट्रेटर भी हैं, ऐसे में उनका शहर के कई कामों में दखल रहता है।
यूनियण वालों... हुण लै के दिखाओ पंगा...।
मेयर पर अफसर हावी
मेयर जगदीश राजा अब राजनीतिक रूप से मजबूत नजर आ रहे हैं और विधायकों के साए से बाहर निकल कर शहर में राजनीतिक दखल बढ़ा रहे हैं। हालांकि इस बीच अफसरीशाही पर पकड़ कमजोर हो रही है। अफसर इस समय निगम में हावी है और पार्षदों, एडहाक कमेटियों के चेयरमैन की बात तक नहीं सुन रहे। अफसर तो कई मामलों में हाउस में ही अपना दबाव बनाते दिखे हैं।
जालंधर च आपणा झाड़ू वी नइ चल्लेया...।
पद से हटाने की चर्चा के बीच अब खुद ले रहे फैसले
मेयर जगदीश राजा के पहले दो साल के कार्यकाल को देखते हुए पार्टी में ही उनका विरोध शुरू हो गया था। शहर में विकास कार्य थम जाने से मेयर से उनके ही करीबी विधायक भी नाराज रहे। इस बीची उन्हें पद से हटाने के लिए भी लाबिंग शुरू हो गई थी लेकिन भाग्य ने उनका साथ दिया और वह इस पद पर बने हुए हैं। वह अब राजनीतिक रुप से मजबूत हो रहे हैं और निगम के महत्वपूर्ण कामों में विधायकों के बजाय खुद फैसले लेने लगे हैं।