कमाल का है यह हीटर, माइनस 20 डिग्री में भी देगा गर्मी, जहरीली गैस व फटने का भी डर नहीं
डिफेंस इंस्टीट्यूट ऑफ फिजियोलॉजी एंड अलाइड साइसेंस ने ऐसा हीटर तैयार किया है जो माइनस 20 डिग्री तापमान में भी गर्मी देगा।
जालंधर, [मनीष शर्मा]। वैज्ञानियों ने एक ऐसा कमाल का हीटर बनाया है जो बफीले हालत और कितनी भी ठंड में गर्मी देगा। सबसे खास बात है कि इससे न तो किसी तरह की जहरीली व नुकसानदायक गैस निकलेगी और न ही इसके फटने का खतरा होगा। यह दुनिया के सबसे ऊंचे युद्ध स्थल सियाचिन जैसे बर्फीले इलाकों में ड्यूटी करने वाले सेना के जवानों के लिए बहुत लाभदायक होगा। उनको माइनस 20 डिग्री में भी गर्माहट मिलेगी।
यह संभव होगा दिल्ली के डिफेंस इंस्टीट्यूट ऑफ फिजियोलॉजी एंड अलाइड साइसेंस के अनुसंधान से। संस्थान ने केरोसिन से चलने वाला हीटर (बुखारी) तैयार किया है। इसके जरिए 2 घंटे में उनका बंकर या कमरा 30 डिग्री तापमान तक गर्म हो जाएगा। इससे सैनिक आराम से ठंड से बचाव कर सकेंगे।
सियाचिन जैसे बर्फीले इलाकों में सैनिकों के लिए आएगा काम, सेना की एक लाख की डिमांड
जालंधर की लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी (एलपीयू) में चल रही 106वीं इंडियन साइंस कांग्रेस में इसे प्रदर्शित किया गया है। नॉर्थ सिक्किम में कामयाब ट्रायल के बाद अब आर्मी से एक लाख बुखारी की डिमांड आ चुकी है। इस बुखारी की खास बात यह है कि इससे पीली लौ की जगह जामुनी रंग की फ्लेम निकलती है। बुखारी की लौ से निकलने वाली जहरीली गैसों को बाहर निकालने के लिए छत के साथ अलग पाइप लगी है, जिससे कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड व हाईड्रोजन सल्फाइड जैसी गैसें सीधे बाहर निकल जाएंगी।
दिल्ली के डिफेंस इंस्टीट्यूट ऑफ फिजियोलॉजी एंड अलाइड साइसेंस द्वारा बनाया गया खास हीटर।
डिफेंस इंस्टीट्यूट ऑफ फिजियोलॉजी एंड अलाइड साइसेंस, दिल्ली का अनुसंधान
खास बात यह भी है कि छत पर निकली पाइप को इस तरीके से डिजाइन किया गया है कि चारों दिशाओं से कहीं से भी हवा चले तो वो पाइप के अंदर नहीं आ पाएगी। पहले जो ऐसे हीटर बनाए गए थे, उनमें पाइप के अंदर हवा आने की वजह से वो फट जाते थे। इसमें एग्जॉस्ट फैन भी दिया गया है।
ऐसे बर्फीले स्थानों के लिए बेहद उपयोगी हाेगा नया हीटर।
तकनीक को अपग्रेड किया
डिफेंस इंस्टीट्यूट ऑफ फिजियोलॉजी एंड अलाइड साइसेंस के अधिकारी इंद्रजीत सिंह के मुताबिक इस बुखारी में तकनीक को अपग्रेड किया गया है। पहले जहरीली गैसें भी स्ट्रक्चर के जरिए अंदर निकलती थीं और फटने का भी डर रहता था। अब इसमें कनवेक्शन मैथड से रेडिएशन जेनरेट कर जामुनी रंग की फ्लेम के जरिए गर्माहट निकलती है।