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दूसरे ग्रहों पर जीवन तलाशेगा थर्टी मीटर टेलीस्कोप, धरती पर जीवन के अंत का भी लगेगा पता

धरती के अलावा दूसरे किस ग्रह पर जीवन है? इसके लिए पांचों देशों की वैज्ञानिक तकनीकों से अंतरराष्ट्रीय प्रोजेक्ट थर्टी मीटर टेलीस्कोप (टीएमटी) तैयार किया जा रहा है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sat, 05 Jan 2019 07:54 PM (IST)Updated: Sun, 06 Jan 2019 04:35 PM (IST)
दूसरे ग्रहों पर जीवन तलाशेगा थर्टी मीटर टेलीस्कोप, धरती पर जीवन के अंत का भी लगेगा पता
दूसरे ग्रहों पर जीवन तलाशेगा थर्टी मीटर टेलीस्कोप, धरती पर जीवन के अंत का भी लगेगा पता

जालंधर, [मनीष शर्मा]। धरती के अलावा दूसरे किस ग्रह पर जीवन है? पांच देशों के वैज्ञानिक मिलकर इसकी खोज करेंगे। इनमें भारत के साथ अमेरिका, जापान, चीन व कनाडा के वैज्ञानिक शामिल होंगे। इसके लिए पांचों देशों की वैज्ञानिक तकनीकों से अंतरराष्ट्रीय प्रोजेक्ट थर्टी मीटर टेलीस्कोप (टीएमटी) तैयार किया जा रहा है।

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15 हजार करोड़ के इस प्रोजेक्ट के जरिए दूसरे ग्रहों पर जीवन तलाशने के साथ वैज्ञानिक ब्रह्मांड के शुरूआती दौर का आकलन भी कर सकेंगे। भारत की तरफ से इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स (आइआइए), बेंगलूरु टीएमटी का हिस्सा तैयार कर रहा है। इस तकनीक को लवली प्रोफेशनल यूनीवर्सिटी (एलपीयू) में चल रही 106वीं इंडियन साइंस कांग्रेस में प्रदर्शित किया गया।

इंडिया टीएमटी की प्रोजेक्ट साइंटिस्ट डॉ. रम्या सेतुराम ने बताया कि अभी तक अंतरिक्ष में 116 प्लेनेट देखे जा चुके हैं। इनमें धरती को छोड़ बाकी किस ग्रह पर जीवन है, इसका पता नहीं चल पाया है। मंगल ग्रह पर पानी के अंश मिले हैं। जीवन की खोज जारी है, इसलिए पांच देश मिलकर यह तकनीक विकसित कर रहे हैं। इसे अमेरिका के हुवाई प्रांत की पर्वत श्रृंखला मोनाकिया में लगाया जाएगा। जहां ठंडा रेगिस्तान है और वातावरण इतना साफ है कि आसमान बिल्कुल साफ दिखाई देता है। भारत सरकार इसमें 1500 करोड़ रुपये खर्च कर रही है।

धरती की तरह छोटा दिखेगा दूसरे ग्रहों का आकार

इस तीस मीटर दूरबीन (टीएमटी) कुल 492 मिरर लगे हुए हैं, जो धरती से सीधे आसमान में ग्रहों की तस्वीर खींचेंगे। बेहतर रेजोल्यूशन की तस्वीर से वैज्ञानिक बारीकी से ग्रहों पर जीवन या उसकी संभावना के बारे में विस्तृत अध्ययन कर सकेंगे। वैज्ञानिक डॉ. रम्या सेतुराम कहती हैं कि अभी तस्वीरों में ग्रह बड़े आकार में दिखते हैं तो उनके अंदर का दृश्य स्पष्ट नहीं हो पाता। यह दूरबीन 30 किलोमीटर रेजोल्यूशन पर ग्रहों की सतह की तस्वीर खींचेगी, जिससे हम उन ग्रहों में जीवन का अंश ढूंढने में कामयाब रहेंगे। भारत के पास 92 मिरर हैं जबकि बाकी चार देशों के पास हैं।

धरती पर जीवन की शुरूआत, अंत का भी अनुमान

वैज्ञानिक डॉ. रम्या सेतुराम कहती हैं कि इस टीएमटी के जरिए ग्रहों का 13 बिलियन प्रकाश वर्ष पीछे की जानकारी ले सकते हैं। इससे अगर किसी ग्रह में जीवन है या शुरूआत हो रही है तो हम यह जान सकेंगे कि वो किन कारणों से शुरू हुआ या फिर हो रहा है। वहीं, अगर किसी ग्रह पर जीवन था और खत्म हो गया तो यह अनुमान लग सकेगा कि वो किन कारणों से खत्म हुआ। इसके आधार पर हम अनुमान लगा पाएंगे कि धरती पर जीवन की शुरूआत कब व कैसे हुई और इसका अंत कब होगा।

बिग बैंग थ्योरी की हकीकत का भी पता चलेगा

बेल्जियम के वैज्ञानिक जॉर्जेस लेमैत्रे ने 1927 में बिग बैंग थ्योरी में बताया था कि पहले ब्रह्मांड एक बिंदु पर सिमटा था। जिसके बाद उसमें विस्फोट हुआ और उसके कण फैलने से ब्रह्मांड बनता गया। डॉ. रम्या के मुताबिक टीएमटी के जरिए होने वाली खोज से इस थ्योरी की हकीकत का पता चलेगा कि वास्तव में ब्रह्मांड ऐसे ही बना या नहीं।

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