जालंधर में देहात व शहरी पुलिस में काम व हदबंदी को लेकर चल रही खींचतान, दोनों में एक-दूसरे से आगे निकलने की रेस
जालंधर में शहरी व देहाती पुलिस के बीच काम और हदबंदी को लेकर खींचतान चली आ रही है। गावों में पुलिस अफसरों की तैनाती करके देहात पुलिस ने बाजी मार ली। शहरी पुलिस ने भी हर वार्ड में एक-एक वार्ड पुलिस अफसरों की तैनाती शुरू कर दी है।
जालंधर [मनोज त्रिपाठी]। शहरी व देहाती पुलिस के बीच काम और हदबंदी को लेकर सालों से खींचतान चली आ रही है। इस खींचतान में कभी शहरी पुलिस आगे निकल जाती है तो कभी देहात की पुलिस। दोनों के मुखिया भी इस शीतयुद्ध से अच्छी तरह वाकिफ हैं और इसे बढ़ावा भी देते रहते हैं। इस बार सभी गावों में विलेज पुलिस अफसरों की तैनाती करके पहले देहात की पुलिस ने बाजी मार ली है। ऐसे में शहरी पुलिस भी पीछे कहां रहने वाली थी। नतीजतन शहरी पुलिस ने अब हर वार्ड में एक-एक वार्ड पुलिस अफसरों की तैनाती शुरू कर दी है। अब इसे लेकर शहरी और देहाती पुलिस अफसरों में चर्चाओं का बाजार गर्म है कि किसने किसकी नकल की है। हालांकि तमाम पुलिस अफसरों की दिन बदलने वाले हैं, क्योंकि कुछ हो या न हो, इसी बहाने नई जिम्मेवारी के साथ उनका संबंधित इलाकों, गावों और वार्डों में जलवा-जलाल तो बनेगा।
केडी भंडारी सब पर पड़े भारी
भारतीय जनता पार्टी की तरफ से बीते सप्ताह राज्य में ध्वस्त कानून व्यवस्था को लेकर कंपनी बाग चौक पर सरकार के खिलाफ धरना दिया गया। धरने में शामिल लोगों को प्रदेश भाजपा प्रधान सहित भाजपा के आला नेताओं ने संबोधित किया। मौके पर भाजपा नेताओं की ज्यादा से ज्यादा समर्थकों के साथ शामिल होने को लेकर खींचतान दिखाई दी। एक तरफ भाजपा का धरना था तो दूसरी किसानों और कांग्रेसियों का धरना चल रहा था। पुलिस की कोशिश थी कि तीनों धरना स्थलों को पूरी तरह से किले की तरह सुरक्षित रखा जाए, जिससे एक-दूसरे के धरने में कोई शामिल न होने पाए। हालांकि लंबे समय बाद आयोजित भाजपा के बड़े धरने में शामिल तमाम नेताओं की मौजूदगी में जिस प्रकार से पूर्व विधायक व पूर्व सीपीएस केडी भंडारी के समर्थकों ने सही समय पर जोशीली नारेबाजी के साथ एंट्री मारी, उससे सारा शो भंडारी की झोली में चला गया।
इत्थे धरना देन दा फायदा नई
केंद्र सरकार के कृषि सुधार कानून को लेकर पंजाब के किसान 50 से ज्यादा दिनों से पंजाब सहित दिल्ली में आंदोलन कर रहे हैं। अपनी बात मनवाने के लिए किसानों ने भाजपा नेताओं को भी निशाना बनाना शुरू कर दिया है। पहला निशाना किसानों ने भाजपा के सांसद व राज गायक हंसराज हंस को बनाया था, लेकिन वह घर पर नहीं थे। नतीजतन धरना देकर किसान लौट गए थे। लिंक रोड पर हंस का आवास है। तीन बार हंस के आवास का घेराव करने पहुंचे किसानों को जब कोई नहीं मिला तो अब किसान हंस का आवास छोड़कर पूर्व मंत्री मनोरंजन कालिया के आवास का रुख करने लगे हैं। बीते दिनों भी यही हुआ। किसानों ने हंस का आवास घेरने की रणनीति बनाई और अमल कर डाला। मौके पर पहुंचने के बाद उन्हें अहसास हुआ कि हंस तो घर पर मिलेंगे नहीं, उनका घेराव करने के लिए दिल्ली जाना पड़ेगा।
पहले था इंतजार, अब नहीं बेकरार
कोरोना वैक्सीन का इंतजार पिछले नौ महीने से लोग कर रहे थे। कोरोना काल में तमाम सावधानियों को अपनाकर लोगों ने पूरे धैर्य के साथ समय गुजारा। इस बीच हजारों लोग कोरोना की चपेट में आए और लाखों लोगों ने सरकारी हिदायतों को मानकर इससे बचाव भी किया। उसी समय से लोगों को सबसे ज्यादा इंतजार वैक्सीन के आने का था। अब वैक्सीन जालंधर पहुंच गई है। गत शनिवार से इसे लगाने का काम भी शुरू कर दिया गया है, लेकिन इंतजार में परेशान होने वाले तमाम लोगों की बेकरारी अब वैक्सीन को लेकर हवा-हवाई हो चुकी है। ऐसे तमाम लोग अब इंतजार कर रहे हैं पहले दूसरे लोग वैक्सीन लगवा लें, फिर वह लगवाएंगे। यही वजह है कि वैक्सीनेशन को लेकर मोबाइल एप से सूचना देने के बाद भी प्रशासन को अपने स्तर से वैक्सीन लगवाने के लिए अधिकारियों व कोरोना के योद्धाओं को राजी करना पड़ रहा है।
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