चन्नी के सीएम बनने से विपक्ष ने फिलहाल जेब में रखा दलित कार्ड, बसपा कर रही सोशल इंजीनियरिंग, आप में सन्नाटा
पंजाब में शिअद बसपा से लेकर आप में अब दलित कार्ड खेलकर वोटरों को अपनी तरफ आकर्षित करने की रणनीति फिलहाल के लिए लगभग थमी हुई नजर आ रही है। बसपा अब भविष्य की राजनीति को देखते हुए जातीय समीकरणों का समतोल बनाने के लिए सोशल इंजीनियरिंग कर रही है।
जालंधर [मनुपाल शर्मा]। प्रदेश में चरणजीत सिंह चन्नी का मुख्यमंत्री बनना विपक्ष की राजनीति में फिलहाल के लिए बदलाव करवा गया है। शिरोमणि अकाली दल (शिअद), बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से लेकर आम आदमी पार्टी (आप) तक में अब दलित कार्ड खेलकर वोटरों को अपनी तरफ आकर्षित करने की रणनीति फिलहाल के लिए लगभग थमी हुई नजर आ रही है। कभी दलित एवं अल्पसंख्यक वर्ग के मसलों को लेकर राजनीति करने वाली बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अब भविष्य की राजनीति को देखते हुए जातीय समीकरणों का समतोल बनाने के लिए सोशल इंजीनियरिंग कर रही है। सर्व जातीय एवं सर्व धर्म का सत्कार करने वाली पार्टी बता कर अब कोशिश यह की जा रही है कि विधानसभा चुनाव में लगभग प्रत्येक जाति एवं धर्म से संबंधित प्रतिनिधित्व मिल सके।
आप में तो अब दलित मसले का जिक्र भर भी नहीं हो रहा है। आप राजनीतिक सक्रियता तो दिखा रही है, लेकिन निशाना कांग्रेस सरकार पर साधा जा रहा है। पार्टी में दलित प्रतिनिधित्व को लेकर फिलहाल किसी भी प्लेटफार्म से कोई बात नहीं की जा रही है। ऐसा ही कुछ हाल कमोबेश शिअद में भी है। निशाना कांग्रेस सरकार की कारगुजारी पर लगाया जा रहा है लेकिन कांग्रेस की तरफ से चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाए जाने का कोई विरोध अथवा टिप्पणी नहीं की जा रही है।
हालांकि कांग्रेस में हुई उठापटक से ठीक पहले तमाम विपक्षी पार्टियां दलित राजनीति को लेकर खासी सक्रिय नजर आ रही थी। बसपा दलित एवं अल्पसंख्यक वर्ग के साथ सरकार के साथ किए जा रहे व्यवहार को धक्केशाही बता रही थी तो शिअद सरकार बनने पर दलित उप मुख्यमंत्री बनाए जाने की घोषणा कर चुकी थी। हालांकि कांग्रेस ने चुनाव से ठीक कुछ महीने पहले प्रदेश का मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को बनाकर विपक्ष से दलित कार्ड तो फिलहाल छीन ही लिया गया नजर आ रहा है।