Move to Jagran APP

दो सौ साल से भी पुराना है शेखां बाजार, आज हर ब्रांड की चीज मिलती है यहां Jalandhar News

बंटवारे से पहले यहां पर सबसे ज्यादा संख्या में शेख बिरादरी के लोग रहते थे। तब जालंधर में मुस्लिम आबादी काफी थी। इन्हीं में शेख व पठान भी थे। सभी अलग-अलग मोहल्लों में रहते थे।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Sun, 03 Nov 2019 05:04 PM (IST)Updated: Mon, 04 Nov 2019 09:14 AM (IST)
दो सौ साल से भी पुराना है शेखां बाजार, आज हर ब्रांड की चीज मिलती है यहां Jalandhar News
दो सौ साल से भी पुराना है शेखां बाजार, आज हर ब्रांड की चीज मिलती है यहां Jalandhar News

जालंधर, जेएनएन। जालंधर के सबसे व्यस्त बाजारों में से एक है शेखां बाजार। हर दिन हजारों लोग यहां से गुजरते व खरीदारी करते हैं, लेकिन शायद ही इनमें से कोई यह जानने की कोशिश करता है कि इसका नाम ‘शेखां बाजार’ क्यों है... 200 साल से भी पुराना इतिहास अपने में समेटे है इस बाजार की आबो-हवा। आखिर क्या है इसके नाम का राज... आइए जानते हैं।

loksabha election banner

फूल्लां वाला चौक से लेकर टिक्की वाले चौक तक फैला शेखां बाजार अपने आप में एक खास महत्व रखता है। हर वक्त यहां पर चहल-पहल लगी रहती है। लोगों की भीड़ हर वक्त यहां देखने को मिलती है। बाजार का इतिहास बहुत ही रोचक है। समय के साथ इसकी रूपरेखा भी बदलती रही। जैसे कि इसके नाम से ही प्रतीत होता है ‘शेखां’ यानी ‘शेख’ से संबंधित होना चाहिए। बंटवारे से पहले यहां पर सबसे ज्यादा संख्या में शेख बिरादरी के लोग रहते थे। तब जालंधर में मुस्लिम आबादी काफी थी। इन्हीं में शेख व पठान भी थे। सभी अलग-अलग मोहल्लों में रहते थे। इस बाजार को शेखों की ज्यादा संख्या के चलते इसे शेखां बाजार के नाम से बुलाया जाने लगा था। तब से आज तक इसका नाम ‘शेखां बाजार’ ही लोगों की जुबां पर चढ़ा हुआ है। यह बाजार तहजीब के लिए भी जाना जाता था। कारण नीचे शेखों की दुकानें होती थीं और बाजार के एक हिस्से में दुकानों के ऊपर कोठे भी थे।

शेख कोठों में आराम फरमाते थे 

इस बाजार में स्थित चावला क्लॉथ हाउस के मालिक विजय चावला के अनुसार अफगानिस्तान तक से व्यापारी यहां पर खरीदारी करने आते थे। खरीदारी के बाद तमाम व्यापारी आराम फरमाने के लिए कोठों का इस्तेमाल करते थे। आज इस बाजार का स्वरूप बदल चुका है। परिधानों से लेकर विभिन्न प्रकार की वस्तुओं की दुकानें यहां पर सजी रहती हैं। पहले बाजार की गलियां तंग थीं। बंटवारे के बाद तमाम दुकानों का निर्माण नए सिरे से करवाया गया तो थड़ों के कब्जों के चलते गलियां तंग होती गईं और बाजार की सूरत बिगड़ गई है।
 

चावला बताते हैं कि कोर्ट के आदेश के बाद तमाम दुकानों द्वारा किए गए कब्जों को हटवा कर गली को चौड़ा करवा दिया गया। इस बाजार में कई जाने-माने व्यापारी हैं, जिनका काम जैसा पहले चलता था आज भी उतनी तेजी से बल्कि दुगनी तेजी से चल रहा है। इस बाजार में ज्यादातर जूतों की दुकानें हैं, इसके चलते तमाम लोग इसे जूतों के बाजार के नाम से भी जानते हैं। आज इस बाजार में हर तरह के कपड़ों व जूतों के ब्रांड मिलते हैं। कुछ दुकानदार पाकिस्तान से आकर भी यहां बसे हैं। विजय चावला और गुलशन भी उन्हीं में से हैं।

शहर के लोग मॉल में न जाकर इस बाजार में आना ज्यादा पसंद करते हैं। शेखों से संबंधित शेखां बाजार उस वक्त के शेखों की याद दिलाता रहता है। बाजार का स्टाइल आज भी वही है नीचें दुकानें और ऊपर घर, लेकिन कुछ दुकानदारों ने जो इस बाजार में नहीं रहते हैं उन्होंने अपनी दुकानों को दो से तीन मंजिलों तक में फैला लिया है। बच्चों, महिलाओं तथा पुरुषों के परिधानों से लेकर घरेलू उपयोग की लगभग सभी वस्तुओं से भरा यह बाजार आज भी इतिहास के झरोखों से शेखों की अमीरी की याद दिलाता है।

एनआरआई की पहली पसंद है शेखां बाजार: विजय चावला

बाजार में दुकान चलाने वाले विजय चावला बताते हैं हमारी दुकान चावला क्लॉथ हाउस 1958 में बाजार में खुली थी। यह बाजार इतना फेमस है कि यहां पर एनआरआई का आना जाना लगा रहता है वह यहां से अपनी जरूरत की चीजें लेकर जाते हैं। यहां की लगभग दुकानों से एनआरआई अपनी जरूरत की चीजें खरीदकर विदेश ले जाते हैं। कारण केवल एक ही है यह बाजार बाकी बाजारों से सस्ता है और पुराना है।

इस बाजार से बदलते हुए देखा है: गुलशन

इसी बाजार में विमल ग्लैमर वर्ल्ड के नाम से दुकान चलाने वाले गुलशन बताते हैं कि उनके परिजनों ने 1964 में यहां दुकान खोली थी। मैं 1986 से इस दुकान को संभाल रहा हूं। मैंने इस बाजार के कई बदलते रूप देखे हैं। इस बाजार में लोगों को उनकी जरूरत के सब चीजें मिल जाती है।

हरियाणा की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

पंजाब की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.