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उल्टा चश्मा: ठेकेदार को महंगा पड़ गया पीपल को काटना

मामला पुलिस के पास पहुंच गया। अब पीपल को काटने वाले से लेकर ठेकदार ही नहीं बल्कि इमारत के मालिकों की भी हवा खराब हो गई है।

By Vikas_KumarEdited By: Published: Wed, 22 Jul 2020 09:21 AM (IST)Updated: Wed, 22 Jul 2020 09:21 AM (IST)
उल्टा चश्मा: ठेकेदार को महंगा पड़ गया पीपल को काटना
उल्टा चश्मा: ठेकेदार को महंगा पड़ गया पीपल को काटना

जालंधर, [शाम सहगल]। मामला छोटा बाजार शेखां से जुड़ा हुआ है। यहां पर एक इमारत में पिछले करीब चार दशक से पीपल का पेड़ लगा हुआ है। सनातन धर्म में ब्रह्मा स्वरूप माने जाते इस पीपल पर लोग समय के साथ जल का छिड़काव भी करने लगे थे। हालांकि कुछ दिन पहले ही बिल्डिंग कांट्रैक्टर ने यहां काम करने का ठेका लिया और अंदरखाते पीपल का पेड़ काटना भी शुरू कर दिया। फिर क्या था, हिंदू संगठनों को इसकी भनक लग गई और वे तुरंत इसका विरोध करने मौके पर पहुंच गए। बात उस समय और भी बढ़ गई जब पीपल की कटी शाखाओं के पास शराब की खाली बोतलें भी बरामद हुईं। इसके बाद मामला पुलिस के पास पहुंच गया। अब तो पीपल को काटने वाले से लेकर ठेकदार ही नहीं, बल्कि इमारत के मालिकों की भी हवा खराब हो गई है। पीपल को अंदरखाते काटना ठेकेदार को महंगा पड़ गया है।

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मंडी की सियासत आ गई रास

मकसूदां सब्जी मंडी में लगातार हो रहे कब्जे जिला मंडी बोर्ड के लिए भी बड़ी मुसीबत बने हुए हैं। अब चाहे इसे राजनीतिक दबाव कहें या फिर कारोबारियों की पैठ, विभाग चाहते हुए भी इन पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर पा रहा है। हालांकि इन दिनों मंडी के अंदर थोक कारोबारियों के दो गुट आमने-सामने हुए हैं, जिनकी सियासत इन कब्जों पर भारी पड़ती दिखी है। दरअसल, मकसूदां मंडी में फड़ों पर अवैध रूप से शेड डालकर कारोबार करने वाले व्यापारियों के खिलाफ दूसरे गुट ने अंदरखाते मोर्चा खोल दिया था, जिसके तहत विभाग को शिकायत देने से लेकर पूरे मामले पर आपत्ति भी जताई जा रही थी। बस फिर क्या था बोर्ड को कारोबारियों की सियासत का फायदा उठाने का मौका मिल गया। बोर्ड ने टीम ले जाकर इन कब्जों पर कार्रवाई कर दी। ऐसे में चर्चा है कि मंडी की सियासत बोर्ड को रास आ गई है।

राजनीति का कारण विभाग की बेबसी

राशन को लेकर सियासत गर्म है। पूर्व मंत्री मनोरंजन कालिया ने सेंट्रल हलके के विधायक राजिंदर बेरी पर सूर्या एन्क्लेव में सरकारी राशन स्टोर करने का आरोप लगाया है। साथ ही कहा कि बेरी यह राशन निजी स्थान पर रखकर मनमाने ढंग से चहेतों को बांट रहे हैं। देखते ही देखते विवाद बढ़ा और शिरोमणि अकाली दल और आम आदमी पार्टी भी इसमें कूद गई है। हालांकि इस पूरे घटनाक्रम का कारण रहा है फूड एंड सिविल सप्लाई डिपार्टमेंट की बेबसी। भले ही शहर में राशन के 300 डिपो हैं, लेकिन अधिकतर डिपो तंग इलाकों में हैं, जिस कारण राशन निजी स्थानों पर रखना पड़ रहा है। फूड इंस्पेक्टर की निगरानी में राशन को खुले क्षेत्र में वितरित किया जाता है, लेकिन फिर शेष बचे सामान को रखने के लिए विभाग के पास कोई विकल्प नहीं है। विभाग की इसी बेबसी के कारण यह राशन की सियासत हो रही है।

मंदी ने बदला कारोबारियों का मिजाज

कोरोना वायरस का संक्रमण रोकने के लिए लागू कफ्र्यू खत्म होते ही कारोबारी अपने-अपने इलाकों की दुकानें खोलने की मांग को लेकर जिला प्रशासन तक पहुंच करने लगे थे, लेकिन इन दिनों कारोबारियों का मिजाज कुछ बदल सा गया है। बाजार में मंदी के चलते दिन भर खाली बैठे रहने को मजबूर दुकानदार अब दुकानें खोलने का समय घटाने की मांग करने लगे हैं। कई इलाकों के दुकानदार तो एसोसिएशन के स्तर पर दुकानों का समय बदलने की भी योजना बनाने लगे हैं। इसकी ताजा मिसाल पीर बोदलां बाजार से मिलती है। यहां सरकार द्वारा दुकानें बंद करने के लिए निर्धारित आठ बजे की बजाय एसोसिएशन के स्तर पर दो घंटे पहले ही दुकानें बंद करने की योजना बनाई जा रही है। इसके लिए जिला प्रशासन के समक्ष मांग रखने का भी फैसला लिया गया है। इसके साथ ही शनिवार को भी दुकानें बंद रखने की मांग हो रही है।


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