नहीं थम रही सिलेंडर की कालाबाजारी
जिले में लाल सिलेंडर की कालाबाजारी थम नहीं रही है।
शाम सहगल, जालंधर
रसोई गैस सिलेंडर की ऑनलाइन बुकिग का प्रावधान होने के बावजूद जिले में लाल सिलेंडर की कालाबाजारी थम नहीं रही है। केवल होटल, रेस्टोरेंट व ढाबों पर ही इसका इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है, बल्कि रसोई गैस के छोटे सिलेंडर में रीफिलिग का धंधा भी चल निकला है। जी हां, 14.2 किलो वाले रसोई गैस सिलेंडर को अब कई दुकानदार पांच किलो वाले सिलेंडर में रीफिलिग करके बेच रहे हैं।
यहीं बस नहीं इस पूरे धंधे में सुरक्षा मानकों को दरकिनार किया जा रहा है, जो कभी भी बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकते हैं। 'दैनिक जागरण' की टीम ने भार्गव कैंप, मोहल्ला मखदूमपुरा तथा लिक रोड पर दौरा किया। इन्हीं इलाकों के ज्यादातर दुकानदार घरेलू गैस सिलेंडर से गैस निकालकर छोटे सिलेंडर में रीफिल करने का काम करते हैं। कमाई के लालच में दुकानदार तमाम नियम व सुरक्षा मानकों को दरकिनार कर रहे हैं। मोटी कमाई करते हैं दुकानदार
इन दिनों रसोई गैस सिलेंडर की कीमत 885.50 रुपये है। इस हिसाब से यह गैस प्रति किलो 64 रुपये के लगभग पड़ती है। जिसे छोटे गैस सिलेंडर में 100 रुपये प्रति किलो के हिसाब से भरकर बेचा जा रहा है। एक दुकानदार रोजाना औसत दो सिलेंडरों की बिक्री कर रहा है। यहां होता है इस्तेमाल
छोटे गैस सिलेंडर का अधिकतर इस्तेमाल स्वर्ण आभूषण तैयार करने वाले करते हैं। इसका कारण ये है कि छोटे गैस सिलेंडर के तेज प्रैशर से आभूषण की शेप आसानी से तैयार हो जाती है। दूसरा दुकान पर रखने में भी आसानी रहती है। इसके अलावा रेहड़ी वाले छोटे सिलेंडर से लाइट जलाने का काम करते हैं। वहीं छोटे सिलेंडर का इस्तेमाल वे लोग भी करते हैं जिनके पास रसोई गैस कनेक्शन नहीं है। घरेलू सिलेंडर से निकाली जा रही गैस
रसोई गैस सिलेंडर के सप्लायर अक्सर सिलेंडरों से गैस निकालते हैं। इसके लिए वे बांसुरीनुमा यंत्र का इस्तेमाल करके हर सिलेंडर से औसत एक किलो गैस चुरा रहे हैं। ये बात अलग है कि अधिकतर उपभोक्ता सिलेंडर लेते समय इसका वजन नहीं करता है। हाल ही में पुलिस लाइन में हुए खुलासे के बाद विभाग व ऑयल कंपनियां जरूर सक्रिय हुई हैं। ऑनलाइन बुकिग पर ही होती है सप्लाई
इस बारे में ऑल इंडिया एलपीजी डिस्ट्रीब्यूटर फेडरेशन के जिला अध्यक्ष ललतेश भसीन बताते हैं कि रसोई गैस की सप्लाई सभी एजेंसियां ऑनलाइन बुकिग पर ही करती हैं। हर कंपनी ने उपभोक्ताओं को ये सुविधा दी है। लोग अपनी ऑयल कंपनी के ऑनलाइन नंबर पर गैस की बुकिग करवाते हैं, जिसकी तुरंत सप्लाई दे दी जाती है। उपभोक्ता भी कर रहा गैस की कालाबाजारी
सब्सिडी पर रसोई गैस सिलेंडर हासिल करने वाले कई उपभोक्ता खुद ही इसकी कालाबाजारी कर रहे हैं। दरअसल एक उपभोक्ता को वर्ष भर में 12 गैस सिलेंडर सब्सिडी पर दिए जाते हैं। कम इस्तेमाल होने पर उपभोक्ता गैस की बुकिग तो करवा लेते हैं, लेकिन सप्लाई लेकर अधिक पैसे लेकर बेच देते हैं। ऐसा शहर की कई कालोनियों में हो रहा है। समय-समय पर की जाती है जांच
इस बारे में जिला खाद्य आपूर्ति अधिकारी नरेंद्र सिंह बताते हैं कि लोगों को रसोई गैस की सप्लाई लेने में दिक्कत पेश ना हो, इसके लिए समय-समय पर गैस एजेंसियों की इंस्पेंशन की जाती है। रसोई गैस सिलेंडर की कालाबाजारी के सवाल पर उन्होंने कहा कि फिलहाल उनके पास कोई शिकायत नहीं मिली है। लिहाजा इसका संज्ञान लेते हुए जांच करवाई जाएगी।