ऐसी तो न थी हमारी जालंधर की शान 'निक्कू पार्क', प्रशासन के अधीन आते ही झूले टूटे; गंदगी बनी पहचान
फंड और निगरानी की कमी के कारण निक्कू पार्क की सूरत बदरंग होने लगी है। सितंबर 2019 में कब्जा लेने के बाद से ही जिला प्रशासन निक्कू पार्क को मेनटेन कर रहा है लेकिन लाकडाउन में निक्कू पार्क बंद रहा और फंड में कमी आई।
जालंधर, जेएनएन। शहर में बच्चों के आकर्षण का केंद्र निक्कू पार्क एक बार फिर चर्चा में है। इस बार चर्चा निक्कू पार्क के हालात को लेकर हो रही है। सितंबर 2019 में कब्जा लेने के बाद से ही जिला प्रशासन निक्कू पार्क को मेनटेन कर रहा है। लाकडाउन में कई महीने निक्कू पार्क बंद रहने और फंड की कमी से रखरखाव में आई कमी से निक्कू पार्क की इंफ्रास्ट्रक्चर की हालत बिगड़ रही है।
यहां कई झूलों को रेगुलर मेंटीनेंस की जरूरत होती है। निक्कू पार्क में इस समय कई झूले टूट चुके हैं। सफाई व्यवस्था भी बिगड़ी हुई है। लाकडाउन के दौरान निक्कू पार्क करीब आठ महीने तक बंद रहा। ऐसे में निगम के पास जो भी फंड था, वह स्टाफ को सैलिरी देने में खर्च हो गए। आर्थिक स्थिति बिगड़ी तो कई मुलाजिमों को काम से भी निकाला गया। अब निक्कू पार्क दोबारा शुरू हो गया है, लेकिन कोरोना के डर से लोग कम ही आ रहे हैं। पूरे झूले काम न करने से आय भी कम हो रही है। टूटे झूले की मरम्मत के लिए फंड का जुगाड़ नहीं हो पा रहा। निक्कू पार्क चिल्ड्रन वेलफेयर सोसायटी कई वर्षो तक इसे संभालती रही। इस पर कमेटी मेंबरों का फोकस पूरा बना रहता था, लेकिन अब सरकारी अधिकारियों के पास जिम्मेवारी है तो काम पूरा सरकारी सिस्टम की तरह ही हो रहा है।
खराब झूलों का बंद कर दिया है इस्तेमाल : ज्वाइंट कमिश्नर
निक्कू पार्क का रखरखाव कर रही 13 मेंबरी कमेटी के प्रमुख नगर निगम के ज्वाइंट कमिश्नर हरचरण सिंह ने कहा कि लाकडाउन के कारण झूलों को नुकसान पहुंचा है। खराब झूलों को फिलहाल चलाने से मना कर दिया गया है। कमेटी आय बढ़ाने का प्रयास कर रही है। पैसा आते ही झूलों को रिपेयर करवाया जाएगा। लाकडाउन खत्म होने के बाद से ही पार्क के रखरखाव के लिए प्रयास कर रहे हैं।
लीज खत्म होने पर लिया था प्रशासन ने कब्जा
1984 से ही निक्कू पार्क शहर के आम लोगों और बच्चों के लिए मनोरंजन का साधन है। निक्कू पार्क चिल्ड्रेन वेलफेयर सोसायटी के नाम पर 20 सालों से चल रही लीज 17 सितंबर 2019 को खत्म हो गई थी और 18 सितंबर को प्रशासन ने सुबह ही कब्जा लेकर पार्क सील कर दिया था। लोगों के विरोध के बाद प्रशासन को 19 सितंबर को पार्क की सील खोलनी पड़ी थी। इस समय नगर निगम के ज्वाइंट कमिश्नर हरचरण सिंह के नेतृत्व में 13 सदस्यीय कमेटी इसका रखरखाव कर रही है।
घर की तरह ध्यान देंगे तो सब ठीक होगा: पुरानी कमेटी
कई साल तक निक्कू पार्क का सफलता से संचालन करती रही कमेटी के पदाधिकारियों को कहना है कि पार्क को नौकरी मानकर मेनटेन नहीं किया जा सकता। यह जुनून व समर्पण का काम है। इसके लिए पूरे सिस्टम में खुद को शामिल करना पड़ता है। जब घर की तरह देखभाल करेंगे तो अपने आप ही सब ठीक होने लगेगा।
इस पर उठ रहे सवाल
’>>रखरखाव के अभाव में कई झूले टूट गए हैं
’>>पार्क में कई जगह कूड़े के ढेर लगे हैं, जिन्हे लंबे समय से उठाया नहीं जा रहा
’>>बाथरूमों की हालत खराब है। नल टूटे हुए हैं। सफाई भी नहीं हो रही
’>>फूड और झूले के रेट भी बढ़ाए जा रहे हैं
’>>कार और स्कूटर पार्किग के लिए फीस ली जा रही है जो पहले नहीं थी
’>>सैर करने वालों से भी 300 रुपये महीना फीस ली जा रही है
’>>अंतरिम कमेटी सिर्फ आय बढ़ाने पर जोर दे रही है, जबकि मेंटेनेंस पर काम नहीं हो रहा