विद्यार्थियों ने निखारा शाही तालाब का रूप
मुगलकाल में नकोदर में बने शाही तालाब की कुछ वर्ष पहले बहुत दयनीय स्थिति थी।
लेखराज, जालंधर : पानी की संभाल करना हम सबका दायित्व है। इसके लिए प्रशासन व कई संस्थाओं की ओर से लोगों को जागरूक करने के लिए मुहिम भी चलाई जा रही है। कई जगह पुराने छप्पड़, तालाब और कुएं अपना वजूद खो चुके हैं। पानी का जमीन में लेवल गिरता जा रहा है। इसके लिए हमें अभी से पानी का सदुपयोग करना होगा।
वहीं नकोदर में एक ऐसा तालाब भी है जिसकी हालत पहले बहुत दयनीय थी पर अब वह साफ व सुंदर बना दिया गया है। मुगलकाल में नकोदर में बने शाही तालाब की कुछ वर्ष पहले बहुत दयनीय स्थिति थी। तालाब में बहुत गंदगी फैली थी। इसके रखरखाव पर कई दशकों से नगर कौंसिल ने अपनी कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है।
दैनिक जागरण की तरफ से चलाए गए अभियान 'तलाश तालाबों की' के तहत इस शाही तालाब संबंधी प्रमुखता से प्रकाशित किया गया था। इस अभियान से जुड़कर सत्यम ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट नकोदर के विद्यार्थियों ने शाही तालाब को संवारने में अपना सहयोग दिया। इस तालाब के इर्द-गिर्द एक संस्था ने मिट्टी डालकर इसे सुंदर बनाने का काम किया है। पर इसके किनारों पर लोहे की जालीनुमा दीवार भी बना डाली है। इससे लोगों का वहां जाना मुश्किल हो गया है।
शाही तालाब जो पहले बड़ा तालाब था, अब मिट्टी की भरती डालने से छोटा हो गया है। तालाब के इर्द-गिर्द तरह-तरह के पेड़, फूल व घास लगाए जाने से इसकी सुंदरता बढ़ गई है। प्राचीन शिवालय मंदिर के साथ तालाब का हिस्सा जहां पहले गंदगी दिखाई देती थी, अब यहां से प्राकृतिक सुंदरता दिखाई देती है। नगर कौंसिल नहीं निभा रहा अपना दायित्व
अकसर प्रशासन अपनी हर मुहिम में लोगों का सहयोग मांगता है ताकि उसे सफल बनाया जा सके। जब किसी कार्य को पूरा करने या उसकी संभाल में प्रशासन की जिम्मेदारी की बात आती हो उसे भी पीछे नहीं हटना चाहिए। पर नकोदर के इस शाही तालाब की संभाल में नगर कौंसिल ने अपना कोई दायित्व नहीं निभाया है। यह शाही तालाब 12 एकड़ में फैला था। इसकी सफाई, रख-रखाव व संवारने में नगर कौंसिल नकोदर ने अपनी कोई भूमिका व दायित्व अभी तक नहीं निभाया है।
तालाब के किनारे लोहे की जालियां लगाने पर जताई नाराजगी
सीपीआइ (एम) के नेता सु¨रदर खीवा ने बताया कि तालाब को कई दशकों से अनदेखा किया जा रहा था। इसमें गंदगी की भरमार थी। इसकी सफाई व इसे संवारने में एक संस्था ने जो कार्य किया, वह सराहनीय है। हालांकि उन्होंने इसके किनारों पर लोहे की जालीनुमा दीवार लगाने पर नाराजगी जताई। कहा कि इससे जनता का तालाब से नाता टूट जाता है। उन्होंने नगर कौंसिल नकोदर के संबंधित अधिकारियों से मांग की कि वे स्पष्ट करें कि इस तालाब की मलकीयत किसकी है तथा अपना दायित्व निभाए।