स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र ने बचाई लाज, गवर्नेस में पिछड़े
केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय की ओर से जारी ईज ऑफ लि¨वग इंडेक्स यानी बसने योग्य बेहतर शहरों की सूची ने जालंधर की गवर्नेस पर सवालिया निशान लगा दिया है।
जागरण संवाददाता, जालंधर : केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय की ओर से जारी ईज ऑफ लि¨वग इंडेक्स यानी बसने योग्य बेहतर शहरों की सूची ने जालंधर की गवर्नेस पर सवालिया निशान लगा दिया है। जालंधर को 111 शहरों में से 77वां रैंक दिया गया है। इंडेक्स के मुताबिक महानगर में सबसे बुरा हाल सॉलिड वेस्ट या वाटर वेस्ट मैनेजमेंट में नहीं बल्कि गवर्नेस का है। शहर गवर्नेस के मामले में बेहद खराब 98वें स्थान पर है। वहीं, वाटर वेस्ट और सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट में भले ही पहले 50 शहरों में स्थान नहीं मिला हो पर गवर्नेंस के मुकाबले इन दो समस्याओं की जालंधर में स्थिति कुछ बेहतर है। इनमें शहर को 79वां स्थान मिला है। लाज बचाई शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र ने जिसमें शहर 31वां और 33वें स्थान पर रहा।
हालांकि इस सूची में जालंधर को सार्वजनिक खुले स्थान की श्रेणी में 10वां रैंक मिला है। महानगर सेफ्टी एंड सिक्योरिटी के मामले में 48वें और इकानॉमी और इंप्लायमेंट के मामले में 24वें स्थान पर है। पावर सप्लाई में 99वें रैंक, मिक्स लैंड यूज में 100वें पायदान और फिजिकल (जमीनी स्तर पर हालात) तौर पर 78वें पायदान तक लुढ़क जाने के चलते शहर को ओवरआल रैं¨कग में खासा झटका लगा है। गवर्नेंस के मामले में कुल 111 शहरों की सूची में 98वां स्थान मिलना ही यह साबित करता है कि शहर के हालात को सुधारने को लेकर शहर का प्रशासन कितना अगंभीर है।
इन ¨बदुओं पर जुटाया डाटा
सर्वे को हाउ¨सग एंड इंक्लूसिवनेस, ट्रांसपोर्टेशन, रेडयूस्ड पापुलेशन, एजुकेशन, आईडेंटिटी एंड कल्चर, मिक्स लैंड यूज एंड कांपैक्टनेस, सेफ्टी एंड सिक्योरिटी, एश्योर्ड वाटर सप्लाई, गवर्नेंस, पावर सप्लाई, वेस्ट वाटर मैनेजमेंट, पब्लिक ओपन स्पेसिज, सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट, फिजिकल आदि श्रेणियों में बांटा गया था। इन्हीं ¨बदुओं के हिसाब से आंकड़े जुटाए गए थे। बायो माइनिंग प्लांट न होने से हर सर्वे में पिछड़ता है जालंधर
सितंबर 2016 में नगर निगम के जनरल हाउस में शहर में बायो-माइ¨नग प्लांट लगाने का प्रस्ताव पारित कर सरकार को मंजूरी के लिए भेजा गया था। पर अभी तक सरकार द्वारा इस प्रोजेक्ट को मंजूरी नहीं दी जा सकी है। इसका सीधा असर सफाई और सेनीटेशन व्यवस्था पर पड़ रहा है। शहर में कचरे की पूरी तरह लि¨फ्टग नहीं हो पाती और कचरा सड़कों पर बिखर जाता है। स्वच्छता सर्वेक्षण में भी जालंधर पर वेस्ट टू एनर्जी प्लांट या बायोमाइ¨नग प्लांट नहीं होने की ही मार पड़ी थी।