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अष्टमी को लेकर श्री महालक्ष्मी व्रत आज, कलाई पर बंधेगा 16 गांठों वाला धागा Jalandhar News

अष्टमी को लेकर श्री महालक्ष्मी व्रत 22 सितंबर को मनाया जाएगा। शनिवार को शहर के मंदिरों में 16 गांठ बंधे धागे लेने वालों की भीड़ लगी रही।

By Edited By: Published: Sun, 22 Sep 2019 02:29 AM (IST)Updated: Sun, 22 Sep 2019 11:28 AM (IST)
अष्टमी को लेकर श्री महालक्ष्मी व्रत आज, कलाई पर बंधेगा 16 गांठों वाला धागा Jalandhar News
अष्टमी को लेकर श्री महालक्ष्मी व्रत आज, कलाई पर बंधेगा 16 गांठों वाला धागा Jalandhar News

जालंधर [शाम सहगल]। अष्टमी को लेकर श्री महालक्ष्मी व्रत 22 सितंबर को मनाया जाएगा। इसे लेकर शनिवार को शहर के मंदिरों में 16 गांठ बंधे धागे लेने वालों की भीड़ लगी रही। घर में धन व संपत्ति की आमद और बच्चों की दीर्घ आयु की कामना को लेकर रखे जाने वाले श्री महालक्ष्मी व्रत का पूजन शाम चार बजे से होगा। वहीं, बाजारों में फल तथा सरगी के दौरान खाए जाने वाले व्यंजनों की खरीदारी का दौर रात तक चला।

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इस बारे में श्री हरि दर्शन मंदिर, अशोक नगर के मुख्य पुजारी पंडित प्रमोध शास्त्री ने बताया कि इस दिन मां लक्ष्मी का पंचामृत स्नान करवाने से घर में उन्नति आती है। व्रत रखने वाली महिलाओं को कलाई पर 16 गांठों वाला धागा बांधकर ही व्रत की तमाम विधियों को पूरा करना होता है। मां लक्ष्मी की पूजा के दौरान चंदन, पत्र, पुष्प माला, अक्षत, दूर्वा, लाल सूत, सुपारी, नारियल, फल व मिठाई का भोग लगाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस व्रत का आगाज श्री राधा अष्टमी से ही हो जाता है, लेकिन, अब महिलाएं अंतिम यानि अष्टमी का व्रत ही रखती है। इस व्रत को लगातार सोलह वर्षों तक करने से विशेष शुभ फल प्राप्त होते हैं. इस व्रत में अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए. केवल फल, दूध, मिठाई का सेवन किया जा सकता है।

यह है व्रत के नियम :-

- व्रत रखने वाली महिलाएं अन्न का त्याग रखें

- तारों की छांव में भोजन करें

- तारों को अ‌र्घ्य देकर व्रत संपन्न करें

- व्रत पूजा के बाद पुरोहितों को भोजन करवाएं

श्री महालक्ष्मी व्रत कथा

श्री महालक्ष्मी व्रत कथा को लेकर पंडित आदित्य प्रसाद शुक्ला बताते है कि एक गांव में एक गरीब ब्राह्मण रहता था। वह नियमित रूप से भगवान श्री विष्णु का पूजन करता था। उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर उसे भगवान श्री विष्णु ने दर्शन दिए। इस दौरान ब्राह्मण से अपनी मनोकामना मांगने को कहा, जिस पर ब्राह्माण ने लक्ष्मी जी का निवास अपने घर में होने की इच्छा जताई। यह सुनकर भगवान श्री विष्णु ने मां लक्ष्मी की प्राप्ति का मार्ग ब्राह्मण को बताते हुए कहा कि मंदिर के सामने एक स्त्री आती है, जो यहां आकर उपले थापती है। उसे अपने घर आने का आमंत्रण देना। वह स्त्री ही देवी लक्ष्मी है। देवी लक्ष्मी जी के आने के बाद घर धन और धान्य से भर जाएगा। ब्राह्मण ने भगवान विष्षु के कहे मुताबिक ही किया। इस दौरान मां लक्ष्मी ने 16 दिनों तक लगातार व्रत करने और सोलहवें दिन रात्रि को चंद्रमा को अ‌र्घ्य देने की प्रेरणा दी। अब महिलाएं 16 दिन लगातार व्रत तो नहीं रख पाती। लिहाजा, 16 गांठ वाले धागे बांधकर व्रत की रस्में पूरी करती है।


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