82 वर्षीय रामनाथ की उम्मीदों पर भी फिर गया पानी
चेहरे पर झुरियां, कंपकपांते हाथ, अंदर को धंसी आंखें तथा लाठी के सहारे चलने वाले
शाम सहगल, जालंधर : चेहरे पर झुरियां, कंपकपांते हाथ, अंदर को धंसी आंखें तथा लाठी के सहारे चलने वाले 82 वर्षीय राम नाथ की उम्मीदों पर भी बारिश ने पानी फेर दिया। चंदन नगर के चौराहे में विभाजन से लेकर हर वर्ष श्री सिद्ध बाबा सोढल मेले पर गन्ने की गनेरियां बेचने वाले रामनाथ के चेहरे पर उदासी साफ झलक रही थी। बारिश के बावजूद चौंक में रेहड़ी लगा कर उदास बैठे रामनाथ को भी बारिश बंद होने का इंतजार था। लेकिन, बारिश ने दिन भर थमने का नाम ही नहीं लिया।
रामनाथ बताते हैं कि विभाजन के बाद से ही श्री सिद्ध बाबा सोढल मेले के दौरान इस जगह पर लगातार तीन दिनों तक गन्ने की गनेरियों की रेहड़ी लगाते है। उन्होंने कहा कि मेले के दिनों में वह दिन-रात पर यहीं रहते हैं। भले ही शरीर दुर्बल है, लेकिन अच्छी आय की आस में इन दिनों में शरीर में उर्जा आ जाती है। रामनाथ बताते है कि पत्नी सुदेश रानी उन्हें खाना देकर जाती है। संगत ¨सह नगर के रहने वाले रामनाथ बताते हैं कि विभाजन से पूर्व पाकिस्तान में भी वह फल-सब्जी का ही काम करते थे। वहीं, देश के विभाजन के बाद वह गन्ने की गनेरियों की रेहड़ी लगाकर गुजर-बसर करते हैं। उन्होंने बताया कि मेले को लेकर करीब एक हजार रुपये खर्च करके गन्ने लेकर आए थे। जिन की सफाई करके तथा छीलने के बाद खुद ही गनेरियां तैयार की। लेकिन, कुदरत को कुछ और ही मंजूर था। रामनाथ बताते हैं कि वह बारिश बंद होने तक वह यहीं पर इंतजार करेंगे। उन्होंने कहा कि भगवान पर पूरा विश्वास है कि बारिश बंद होने के बाद उनकी अच्छी बिक्री होगी। जब बारिश तेज हुई तो रेहड़ी के सामने मोबाइल रिपेयर का काम करने वाले ¨रकू मोदी ने रामनाथ को छत्तरी देकर बारिश से बचाव किया।