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एलआइसी को आठ लाख रुपये डेथ क्लेम देने का आदेश

कंज्यूमर फोरम ने एलआइसी को आठ लाख डेथ क्लेम देने के आदेश जारी किए।

By Edited By: Published: Tue, 11 Feb 2020 08:11 PM (IST)Updated: Wed, 12 Feb 2020 03:00 AM (IST)
एलआइसी को आठ लाख रुपये डेथ क्लेम देने का आदेश
एलआइसी को आठ लाख रुपये डेथ क्लेम देने का आदेश

जागरण संवाददाता, जालंधर : इंसान गलतियों का पुतला है लेकिन उसे ठीक कर लिया जाए तो उसे वेरीफाई कर जांचा जाना चाहिए। यह टिप्पणी करते हुए जिला कंज्यूमर फोरम ने एलआइसी को आठ लाख डेथ क्लेम देने के आदेश जारी किए। फोरम ने यह टिप्पणी मृतक की सेहत जांच की तारीख में हुई टाइ¨पग की गलती पर की थी, जिसके आधार पर क्लेम को खारिज कर दिया गया था। चरनजीत ¨सह व उसकी पत्नी रेशम कौर निवासी बोपाराय कलां, नकोदर ने कंज्यूमर फोरम को शिकायत दी कि उनके बेटे रवि पाल ने एलआइसी से तीन फरवरी 2016 को जीवन बीमा पॉलिसी ली थी। उसने पिता चरनजीत ¨सह को नॉमिनी बनाया था। मामले में रवि पाल की मां रेशम कौर भी शिकायतकर्ता बनीं। 16 अप्रैल 2017 को रवि पाल की मौत हो गई। पिता चरनजीत ने एलआइसी के पास क्लेम फाइल किया। जिसे एलआइसी ने खारिज कर दिया। एलआइसी ने तर्क दिया कि पॉलिसी में नॉमिनी की अनिवार्य शर्तें नहीं भरी गई हैं। एलआइसी ने कहा कि तीन फरवरी 2016 को प्रपोजल बनाने व चार फरवरी को रवि पाल का जीवन बीमा किया गया। रवि को कोई शारीरिक दिक्कत थी। एलआइसी ने तर्क दिया कि पॉलिसी कराने से पहले 25 जनवरी व 20 फरवरी 2016 को रवि की सीटी स्कैन हुई थी और जिसमें बोन डिफेक्ट नजर आया था। शिकायतकर्ता ने तर्क दिया कि यहां टाइ¨पग की गलती हो गई थी क्योंकि यह सीटी स्कैन 25 जनवरी 2017 व 20 फरवरी 2017 को हुआ था। इसके बारे में अस्पताल ने भी सर्टिफिकेट जारी किया था। बावजूद एलआइसी राजी नहीं हुई। नोटिस दिए जाने पर एलआइसी ने जवाब दिया कि इंश्योरेंस खारिज करने के बारे में शिकायतकर्ता ने पहले ही सारे कारण बता दिए हैं। दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद फोरम ने फैसला देते हुए कहा कि एलआइसी को नहीं भूलना चाहिए कि इंसान गलतियों का पुतला है। अगर कोई गलती ठीक कर ली जाती है तो उसे वेरीफाई व जांच लिया जाना चाहिए। मगर, इस मामले में एलआइसी ने कोई सुनवाई नहीं की। जब उसी अस्पताल ने टाइ¨पग की गलती का सर्टिफिकेट दे दिया तो एलआइसी ने उस पर विचार क्यों नहीं किया। यह सही है कि यह सर्टिफिकेट क्लेम खारिज होने के बाद लिया गया। इस वजह से एलआइसी के स्तर पर सेवा में कमी नहीं है। इसके बावजूद शिकायतकर्ता क्लेम की राशि का हकदार है। हालांकि हर्जाने व केस खर्च का हकदार नहीं है। फोरम के प्रेजिडेंट करनैल ¨सह व मेंबर ज्योत्सना ने एलआइसी को आदेश दिए कि वो मृतक रवि पाल की बीमा राशि का आठ लाख रुपया दोनों शिकायतकर्ताओं में बांटा जाए। इसके लिए फैसले की कॉपी मिलने के बाद एक महीने का वक्त दिया गया है। देरी पर उन्हें शिकायत करने की तिथि यानि 22 अप्रैल 2017 से 12 फीसद ब्याज के साथ राशि देनी पड़ेगी।

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