माता-पिता की सेवा सबसे उत्तम कर्म : दिव्यानंद
दिव्यानंद उदासीन ने कहा कि माता-पिता की सेवा सबसे उत्तम कर्म है।
जागरण संवाददाता, जालंधर : श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर स्वामी शांतानंद जी उदासीन के शिष्य दिव्यानंद उदासीन ने कहा कि माता-पिता की सेवा सबसे उत्तम कर्म है। उन्होंने कहा कि धार्मिक स्थान पर जाने से पहले घर बैठे मां-बाप की सेवा करनी चाहिए। वसंत पंचमी तथा बावा लाल दयाल जी के जन्म दिवस को लेकर बावा लाल दयाल आश्रम दिलबाग नगर बस्ती गुजां में जारी संगीतमय श्रीराम कथा तथा वसंत उत्सव के दौरान प्रवचन करते हुए दिव्यानंद उदासीन ने मां-बाप की सेवा को सबसे उत्तम कर्म बताया।
कथा का आगाज श्री गुरु वंदना के साथ किया गया। इसके उपरांत दिव्यानंद उदासीन ने कहा कि इंसान ताउम्र अपने मां-बाप का कर्ज नहीं उतार सकता। अगर समाज में माता-पिता के प्रति संतान तमाम जिम्मेदारियां पूरी करे तो वृद्धाश्रमों की जरूरत नहीं पड़ेगी। महामंडलेश्वर 1008 महंत गंगा दास ने कहा कि प्रभु श्री राम ने अपने पिता का वचन पूरा करने के लिए 14 वर्ष का वनवास काटकर समर्पण की मिसाल दी थी। महंत केशव दास ने सभी को वसंत उत्सव की बधाई देते हुए आश्रम द्वारा किए जा रहे धार्मिक आयोजनों के बारे में विस्तार से बताया। आश्रम की तरफ से श्री दिव्यानन्द उदासीन को सम्मानित किया गया। आरती पूजा के उपरांत भंडारे का आयोजन हुआ। इस मौके पर रामपाल शर्मा, विपन शर्मा, गोपाल अत्री, सत्येंद्र शर्मा, भगत मनोहर लाल, भूषण करीर, नरेंद्र गुप्ता, पवन प्रभाकर, मास्टर मुनीलाल, धर्मपाल शर्मा, कुलदीप, करण कुमार, राजेंद्र, काका, रमेश महाजन, सतपाल, पप्पू, वरुण वर्मा, राजेश लाडी, अभि वर्मा, अभिषेक लूथर, आशीष शर्मा, चिराग वर्मा, गगन सहदेव, सुभाष, अनुराग चावला, सेम वर्मा, जतिन वर्मा, रोहित कपूर, राकेश अरोड़ा, रोहित सचदेवा व विजय भाटिया मौजूद थे।