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शहरनामाः युवा नेता के आगे भाजपा के दिग्गज फेल, कई बड़े नेताओं के चेहरे उतरे

प्रधानगी की दौड़ में शामिल रहे दावेदार अब यह पता कर रहे हैं कि ऐसा क्या था कि पार्टी ने करीब आधा दर्जन दिग्गजों को किनारे करके सबसे कम उम्र के सुशील पर दांव खेला है।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Mon, 01 Jun 2020 12:44 PM (IST)Updated: Mon, 01 Jun 2020 12:44 PM (IST)
शहरनामाः युवा नेता के आगे भाजपा के दिग्गज फेल, कई बड़े नेताओं के चेहरे उतरे
शहरनामाः युवा नेता के आगे भाजपा के दिग्गज फेल, कई बड़े नेताओं के चेहरे उतरे

जालंधर, [मनोज त्रिपाठी]। भारतीय जनता पार्टी की सियासत में अचानक युवा चेहरा सामने आने से दिग्गजों की सिïट्टी-पिट्टी गुम सी हो गई है। वार्ड नंबर दो से पार्षद सुशील शर्मा के जिला प्रधान बनने के बाद सभी हैरान हैं कि यह फैसला कैसे हो गया। खास बात यह है कि सुशील न तो प्रधान पद की दौड़ में शामिल थे और न ही उन्होंने इसके लिए आवेदन किया था। इसके बावजूद पार्टी की ओर से उन्हें प्रधानगी सौंप दी गई। इससे मनोरंजन कालिया, राकेश राठौर, केडी भंडारी व भगत चूनी लाल के चहेतों में काफी निराशा है। प्रधानगी की दौड़ में शामिल रहे दावेदार अब यह पता कर रहे हैं कि ऐसा क्या था कि पार्टी ने करीब आधा दर्जन दिग्गजों को किनारे करके सबसे कम उम्र के सुशील पर दांव खेला है। पड़ताल में पता चला कि प्रभारी सुभाष शर्मा व सुशील एबीवीपी के प्रोडक्ट हैं और लंबे समय से दोस्त हैं।

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कोरोना को लेकर जिमखाना का खेल

शहर के सबसे प्रतिष्ठित जिमखाना क्लब के प्रबंधन ने कोरोना वायरस के संक्रमण से क्लब को बचाने के लिए सरकार व प्रशासन की हिदायतों की पूरी तरह पालना करते हुए क्लब को दो माह से बंद रखा है। इस दौरान क्लब में रुटीन में होने वाली खेल की गतिविधियां भी बंद हैं। हालांकि अब जैसे-जैसे कोरोना वायरस का खौफ लोगों में कम हो रहा है, क्लब के पदाधिकारी एक बार फिर से खेल गतिविधियां शुरू करने को लेकर बैठकें कर रहे हैं। इसके साथ ही वे अगले चुनाव की रणनीति व प्रचार में व्यस्त हो रहे हैं। क्लब में विभिन्न तरह के गेम्स खेलने वालों को पदाधिकारी यह संदेश देने में जुटे हैं कि वे अपने स्तर से गेम्स एक्टिविटीज शुरू करने के लिए प्रयासरत हैं। वैसे तो इन सबके पीछे एक ही कारण नजर आ रहा कि जब गेम्स दोबारा शुरू हों तो इसका श्रेय वे खुद ले सकें।

कूड़े की सियासत में कूदी भाजपा

शहर में कूड़े की सियासत कोई नई नहीं है। यह बीते 20 सालों से चली आ रही है। नगर निगम में जिस भी पार्टी का हाउस व मेयर होता है, न चाहते हुए भी उसे कूड़े की सियासत में कूदना ही पड़ता है। बीते दो सालों से कांग्रेस से संबंधित मेयर जगदीश राज राजा भी इसी सियासत में पिस रहे हैं। मेयर ने शहर से निकलने वाले कूड़े की सही मात्रा को जानने के लिए बीते कुछ दिनों से हर गाड़ी का वजन करवाना शुरू कर दिया है। पहले तो निगम ड्राइवरों ने ही इसका विरोध कर दिया और अब भाजपा से संबंधित पार्षद भी उनके विरोध में उतर आए हैं। पार्षदों का कहना है कि मेयर कूड़े को छोड़कर विकास पर फोकस करें। अब मेयर यह तो जानते हैं कि उन्हें विकास पर फोकस करना चाहिए, लेकिन कूड़े की समस्या का समाधान निकालना भी तो उनकी ही जिम्मेदारी है।

नीली वर्दी का खौफ अभी रहेगा...

कोरोना वायरस का संक्रमण रोकने के लिए लॉकडाउन व कर्फ्यू लगने के बाद पुलिस ने अपनी सहायता के लिए शहर में एक हजार वॉलंटियर तैनात कर लिए। कुछ ही दिनों बाद वे भी कम पड़ गए तो एक हजार वॉलंटियर और लगा दिए गए। इन्हें पुलिस मुलाजिमों के साथ ही नाकों पर तैनात किया गया था। पहले तो इन्हें सिविल वर्दी में ही तैनात किया गया था, बाद में पुलिस ने इन्हें नीले रंग की टी-शर्ट दे दी और हाथ में डंडा भी थमा दिया था। फिर क्या था, पुलिस पीछे और ये आगे हो गए। कफ्र्यू तोडऩे वाले तमाम लोग इनका शिकार हुए। कइयों से विवाद भी हुआ। बीते दिनों पुलिस ने इन्हें नाकों से हटा लिया तो लोगों ने राहत की सांस ली। हालांकि अब इन्हें दोबारा गली-मोहल्लों में राउंड लगाने को तैनात करने की तैयारी चल रही है तो फिर लोगों में डर पैदा हो रहा है। 


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