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Corona virus के मुकाबले सीजनल फ्लू काफी हल्का, घबराएं नहीं और डॉक्टर को जरूर दिखाएं

खांसी बुखार और सांस लेने में दिक्कत आना कोरोना वायरस के शुरुआती लक्षण हैं। इसके बाद यह निमोनिया की तरह छाती जकड़ लेता है। सीजनल फ्लू में इस तरह की समस्या नहीं आती है।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Sun, 29 Mar 2020 09:00 AM (IST)Updated: Mon, 30 Mar 2020 08:08 AM (IST)
Corona virus के मुकाबले सीजनल फ्लू काफी हल्का, घबराएं नहीं और डॉक्टर को जरूर दिखाएं
Corona virus के मुकाबले सीजनल फ्लू काफी हल्का, घबराएं नहीं और डॉक्टर को जरूर दिखाएं

जालंधर, जेएनएन। मौसम में बदलाव के चलते सीजनल फ्लू के लक्षणों को लेकर लोगों को कोरोना वायरस होने का भय सता रहा है। डाक्टरों के अनुसार सीजनल फ्लू के मुकाबले कोरोना वायरस काफी मजबूत है। सीजनल फ्लू को लेकर लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है। हालांकि दोनों के लिए ही एहतियात जरूरी है। डाक्टर को दिखाए बिना घर में ही इसका इलाज करवाने से परहेज करना चाहिए। दोनों का एक व्यक्ति से दूसरे तर फैलने का तारिका एक जैसा है। लोगों को अपनी प्रतिरोधक शक्ति मजबूत रखने की जरूरत है।

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सिविल अस्पताल के एसएमओ डॉ. कश्मीरी लाल का कहना है कि खांसी, बुखार और सांस लेने में दिक्कत आना कोरोना वायरस के शुरूआती लक्षण है। इसके बाद यह निमोनिया की तरह छाती जकड़ लेता है। सीजनल फ्लू में इस तरह की समस्या नहीं आती है। इसमें नजला, जुकाम और खांसी है और कुछ लोगों में बुखार होता है। बारिश के बाद हवा में डस्ट पार्टिकुलेट की वजह से एलर्जी से होने वाली बीमारियां कम हो गई हैं।

नीमा के प्रधान डॉ. परङ्क्षवदर बजाज का कहना है कि दोनों ही बीमारियां कमजोर प्रतिरोधक शक्ति वाले लोगों को निशाना बनाती हैं। प्रतिरोधक शक्ति को मजबूत बनाने के लिए सीजनल फलों के अलावा आंवला, दूध, दही का सेवन करना चाहिए। इस दौरान खट्टे और तले खाद्य पदार्थों का सेवन करने से गुरेज करना चाहिए।

आइमा के चेयरमैन डॉ. योङ्क्षगदर पाल का कहना है कि सीजनल फ्लू का असर सात दिन में खत्म हो जाता है। कोरोना वायरस 14 दिन तक लोगों में रहता है और फेफड़ों को बुरी तरह से जकड़ कर श्वास प्रणाली को प्रभावित करता है। इसकी वजह से शरीर को सुरक्षित रखने वाले सैल ध्वस्त हो जाते हैं और नए सैल नहीं बन पाते हैं। इसकी वजह से मरीज काफी कमजोर हो जाता है। जबकि सीजनल फ्लू में ऐसा नहीं होता है। दोनों बीमारियों के इलाज का लक्षणों के आधार पर किया जाता है।


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