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डेंगू की गिरफ्त में आए दो लैब टेक्नीशियंस, एसडीपी किटें भी खत्म

डेंगू तेजी से पैर पसारने लगा है। ड्यूटी पर तैनात सेहत विभाग के मुलाजिम भी इसकी चपेट में आने लगे है। ब्लड बैंक को दो लैब टेक्नीशियंस के चपेट में आने से सिविल अस्पताल में काम प्रभावित होने लगा है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 17 Oct 2021 07:36 AM (IST)Updated: Sun, 17 Oct 2021 07:36 AM (IST)
डेंगू की गिरफ्त में आए दो लैब टेक्नीशियंस, एसडीपी किटें भी खत्म
डेंगू की गिरफ्त में आए दो लैब टेक्नीशियंस, एसडीपी किटें भी खत्म

जागरण संवाददाता, जालंधर : डेंगू तेजी से पैर पसारने लगा है। ड्यूटी पर तैनात सेहत विभाग के मुलाजिम भी इसकी चपेट में आने लगे है। ब्लड बैंक को दो लैब टेक्नीशियंस के चपेट में आने से सिविल अस्पताल में काम प्रभावित होने लगा है। दूसरी तरफ सेहत विभाग के पास एसडीपी (सिंगल डोनर प्लेटलेट्स) की कमी आ गई। डेंगू के मरीजों में प्लेटलेट्स की कमी होने पर एसडीपी के जरिए ही उनको ब्लड प्लेटलेट्स चढ़ाई जाती है। सिविल अस्पताल के ब्लड बैंक में एसडीपी तैयार करने के लिए दो एफरेरिस यूनिट (ब्लड से प्लेटलेट्स व प्लाजमा अगल करने की मशीन) लगे है। इनमें से एक खराब है। जो यूनिट ठीक है उसकी किटें सेहत विभाग को नहीं मिल रही जबकि जो यूनिट खराब पड़ा है, उसकी किटें स्टाक में है।

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अस्पताल प्रशासन खराब यूनिट ठीक करवाने को लेकर पत्राचार करके ही ड्यूटी पूरी कर रहा है। इस समय सिविल अस्पताल में वायरल बुखार और डेंगू बुखार के पांच बच्चे दाखिल है। डेंगू वार्ड में तीन मरीज दाखिल है और मेडिकल वार्ड में वायरल बुखार के 15 मरीज दाखिल है। इनमें से किसी को इमरजेंसी में एसडीपी की जरूरत पड़ सकती है लेकिन सेहत विभाग के पास कोई प्रबंध नहीं। ब्लड बैंक की प्रभारी डा. नवनीत कौर का कहना है कि एफरेसिस यूनिट की मरम्मत व किटों की कमी के बारे में अस्पताल प्रशासन को सूचित किया जा चुका है। सिविल अस्पताल की मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डा. सीमा का कहना है कि सिविल सर्जन स्वास्थ्य केंद्रों से दो लैब टेक्नीशियंस की ड्यूटी जल्द लगा देंगे। यूनिट को ठीक करवाने व किटों की कमी को पूरा करने के लिए प्रयास किए जा रहे है। रोजाना 10-15 एसडीपी की डिमांड, मिल एक भी नहीं रही

ब्लड बैंक में रोजाना औसतन 10-15 एसडीपी की डिमांड आ रही है। किटें न होने की वजह से मरीजों के परिजन निराश लौट रहे है। सिविल अस्पताल में एसडीपी का एक यूनिट 6720 रुपये में मिलता है। निजी अस्पताल से आने वालों के लिए इसकी कीमत 8220 रुपये है जबकि निजी अस्पतालों में प्रत्येक एसडीपी यूनिट की कीमत 12 से 17 हजार रुपये में मिलती है। उधर मरीजों के परिजनों का कहना है कि प्लेटलेट्स व ब्लड लेने के लिए दो-तीन चक्कर लगाने पड़ते है। स्टाफ ने कहा-तनाव से गुजर रहे, लोगों को भी लगाने पड़ रहे चक्कर

डेंगू और वायरल बुखार में कम हो रहे प्लेटलेट्स की समस्या का समाधान करने वाला ब्लड बैंक इन दिनों खुद स्टाफ की कमी से जूझ रहा है। ब्लड बैंक में लैब टेक्नीशियंस के आठ में से तीन खाली पड़े है। दो को डेंगू होने के बाद ब्लड बैंक तीन लैब टेक्नीशियंस के सहारे काम कर रहा है। ब्लड लेने के लिए आने वाले लोगों को प्रक्रिया पूरी करने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है। उधर ड्यूटी पर तैनात स्टाफ का कहना है कि उन्हें डबल ड्यूटी भी करनी पड़ रही है। वे तनाव के दौर से गुजर रहे है। डिमांड के बावजूद स्टाफ नहीं मिल रहा। अब फिल्म करेगी जागरूक, बताएगी-डेंगू को कैसे रोकें

सेहत विभाग ने लोगों को जागरूक करने के लिए अब डाक्यूमेंट्री बनाने की कवायद शुरू की है। शुक्रवार को एक निजी एजेंसी को सर्वे टीम के साथ भेजा गया। टीम डेंगू प्रभावित इलाके बस्ती बावा खेल और गुरु नानक पुरा में गई। वहां टीम ने सेहत विभाग की ओर से छिड़काव के लिए के लिए टेमिफास साल्यूशन तैयार करने की प्रक्रिया, लोगों के घरों में सर्वे करने, डेंगू का लारवा मिलने पर उसे नष्ट करने की प्रक्रिया को कैमरे में कैद किया। इन इलाकों से तीन जगह डेंगू का लारवा मिला जिसे मौके पर नष्ट कर दिया गया। --------

बच्चों के लिए भी डेंगू वार्ड तैयार किया

सिविल अस्पताल में डेंगू की गिरफ्त में आने वाले बच्चों के इलाज के लिए विशेष वार्ड तैयार किया गया है। अस्पताल के जच्चा बच्चा वार्ड में डेंगू के मरीजों के लिए मच्छरदानियों वाले छह बेड तैयार किए गए। 30 बेड वायरल बुखार व अन्य बीमारियों के बच्चों के इलाज के लिए है। बाल रोग माहिर डा. साहिल विकास का कहना है कि कई बच्चे मच्छरदानी वाले बेड में रहने से डरते है इसलिए रंगीन मच्छरदानियां लगाई गई है। वहां उनके परिवार का एक सदस्य भी रह सकता है। वार्ड में इलाज के लिए तमाम इंतजाम है।


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