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पूर्व सरपंच ने 35 लाख रुपये का किया घपला, डीजे व जिम पर खर्च डाली विकास के लिए आई ग्रांट Jalandhar News

हिसाब मांगा तो सरपंच बोला कि आरटीआइ के तहत पूछो। जांच हुई तो पूरा मामला खुला और पूर्व सरपंच के तकरीबन 35 लाख के घपले की पोल खुली।

By Edited By: Published: Thu, 06 Feb 2020 09:16 PM (IST)Updated: Fri, 07 Feb 2020 11:24 AM (IST)
पूर्व सरपंच ने 35 लाख रुपये का किया घपला, डीजे व जिम पर खर्च डाली विकास के लिए आई ग्रांट Jalandhar News
पूर्व सरपंच ने 35 लाख रुपये का किया घपला, डीजे व जिम पर खर्च डाली विकास के लिए आई ग्रांट Jalandhar News

जालंधर, [मनीष शर्मा]। गली-नालियों, श्मशानघाट, छप्पड़ जैसे विकास कार्य के लिए आई ग्रांट को गांव के तत्कालीन सरपंच ने डीजे, टेंट, जिम के सामान पर खर्च कर दिया। यही नहीं, गांव का विकास कराने की जगह पैसा सफाई कर्मी, चौकीदार के वेतन पर बांट दिया। हिसाब मांगा तो सरपंच बोला कि आरटीआइ के तहत पूछो। जांच हुई तो पूरा मामला खुला और पूर्व सरपंच के तकरीबन 35 लाख के घपले की पोल खुली।

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इसके बाद पूर्व सरपंच जांच में शामिल होने की बजाय बिना किसी को कुछ बताए विदेश चला गया। अब जिला विकास व पंचायत अफसर ने डीसी को पूर्व सरपंच के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश भेजी है। मजे की बात है कि जिले के प्रशासनिक अफसरों की नाक तले लाखों का घोटाला हो गया। पहले तो अफसरों को इसका पता ही नहीं चला और अब गलत कारगुजारी के चलते सरपंच की बर्खास्तगी के बाद उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई में टालमटोल किया जा रहा है। गबन किए पैसे की वसूली के लिए भी पंचायती राज एक्ट के तहत कोई कोशिश अफसर नहीं कर रहे। जिला विकास व पंचायत अफसर इकबालजीत ने कहा कि उन्होंने अपनी रिपोर्ट कार्रवाई के लिए डीसी को भेज दी है।

पांच साल में किया घपला

घपले की जांच रिपोर्ट के मुताबिक 2013 से 2018 के बीच आदमपुर हरिपुर गांव को पीआइडीबी, वित्त कमीशन व अन्य स्त्रोतों से 14 किश्तों में तकरीबन 71.83 लाख रुपये मिले। इसके अलावा 11.77 लाख रुपये पंचायत फंड से मिली रकम थी। यह रकम गली-नालियां, सड़क बनाने, पानी की सप्लाई, छप्पड़, श्मशानघाट बनाने, गंदे नाले के निर्माण, गंदे पानी की निकासी जैसे कामों के लिए थे। इसमें से सरपंच ने जो काम किए बताए हैं, वो 80.61 लाख रुपये के बनते हैं। इसके उलट कागजी हिसाब-किताब में यह सिर्फ 45.92 लाख रुपये के ही बनते हैं। बाकी का 34.69 लाख रुपये का क्या हुआ?, इसका कोई हिसाब किताब नहीं है। जिला विकास व पंचायत अफसर ने सीधे तौर पर इसे पूर्व सरपंच के गबन करने का मामला बताया है।

8.31 लाख रुपये गलत कामों पर खर्चे

रिपोर्ट के मुताबिक मीजरमेंट बुक (एबबी) में 8.31 लाख का ऐसा खर्चा डाला गया, जो दर्ज ही नहीं हो सकता था। इसमें सफाई सेवक व चौकीदार का वेतन, गली-नालियों की सफाई, पंचायत सेक्रेटरी का वेतन, जिम का सामान, ग्राउंड समतल करना, ऑडिट फीस, डीजे का किराया, टेंट हाउस, जिम का शीशा, ट्रैक सूट, डेस्क खरीद शामिल है। हालांकि घपले की जांच में इस गलत खर्च को भी माना गया कि पैसा लगाया गया, लेकिन फिर भी बाकी का कोई हिसाब किताब नहीं मिला।

पांच लाख सामान खरीद व कैश लिए, काम नहीं हुआ

जांच के दौरान पांच लाख रुपये की एक ग्रांट का मामला पकड़ा गया। जिसमें अकाउंट रजिस्टर के मुताबिक तीन लाख का मैटीरियल खरीदा गया और दो लाख रुपये उक्त सरपंच ने कैश निकलवा लिए। जिस काम के लिए यह पैसे निकलवाए गए, मौके पर कोई काम ही नहीं हुआ।

सरंपच देता था बदली की धमकी

मामले की जांच के लिए पंचायत सेक्रेटरी व जेई को रिकॉर्ड समेत तलब किया गया। पंचायत सेक्रेटरी भूपिंदर सिंह ने बयान दिया कि पूर्व सरपंच ने ग्रांटों का दुरुपयोग किया है। विकास के लिए जारी ग्रांटों के काम अधूरे छोड़ दिए गए। इसके मैटीरियल सीमेंट, रेत, बजरी, सरिया आदि की खरीद की उसे कोई जानकारी नहीं दी गई। बार-बार हिसाब पूछने पर सरपंच उसकी बदली करवाने की धमकी देता था।

मृतक जेई के साथ मिलकर किया घपला

पंचायत सेक्रेटरी भूपिंदर सिंह ने अपने बयान में घपले का दोष पूर्व जेई राजिंदर कुमार पर भी डाला। जेई राजिंदर की अब मौत हो चुकी है। भूपिंदर का कहना है कि मृतक जेई राजिंदर कुमार के साथ मिलकर ही पूर्व सरपंच ने ग्रांट में लाखों का घपला किया। पूर्व सरपंच ने अपने पद का दुरुपयोग करने के साथ मनमर्जी से काम किए। अब जांच के दौरान ही पूर्व सरपंच किसी उच्च अधिकारी की मंजूरी के बगैर विदेश चला गया।

बयान देने नहीं आया, रिकॉर्ड आरटीआई से मांगने को कहा

जिला विकास व पंचायत अफसर ने डीसी को भेजे पत्र में कहा कि पूर्व सरपंच के खिलाफ कोई कार्रवाई न होने के बारे में पंच अवतार सिंह, मौजूदा सरपंच जसविंदर सिंह और गांव निवासियों ने दरख्वास्त दी है कि उसके खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। उक्त पूर्व सरपंच ने पांच लाख की ग्रांट का कोई हिसाब पंचायत को नहीं दिया। हिसाब मांगने पर उसने कहा कि वो उन्हें बताना जरूरी नहीं समझता। हिसाब लेना है तो आरटीआइ से लो या उच्च अधिकारियों से मंजूरी लेकर आओ। पंचायती राज लोक निर्माण मंडल के कार्यकारी इंजीनियर भी इसकी जांच कर चुके हैं, जिसमें उन्होंने साल 2019 में 27 फरवरी, आठ मार्च व नौ अप्रैल को पक्ष पेश करने को कहा लेकिन वो नहीं आया।

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