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परंपरा के साथ फैशन ट्रेंड बनी गोल बिंदी, हर शेप के फेस पर लगती है सुंदर

60 से 80 के दशक तक माथे के बीच से थोड़ा ऊपर कलरफुल गोल बिंदी लगाने का ट्रेंड काफी दिन तक चला। तब से लेकर अब तक गोल बिंदी अपना अस्तित्व बचाने में सफल हुई है।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Thu, 21 Feb 2019 12:28 PM (IST)Updated: Fri, 22 Feb 2019 05:02 PM (IST)
परंपरा के साथ फैशन ट्रेंड बनी गोल बिंदी, हर शेप के फेस पर लगती है सुंदर

जालंधर [भावना पुरी]। बिंदिया चमकेगी, तेरी बिंदिया रे...जैसे गाने बिंदी के फैशन की बात पर आज भी गुनगुनाए जाते हैं। 60 से 80 के दशक तक माथे के बीच से थोड़ा ऊपर कलरफुल गोल बिंदी लगाने का ट्रेंड काफी दिन तक चला। तब से लेकर अब तक बिंदी के कई तरह के डिजाइन और रंगों ने भी ट्रेंड किया। गोल बिंदी के अलावा लंबी बिंदी, ओवल शेप, क्रिसेंट, जरकन की बिंदी, स्नेक व वेवी शेप्ड, एेरो, स्टार, लेयर्ड तथा स्टोन बिंदी जैसे डिजाइन विभिन्न रंगों में मार्केट में आए।

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पारंपरिक गोल लाल बिंदी के साथ कई रंगों की गोल बड़ी बिंदी ने इन सभी ट्रेंड के बीच भी अपना अस्तित्व बनाए रखा। आज भी गोल बिंदी हमेशा महिलाओं की हिट लिस्ट में रहती है। यह उम्र, वैवाहिक स्थिति, धर्म और लिंग तक सीमित नहीं है। यह अब एक स्टाइल स्टेटमेंट बन गई है। गोल बड़ी बिंदी का ट्रेंड पूरे देश में पश्चिम बंगाल से आया है। इसकी झलक कसौटी जिंदगी के सीरियल में देखी जा सकती है।

अपने माथे पर बिंदी सजाए हुए जालंधर की सुमन वर्मा और नीरू अरोड़ा।

स्टीकर बिंदियों का सुख भी और परेशानी भी

बिंदी में रेडीमेड बाइंडिस होते हैं, जिनमें गम होता है। इसे प्लास्टिक पेपर पर ही लगाया जाता है जिससे गम न उतरे और आसानी से माथे से चिपक जाए। बिंदी पर सजावट के लिए मोती, पत्थर, ग्लिटर, सेक्विन आदि का उपयोग भी किया जाता है। गम जितनी आसानी से लग जाती है उतनी आसानी से उतरती नहीं है। इसके लिए क्लींजिंग मिल्क के साथ आप उतार सकती है जिससे आपकी स्किन पर इफेक्ट नहीं पड़ता। इसके अलावा बिंदी को दोबारा रियूज करने के लिए उसे अपनी जगह पर ही दोबारा लगाए। शीशे, लोहे या लकड़ी की अलमारी पर इसे लगाने से बने दाग तो कोलीन से छूट जाएंगे लेकिन उसकी गम पहले जैसी असरदार नहीं रहेगी।

नया नहीं बिंदी का ट्रेंड

बिंदी का ट्रेंड नया नहीं है। ब्लैक एंड व्हाइट के दौर से लेकर आज तक बिंदी का ट्रेंड फिल्मों में दिखता है। मधुबाला, नूतन, वैजंतीमाला जैसी दिग्गज हिरोइनों के माथे पर बड़ी और छोटी गोल बिंदी अक्सर नजर जाती थी। फिल्मों के दौर से सालों पहले के समय में, बिंदी या टीका पहनने को विसाखेड़ा के नाम से जाना जाता था। यह विभिन्न आकृतियों के पत्तों का उपयोग करके और फिर उनके साथ माथे को चित्रित करने के लिए किया गया था। पत्तों का उपयोग करने वाली इन बिंदी के अन्य नाम पटराखेड़ा, पतरालेखा या पथरभंगा भी थे। बिंदी का उपयोग एक बुद्धि की पूजा करने के तरीके के रूप में भी किया गया था। पुराने समय यह शादी समारोह का एक हिस्सा भी था जहां दूल्हे ने अपनी शादी को सुरक्षित करने के लिए अपनी दुल्हन की आंखों के बीच अपने खून की एक बूंद लगाई थी।


अलग-अलग नामों से जानी जाती है बिंदी

बिंदी देश भर में अलग-अलग नामों से जानी जाती है। हिंदी में इसे तिलक के नाम से भी जाना जाता है हालांकि तिलक और बिंदी एक-दूसरे से काफी जुदा हैं। पंजाब के लोग इसे बिंदी कहते हैं। बंगाली टिप, असमी फोट, गुजराती चंडलो, कोंकणी तिल्लो, कन्नड़ कुंकुमा, मराठी कुंकू, तमिल व मलयालम पोट्टू तथा तेलुगु लोग बिंदी को बोटू के नाम से पहचानते हैं। नेपाल में बिंदी को टीका कहा जाता है।

इसलिए पसंद है गोल बिंदी

अर्बन एस्टेट फेस वन निवासी हाउस वाइफ नीरू अरोड़ा ने बताया कि बिंदी एक महिला की वैवाहिक स्थिति के साथ शक्ति और ऊर्जा का प्रतीक है। वह खुद पार्टी और त्योहारों के मौके पर बड़ी गोल बिंदी लगाना पसंद करती है। अपने हर रंग के सूट के साथ की बिंदी वह प्रतिदिन जरूर लगाती हैं। टैगोर नगर निवासी हाउस वाइफ बॉबी चावला ने बताया कि उन्हें गोल बिंदी सबसे अच्छी लगती है। बड़ी बिंदी के साथ बंगाली लुक भी आती है जो लेडीज को सूट करती है। ग्रेटर कैलाश निवासी हाउस वाइफ कंचन ने बताया कि वह वेस्टर्न वियर के साथ भी गोल बिंदी लगाना पसंद करती हैं। कंचन ने बताया कि चेहरे पर निखार के लिए एक बिंदी भी काफी होती है।

गोल बिंदी का काफी ट्रेंड है। महिलाओं के अलावा दुल्हनें और पार्टी के लिए रेडी होने वाली महिलाएं गोल बिंदी को प्राथमिकता देती है। गोल बिंद हर तरह फेस के साथ अच्छी लगती है चाहे आपका फेस गोल हो, अोवल शेप हो। इसके अलावा जहां हम बिंदी लगाते हैं वहां हमारी शरीर का प्रेशर प्वाइंट होता है। बिंदी लगाने से वह प्रेशर प्वाइंट जब प्रेस होता है तो एनर्जी बाहर नहीं निकलती और हम कई तरह की बीमारियों से बच सकते हैं। बिंदी लगाने वालों को सिरदर्द की समस्या भी काफी कम रहती है।
-सुमन वर्मा, मेकअप आर्टिस्ट, क्वीन्स पैराडाइज, चीमा नगर, जालंधर


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