लोगों को ख़राब सब्जी और फल बेचने की तैयारी में थे दुकानदार, तीन मंडियों में पड़ी रेड
जालंधर की मंडियों में खराब फल बेचे जाने के खिलाफ कार्रवाई करते हुए प्रशासन ने मंकसूदां, नकोदर और आदमपुर की मंडियों में रेड की।
जागरण संवाददाता, जालंधर : पंजाब तंदुरुस्त मिशन के तहत मंगलवार को जिला प्रशासन की टीमों ने मकसूदां, आदमपुर व नकोदर की सब्जी मंडियों में दबिश दी। इस दौरान नुकसानदायक 70 किलोग्राम फलों व सब्जियों को नष्ट किया। इसमें 14 किलोग्राम टमाटर, 18 किलो चीकू व 15 किलो गोभी भी शामिल हैं।
डीसी वरिंदर कुमार शर्मा की गठित टीम के सदस्य जिला मंडी अधिकारी वरिंदर कुमार खेड़ा, बागवानी अफसर भजन सिंह सैनी ने मंगलवार में जांच शुरू की। इस दौरान गैर कानूनी ढंग से पकाए फल मंडी में नहीं मिले। हालांकि खाने के लिए अनुपयुक्त 14 किलोग्राम टमाटर और 18 किलोग्राम चीकू टीम ने मौके पर ही नष्ट करा दिए। इसके अलावा आदमपुर और नकोदर में अनुपयुक्त 15 किलोग्राम गोभी, 18 किलोग्राम टमाटर, 2 किलो बैंगन को तुरंत नष्ट किया गया। अधिकारियों ने दुकानदारों को चेतावनी दी कि इस प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। कैल्शियम कार्बाइड से पके फलों की बिक्री नहीं होने दी जाएगी।
एथिफोन चैंबर की क्षमता कम
शहर में इन दिनों हर रोज लगभग 125 टन विभिन्न प्रकार के फल आते हैं। सरकारी स्तर पर मंडी में एथिफोन चैम्बर्स (फल पकाने वाले चैंबर) में हर दिन फल पकाने की क्षमता सिर्फ 10,500 किलो की है। वह भी तब जब चैम्बर पूरी क्षमता में चलें। आम तौर पर सरकारी चैंबर में कारोबारी सिर्फ केले ही लेकर जाते हैं। बाकी फल कैल्शियम कार्बाइड से ही पकाए जा रहे हैं। सख्ती का असर कुछ दिन दिखा, लेकिन अब फिर कैल्शियम से पके के बाद कैल्शियम कार्बाइड से फल पकने के बंद हो गये थे, लेकिन फिर से कुछ लोगों ने प्रतिबंधित मैथड ही अपना लिया है।
कार्बाइड से पके फलों से कैंसर का खतरा
पोटाशियम कार्बाइड से फल पकाने के तरीके पर प्रतिबंध है। इस प्रकार से पके फलों से कैंसर का खतरा रहता है। साथ ही पकाने वालों की आंखों को नुकसान के साथ ही डिप्रेशन में जाने का भी खतरा रहता है।
-डॉ. सतिंदर सिंह, डायरेक्टर बागबानी
ये है फल पकाने का सही तरीका
एथिलीन गैस से निकलने वाली एथिफोन नामक गैस से फल पकाने की विधि बहुत आसान व सस्ती है। एथिफोन लिक्विड फोम में आसानी से केमिस्ट शॉप पर मिल जाता है। 1.25 ग्राम एथिफोन प्रति एक लीटर पानी में डालकर आम, केले व पपिता व अन्य फल इसमें डिप कर पेटियों में बंद कर दिए जाते हैं। इन्हें रूम टैम्परेचर में रख दिया जाता है। तीन दिन में न सिर्फ फल पक जाते हैं, बल्कि उनका स्वाद प्राकृतिक रहता है। इस विधि से पके फल किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते।