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अब सड़क निर्माण में नहीं होगी गड़बड़ी, ऑनलाइन होगा रिकॉर्ड

अब यूनीक आइडी पर एक क्लिक से दुनिया में कहीं भी बैठ कर सड़क का पूरा रिकार्ड देखा जा सकेगा। यह भी बताया जाएगा सड़क की लंबाई-चौड़ाई कितनी रहेगी।

By Edited By: Published: Mon, 20 Jul 2020 07:21 AM (IST)Updated: Mon, 20 Jul 2020 08:34 AM (IST)
अब सड़क निर्माण में नहीं होगी गड़बड़ी, ऑनलाइन होगा रिकॉर्ड

जालंधर, [जगजीत सिंह सुशांत]। पंजाब सरकार के स्थानीय निकाय विभाग ने सभी नगर निगमों और नगर कौंसिलों को निर्देश दिए हैं कि सड़क निर्माण के सभी कामों की ज्योग्राफिकल आइडेंटिफिकेशन सिस्टम (जीआइएस) के तहत मैपिंग की जाए। जीआइएस मैपिंग से सड़क निर्माण प्रोजेक्ट का पूरा रिकॉर्ड डिजीटलाइज हो जाएगा। इसके तहत हर सड़क के निर्माण का टेंडर जारी करते समय सड़क को एक यूनीक आइडी देनी होगी और जीआइसी मैपिंग कर गूगल से कनेक्ट करना होगा। ऐसा करने से यूनीक आइडी पर एक क्लिक में दुनिया में कहीं भी बैठ कर सड़क का पूरा रिकार्ड देखा जा सकेगा।

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विभाग सड़क निर्माण में गड़बड़ी रोकने और सभी सड़कों का डिजिटल डाटा बैंक बनाने के लिए ऐसा कर रहा है। इसके लिए विभाग की ओर से सभी नगर निगम के कमिश्नरों, नगर कौसिलों से डाटा भेजने के लिए निकाय विभाग के डिप्टी डायरेक्टरों को पत्र लिखा गया है। इसके तहत जालंधर नगर निगम से अर्बन इन्वायरमेंट फंड के पहले फेज के 21 करोड़ के काम का जीआइएस मैपिंग का डाटा मांगा है। नगर निगम के बीएंडआर विभाग के एसई रजनीश डोगरा ने कहा कि विधायकों को मिले 25-25 करोड़ के तहत 100 करोड़ के काम के सभी टेंडरों की जीआइएस मै¨पग का निर्देश दिया गया है। ऑनलाइन टेंडर के साथ सड़क की यूनिक आइडी का कॉलम भी जोड़ा जाएगा। इसमें सड़क की पूरी स्पेसिफिकेशन होगी।

सड़क निर्माण का एरिया भी 100 फीसद डिजिटल मैपिंग करते समय तकनीकी रूप से यह बताना होगा कि सड़क किस जगह से किस जगह तक बनेगी। इसके लिए तकनीकी रूप से लांगीच्यूड और लैटीच्यूड बताना होगा। इससे सड़क का एरिया खुद ही रिकॉर्ड में आ जाएगा। ऐसा करने से यह स्पष्ट हो जाएगा कि कौन सी सड़क कहां से कहां तक बननी है। सड़क की लंबाई-चौड़ाई भी पता रहेगी। सड़क को दिए गए यूनिक कोड के जरिये किसी भी जगह बैठकर गूगल के जरिये उस सड़क की लोकेशन और पूरा रिकॉर्ड दिखाई देगा। मौजूदा प्रक्रिया में सड़कों के टेंडर लगाते समय सड़क निर्माण के एरिया का रिकार्ड सार्वजनिक नहीं किया जाता। ऐसे में पता नहीं चल पाता कि सड़क कितनी लंबी बननी है। नए तरीके से काम करने से सड़क निर्माण में गड़बड़ी की आशंका कम होगी।

यह रहेगा फायदा

जीआइएस मैपिंग से यह फायदा रहेगा कि सभी सड़कों को डिजिटज डाटा तैयार हो जाएगा। जब भी सड़क को नुकसान पहुंचता है या सड़क दोबारा बनाने के लिए टेंडर लगाया जाता है तो एक क्लिक पर पूरा रिकॉर्ड सामने आ जाएगा। पता चल जाएगा कि यह सड़क कब बनी थी और इसकी कितनी गारंटी थी। ठेकेदार की डिटेल रहेगी और अगर गारंटी पीरियड में सड़क टूटी होगी तो ठेकेदार से गारंटी पीरियड का काम करवाया जा सकेगा। नगर निगम, नगर कौंसिलों के पास अभी सड़कों का रिकॉर्ड नहीं है। ऐसे में सड़क समय से पहले टूट जाती है तो उसे ठेकेदार से ठीक करवाने की बजाय दोबारा बनाने के लिए टेंडर लगा दिए जाते हैं, जिससे वित्तीय नुकसान होता है।


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