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सुशिक्षित समाजः सेवानिवृत्ति के बाद भी स्कूलों में विज्ञान की अलख जगा रहे बलजिंदर सिंह

सेवानिवृत्त प्रिंसिपल बलजिंदर सिंह कहते हैं कि बच्चों में साइंस को लेकर बहुत रुचि है। इसीलिए जहां जरूरत होती है वहां जाकर वह बच्चों को पढ़ाते हैं।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Wed, 01 Jan 2020 03:54 PM (IST)Updated: Wed, 01 Jan 2020 03:54 PM (IST)
सुशिक्षित समाजः सेवानिवृत्ति के बाद भी स्कूलों में विज्ञान की अलख जगा रहे बलजिंदर सिंह
सुशिक्षित समाजः सेवानिवृत्ति के बाद भी स्कूलों में विज्ञान की अलख जगा रहे बलजिंदर सिंह

जालंधर [अंकित शर्मा]। बलजिंदर सिंह ने शिक्षा विभाग में 58 साल की उम्र तक सेवा की। विज्ञान के लेक्चरर के रूप में बच्चों को पढ़ाने से शुरू हुआ सफर और जिला साइंस सुपरवाइजर के पद पर जाकर रुका। इस दौरान कई स्कूलों में इंस्पेक्शन की और वहां विद्यार्थियों और अध्यापकों की परेशानियों को जाना और उन्हें दूर करने का प्रयास भी किया। अब जब सेवामुक्त हुआ तो मन में आया कि अब क्या सफर यहीं समाप्त हो गया। फिर सोचा कि स्कूलों में शिक्षकों के पद खाली पड़े हैं और इसका असर बच्चों की पढ़ाई पर पड़ रहा है। ऐसे में रिटायर होने के बाद बच्चों को पढ़ाने की ठानी। अब जिस स्कूल में भी विज्ञान के अध्यापक की कमी का पता चलता है, वहां जाकर बच्चों को पढ़ाना शुरू किया है।

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बलजिंदर सिंह कहते हैं कि मैंने स्कूलों में जाकर देखा कि बच्चों में विज्ञान में बेहद रुचि है लेकिन अध्यापकों की कमी के कारण वे इससे दूर होते जा रहे हैं। इसलिए रिटायरमेंट से पहले ही स्कूलों और बच्चों से जुड़े रहने की इच्छा तीव्र हो गई थी।

सेवानिवृत्त जिला साइंस सुपरवाइजर बलजिंदर ने आज भी बच्चों को पढ़ाने का सिलसिला जारी रखा है। जिस स्कूल में विज्ञान विषय का अध्यपाक नहीं होता है, वह वहां पढ़ाने पहुंच जाते हैं।

पत्नी और बेटियों ने मेरे फैसले को दिए पंख

बलजिंदर बताते हैं कि सेवामुक्त होने पर भी स्कूलों में पढ़ाने के फैसले को पूरा करने में पत्नी कुलदीप कौर (प्रिंसिपल सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल, हजारा), बड़ी बेटी नवराज कौर और छोटी बेटी कोमलप्रीत कौर का पूरा साथ मिला। पिता स्व. हरभजन सिंह (पंजाब पुलिस) और मां हरजिंदर कौर ने बचपन से यही सीख दी थी कि शिक्षा ही एक मात्र जरिया है जिसके दम पर बेहतर करियर बनाया जा सकता है। इसलिए शिक्षा जितनी बांटी जाए, उतना बेहतर है।

12वीं और दसवीं को पढ़ा रहे

बलजिंदर सिंह अभी सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल फिल्लौर में 12वीं के साइंस ग्रुप और सरकारी हाई स्कूल आशाहूर में दसवीं क्लास के बच्चों को साइंस पढ़ा रहे हैं। यही नहीं अगर उन्हें किसी दूसरे स्कूल से बच्चों को कुछ दिन पढ़ाने के लिए बुलाया जाता है, तो वे वहां भी सेवाएं देने पहुंच रहे हैं।

भोगपुर के सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल से शुरू हुआ पढ़ाने का सफर

बाबा मोहनदास नगर निवासी सेवा मुक्त जिला साइंस सुपरवाइजर बलजिंदर सिंह का जन्म 11 अक्टूबर, 1961 को गुरदासपुर में हुआ था। इनकी प्राथमिक शिक्षा गुरदासपुर के ही स्कूलों में हुई। डीएवी कॉलेज जालंधर से बीएससी, एमएमसी कैमिस्ट्री की। गवर्नमेंट कॉलेज से बीएड की डिग्री हासिल की। यूजीसी नेट की परीक्षा पास की। 1991 में शिक्षा विभाग में पहली नियुक्ति सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल भोगपुर स्कूल में बतौर केमिस्ट्री लेक्चरर के रूप में हुई। यहां 19 साल बच्चों को कैमिस्ट्री विषय पढ़ाया। 2010 में पदोन्नति हुई और सरकारी कन्या सीनियर सेकेंडरी स्कूल भोगपुर में बतौर प्रिंसिपल नियुक्त किया गया।

अगले ही साल 2011 में प्रिंसिपल की जिम्मेदारी के साथ-साथ जिला साइंस सुपरवाइजर (डीएसएस) का अतिरिक्त चार्ज भी मिला। उस समय के जिला साइंस सुपरवाइजर केपी शर्मा की रिटायरमेंट हुई थी। चार साल तक निरंतर अतिरिक्त जिला साइंस सुपरवाइजर की जिम्मेदारी निभाई और 2015 में पूरी तरह से जिला साइंस सुपरवाइजर का चार्ज मिल गया। नौ साल स्कूलों की इंस्पेक्शन टीम, डीजीएसई इंस्पेक्शन टीम, स्कूल सुधार कमेटी के तहत स्कूलों की इंस्पेक्शन की। 31 अक्टूबर 2019 को पद से रिटायर हुआ पर पढ़ाने से नहीं।

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