सीपी के फर्जी हस्ताक्षर कर वाहनों पर ब्लैक फिल्म लगाने की मंजूरी देने वाले रैकेट का सरगना वरुण फरार, एक गिरफ्तार
पुलिस कमिश्नर जालंधर के फर्जी हस्ताक्षर कर ब्लैक फिल्म लगाने की मंजूरी देने के मामले में किगपिन वरुण खुराना सहित दो लोगों पर केस दर्ज किया गया है। वरुण खुराना अभी फरार है जबकि उसके साथी पक्का बाग निवासी राघव शर्मा को स्पेशल आपरेशन यूनिट की टीम ने गिरफ्तार कर लिया है।
संवाद सहयोगी, जालंधर : पुलिस कमिश्नर जालंधर के फर्जी हस्ताक्षर कर ब्लैक फिल्म लगाने की मंजूरी देने के मामले में किगपिन वरुण खुराना सहित दो लोगों पर केस दर्ज किया गया है। वरुण खुराना अभी फरार है, जबकि उसके साथी पक्का बाग निवासी राघव शर्मा को स्पेशल आपरेशन यूनिट की टीम ने गिरफ्तार कर लिया है। आरोपित के पास से पुलिस को फर्जी साइन वाले दस्तावेज मिले हैं। पुलिस की जांच में सामने आया है कि वरुण और राघव के पास कई पुलिस अधिकारियों, जिनमें ज्यादा पुलिस कमिश्नर थे, के फर्जी हस्ताक्षर स्कैन कर रखे हुए थे। हालांकि राघव के पास से ऐसे वो स्कैनर तो नहीं मिला है लेकिन फर्जी दस्तावेज मिले हैं। वहीं वरुण की गिरफ्तारी के बाद इस मामले में और भी कई खुलासे हो सकते हैं। पुलिस ने गिरफ्तार आरोपित राघव को अदालत में पेश कर तीन दिन के रिमांड पर लिया और पूछताछ की जा रही है कि अभी तक उसने कितनी ब्लैक फिल्म की मंजूरी दे रखी हैं।
स्पेशल आपरेशन यूनिट की टीम को सूचना मिली थी कि कार पर ब्लैक फिल्म लगाने की मंजूरी प्राइवेट लोग दे रहे हैं और उनके पास पुलिस कमिश्नर के हस्ताक्षर वाले दस्तावेज मौजूद हैं। पुलिस ने माडल टाउन में नाकाबंदी कर राघव को गिरफ्तार किया और उसकी एक्टिवा से फर्जी दस्तावेज बरामद किए। राघव यह फर्जी मंजूरी वाला दस्तावेज किसी को देने के लिए आया था। पुलिस ने जब उसे गिरफ्तार किया तो सामने आया कि वो सिर्फ कारिदा है, असली किगपिन वरुण है। जांच में सामने आया कि वरुण 15 से बीस हजार रुपये में मंजूरी लेकर देने की बात करता था। वो ग्राहकों से कहता था कि उसकी पुलिस में अच्छी पकड़ है और सारे अफसरों को जानता है। उनसे ब्लैक फिल्म गाड़ी पर लगाने की परमिशन लेकर देने की बात करता और पैसे लेने के लिए राघव को भेजता। पैसे लेने के बाद मंजूरी वाला दस्तावेज भी राघव के हाथ ही भेजता था। डीटीओ दफ्तर और पुलिस विभाग के कर्मियों की मिलीभगत की आशंका
जांच में सामने आया कि डीटीओ दफ्तर और पुलिस विभाग के कुछ लोगों की मदद से वरुण यह रैकेट चला रहा था। हालांकि पुलिस ने अभी इस बात की पुष्टि तो नहीं की है लेकिन पुलिस इस एंगल की भी जांच कर रही है। वरुण जो दस्तावेज बनाता था उसे बनाने में सरकारी कर्मचारी उसकी मदद करते थे। वरुण की गिरफ्तारी के बाद यह मामला साफ हो सकता है। छह महीने से ज्यादा समय से यह काम कर रहे वरुण और राघव दर्जनों लोगों को ब्लैक फिल्मों को फर्जी मंजूरी दे चुका है।