टशन और रौब दिखाने के चक्कर में कनाडा को बना दिया गैंगलैंड, तीन गैंगस्टर होंगे डिपोर्ट
इंडो-कनाडियन गैंगस्टरों में अधिकतर पंजाब से जाकर बसे पंजाबियों की दूसरी अौर तीसरी पीढ़ी के हैं। इनकी शुरुअात छोटे-मोटे अपराधों से हुई। बाद में वे अपराध के दलदल में धंसते गए।
जालंधर [फरीद शेखूपुरी]। पंजाब का गन कल्चर कनाडा तक पहुंच गया है। यहां से कनाडा गए पंजाबी युवा टशन और रौब झाड़ने और जल्द अमीर बनने के फेर में गैंगस्टर कल्चर में डूब गए हैं। ये गैंग सिर्फ लड़ाई-झगड़े या मारपीट तक सीमित नहीं है बल्कि नशा तस्करी, लूट, कांट्रेक्ट किलिंग में भी शामिल हैं। कनाडा में रह रहे पंजाबी भी अब इनसे खौफ खाने लगे हैं। उन्हें डर है कि कहीं उनके घर के युवा भी इन गैंगस्टरों के साथ न जुड़ जाएं। पंजाब में रहने वाले पेरेंट्स भी चिंतित हैं। वे यह सोच कर अपने बच्चों के विदेश भेजते हैं कि वहां जाकर उनके बच्चे कोई अच्छा काम करेंगे। गैंगस्टरों के कारण अब वे दोबारा सोचने को मजबूर हो गए हैं।
पिछले दिनों सोशल मीडिया पर एक विडियो वायरल हुई है। इसमें 11 नवंबर की देर रात ढाई बजे के करीब कनाडा के शहर सरे (Surrey) में पड़ते न्यूटन में स्ट्रिप माल के बाहर पार्किंग मेंं 50 के करीब युवा लकड़ी अौर लोहे की रॉड के साथ पहुंचे हैं। इस के बाद वे दो गाड़ियों पर हमला करना शुरू कर देते हैं। वीडियो में युवा पंजाबी में अपशब्द बोल रहे थे। वीडियो सामने अाते ही कनाडा की पुलिस ने मामले की जांच शुरू की। अंत में मामला गैंगवार से जुड़ा पाया गया। पुलिस ने सख्त कार्रवाई करते हुए पंजाब के तीन युवकों को हिरासत में ले लिया। इन्हें जल्द इंडियो डिपोर्ट करने की तैयारी चल रही है।
यह पहला मामला नहीं जब इस तरह की वारदात सामने अाई है। पुलिस रिकार्ड की बात करें तो पिछले 15 वर्षों में कनाडा में होने वाली गैंगवार की वारदातों के 33 फीसद मामले पंजाबी गैंगस्टरों से जुड़े हैं। इनका ज्यादातर प्रभाव कनाडा के ब्रिट्रिश कोलंबिया में है।
अधिकतर गैंगस्टर कनाडा में बसे पंजाबियों की दूसरी अौर तीसरी पीढ़ी से
इंडो-कनाडियन गैंगस्टरों में अधिकतर पंजाब से कनाडा में जाकर बसे पंजाबियों की दूसरी अौर तीसरी पीढ़ी के हैं। इन सभी की शुरुअात छोटे-मोटे अपराधों से हुई। बाद में वे अपराध के दलदल में धंसते गए। अधिक्तर गैंगों के नाम गैंग के बॉस या किंगपिन के सरनेम पर हैं। जैसे सिद्धू/संधू गैंग अादि। इन गैंगों अौर गैंगवार को समझने के लिए यह समझना जरूरी है कि सदस्य किस गैंग से जुड़ा है। कनाडा में अधिकतर खूनी गैंगवार रेड स्कॉर्पियन्स (अारएस) और यूनाइटेड नेशंस गैंग के बीच होती हैं।
कानून व्यवस्था बनाए रखने वाली एजेंसियों के लिए सिरदर्द बने गैंग
कनाडियन राष्ट्रीय कानून प्रवर्तन एजेंसियों को इन गैंगस्टरों अौर गैंग्स के जटिल नेटवर्क से निपटने में मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है। अब उन्होंने इस गैंग कल्चर को खत्म करने लिए एक विशेष टीम का भी गठन किया है। एक रिपोर्ट के अनुसार बीते वर्ष नशा तस्करों के बीच हुई मुठभेड़ों में सामने अाया है कि वह दोनों गैंग खुद को आरएस या युनाइटेड नेशंस से जुड़ा बताते थे। जनवरी 2018 में वैंकूवर पुलिस के मुताबिक कनाडा में मौजूद पंजाबी मूल के युवकों के गैंग ग्रेवाल्स, कांग्स और धालीवाल अारएस से जुड़े हुए हैं, जिनका युनाइटेड नेशसंस से जुड़े संधू-सिद्धू ग्रुप के साथ टकराव है।
अब तक जा चुकी है कई गैंगस्टरों की जान
पंजाब हो या कनाडा, इस खूनी धंधे में अंत में मौत ही हाथ लगती है। इंडो-कनाडियान गैंगस्टर भुपिंदर सिंह उर्फ बिंदी जौहल की 20 दिसंबर, 1998 को नाइट कल्ब में डांस करते समय गोली मारकर हत्या की गई थी। खुद जौहल ने वर्ष 1994 में गैंगस्टर रोन दोसांझ अौर उसके भाई गैंगस्टर जिम्मी दोसांझा की हत्या की थी।
इस घटना का कोई चश्मदीद नहीं मिला अौर चार साल बाद बिंदी की हत्या की साजिश रचने वाले चार लोगों की भी कुछ इसी तरह ही मौत हुई। पंजाबी मूल के कनाडियन गैंगस्टर सुखवीर सिंह दियो की जून 2016 में दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। सुखवीर का नाम कनाडा में नशा तस्करी के रैकेट जुड़ा हुअा था। उसका पिता परमिंदर सिंह दियो पंजाब में नशा तस्करी के केस में वांटेड है। भाई हरजीत सिंह अपहरण के मामले में कनैडियन कोर्ट में वर्ष 2007 में दोषी पाया जा चुका था।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक गैंगस्टर सुखवीर सिर्फ कनाडा में वॉल्फ पैक गैंग से जाना जाता था। उसके के अंतरराष्ट्रीय लिंक थे। वर्ष 2012 में ऑन्टोरियो में पंजाबी गैंगस्टर गुरबिंदर बिन तूर की हत्या के मामले में भी सुखवीर का नाम अा चुका था। उस पर किसी तरह का कोई अारोप नहीं लगा लेकिन गैंगवार में बदला लेते हुए चार साल बाद उसकी हत्या कर दी गई थी।
ये हैं कनाडा के नामी गैंग
कनाडा के ऑन्टोरियो और अल्बर्टा में अधिकतर इंडो-कनाडियन गैंग एक परिवार से संबंध रखते हैं। इन्हें परिवार ही चलाता है। इनमें गैंग से जुड़े युवकों के दोस्त और रिश्तेदारों शामिल होते हैं जो मिलकर या तो छोटे-मोटे अपराध करते हैं या फिर सीमा पार से ट्रक चालकों के माध्यम से नशा तस्करी का नेटवर्क चलाते हैं। इन गैंग्स में धक-धुरे, पंजाबी माफिया, इंडिपेंडेंट सोल्जर (दो भागों में बंट चुका), संघेड़ा क्राइम ग्रुप जो 100 से अधिक गोली कांड को अंजाम दे चुका, मल्ही-बुट्टर ग्रुप, ब्रादर्स कीपर्स जिसे धालीवाल क्राइम ग्रुप अौर ग्रेवाल क्राइम ग्रुप लीड करते हैं, कंग क्राइम ग्रुप जो पहले ब्रादर्स का हिस्सा था अौर चहिल क्राइम ग्रुप शामिल हैं। यह सभी गैंग यूनाइट नेशंस या अारएस गैंग में से किसी एक साथ जुड़े हैं।
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