खेल के मोर्चे पर भी पटकेंगे ड्रैगन को, खेल बाजार में मात देने को पंजाब के उद्ममियाें की रणनीति
पंजाब में खेल के मोर्चे पर भी ड्रैगन चीन को पटखनी देगा। खेल उद्योग मेें चीन को करारी मात देने के लिए पंजाब के खेल उद्यमियों ने खास रणनीति बनाई है।
जालंधर, [मनोज त्रिपाठी]। देश की सीमा पर ही नहीं, खेल के 'मैदान' मेंं भी चीन को पटखनी देने के लिए भारत तैयार है और तय कर लिया है कि खेल बाजार में ड्रैगन को धूल चटा देगा। खरीदारों ने तो अभी से चीन को चलता करने का मन बना लिया है, उद्यमियों ने भी इस चुनौती को अवसर में बदलते हुए ड्रैगन को मात देने के लिए रणनीति तैयार कर ली है।
चीन निर्मित खेल सामान के बहिष्कार के लिए उपभोक्ता तैयार, उद्यमी भी बना रहे रणनीति
चीन के खिलाफ बने माहौल का असर साफ दिख रहा है। जालंधर के बड़े खेल व्यापारी रविंद्र धीर बताते हैं कि लोग सामान खरीदने आते हैं तो पूछते हैं कि यह चीन का तो नहीं? लोग भारतीय उत्पाद को तरजीह देने लगे हैं। जीरकपुर स्थित स्पोट्र्स मॉल में लॉकडाउन के बाद अब लोग सिलेक्टिव परचेज कर रहे हैं और चीनी सामान से परहेज कर रहे हैं।
चीन से लड़ाई के लिए खेल सामग्री निर्माताओं ने कमर कसनी शुरू की
यहीं डिकेलथॉन स्टोर के मैनेजर अभिनव नंदा ने बताया कि लोगों में भारत निॢमत सामान के प्रति क्रेज काफी बढ़ रहा है। जालंधर के सीनियर बैडमिंटन खिलाड़ी रितिन खन्ना कहते हैं कि खिलाड़ी तो वैसे ही देश के सम्मान के प्रति संवेदनशील होते हैं। चीन के ब्रांड व खेल उत्पादों की खरीद कम होगी।
कच्चे माल का हल निकालना होगा
उद्यमियों का कहना है कि लोगों की मांग को पूरा करने के लिए काफी कसरत करनी पड़ेगी, लेकिन इसके लिए वे तैयार हैं। आत्मनिर्भर भारत का नारा उन्हें ताकत देगा। जालंधर व मेरठ के उद्योगपति आपस में जुड़कर इस पर काम कर रहे हैं। मौजूदा हालात में 80 फीसद खेल उद्योग चीन पर निर्भर है। सबसे बड़ी समस्या कच्चे माल की है। अगर कच्चा माल जर्मनी या अन्य यूपोरीय देशों से मंगवाते हैं तो लागत बढ़ जाएगी। कच्चे माल का विकल्प तलाशने की कवायद उद्योगपतियों ने करनी शुरू कर दी है।
----
लगाने लगे नए प्लांट
मेरठ के मवाना रोड व जालंधर के स्पोर्टस एंड सर्जिकल कांप्लेक्स सहित इंडस्ट्री एरिया में कई उद्यमियों ने फिटनेस उपकरण बनाने के नए प्लांट लगाने शुरू कर दिए हैं। जालंधर में खेल एसेसरीज व वॢदयां बनाने के काम में उद्योगपति आत्मनिर्भर हो चुके हैं। निर्यात भी शुरू हो गया है। मेरठ की ओलंपिक खेलों के आयोजन से जुड़े उत्पादों की बड़ी निर्यातक कंपनी नेल्को के निदेशक अंबर आनंद का कहना है कि अभी तक कच्चे माल के लिए हम चीन पर निर्भर रहते थे, लेकिन मौजूदा हालात एक बड़ा अवसर भी लाया है। शुरुआत में थोड़ी दिक्कतें हैं, लेकिन दो वर्ष में चीन के समानांतर आवश्यक सामानों की इंडस्ट्री खड़ी हो जाएगी।
--------
'' मेरठ व जालंधर का पांच हजार करोड़ का खेल उद्योग है। करीब एक हजार करोड़ की खेल सामग्री व कच्चे माल का आयात चीन से होता है। इन्हें अपने देश में बनाने की चुनौती जरूर है, लेकिन अवसर भी है। शुरुआत में कच्चा माल महंगा मिल सकता है और क्वालिटी कुछ कमजोर हो सकती है, लेकिन हम वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार हैं।
-पुनीत मोहन शर्मा, अध्यक्ष, ऑल इंडिया स्पोट्र्स एंड गुड्स मैन्युफेक्चरिंग एसोसिएशन।
------
'' सीआइआइ लगातार सरकार को रिपोर्ट दे रहा है कि चीन से क्या-क्या उत्पाद आ रहे हैं और उन्हेंंं लेकर क्या रणनीति तय करनी है। हमारे उद्योगपति भी तैयार हैं, लेकिन सरकार को उनके साथ पूरी गंभीरता से आना होगा।
- राहुल आहूजा, चेयरमैन सीआइआइ पंजाब।
------
'' विदेशों में शो रूम खोलने की पालिसी को सरकार को दोबारा गंभीरता से लागू करना होगा। तकनीकी तौर पर उद्योग को अपग्रेट करने व वित्तीय प्रबंधन में सरकार को सहयोग करना होगा। हम चीन की हवा टाइट कर देंगे।
- राकेश महाजन,एमडी बीडीएम स्पोर्टस।
------
चीन से खेल सामग्री व कच्चा माल का आयात (करोड़ रुपये में)
वर्ष-- आयात
2016-17------ 707
2017-18------ 960
2018-19----- 1075
( मेरठ से रवि तिवारी व चंडीगढ़ से बरींद्र सिंह रावत के इनपुट के साथ )