कांट्रेक्ट कर्मियों की हड़ताल के 7वें दिन चरमराई बस सेवा, जालंधर बस स्टैंड में सीटों को लेकर मारामारी
अमृतसर तरनतारन बटाला पट्टी गुरदासपुर समेत जम्मू के लिए निजी बसें उपलब्ध नहीं रहीं। महिलाओं बुजुर्गों एवं बच्चों को बसों में सवार होने के लिए भटकना पड़ा। दोपहर तो सरकारी बसें नदारद ही रहीं। केवल निजी बसों और अन्य राज्यों की बसों का ही आवागमन हुआ।
मनु पाल शर्मा, जालंधर। बसों में सफर करने वालों के लिए सप्ताह की शुरुआत भारी परेशानी पैदा करने वाली रही। पंजाब रोडवेज, पनबस एवं पीआरटीसी कांट्रेक्ट कर्मचारी यूनियन की हड़ताल के 7वें दिन यात्रियों की संख्या के मुताबिक बसें उपलब्ध नहीं हो सकीं। बस स्टैंड पर बसों में सवार होने के लिए यात्रियों में भारी खींचतान होती रही। दोपहर बाद जालंधर के शहीद-ए-आजम भगत सिंह इंटरस्टेट बस टर्मिनल में यात्रियों को बसों में सवार होने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा। अमृतसर, तरनतारन, बटाला, पट्टी, गुरदासपुर समेत जम्मू के लिए निजी बसें उपलब्ध नहीं रहीं। महिलाओं, बुजुर्गों एवं बच्चों को बसों में सवार होने के लिए भटकना पड़ा।
दोपहर तो सरकारी बसें नदारद ही रहीं। केवल निजी बसों और अन्य राज्यों की बसों का ही आवागमन हुआ। कांट्रेक्ट वर्कर्स यूनियन की जालंधर इकाई के अध्यक्ष गुरप्रीत सिंह ने कहा कि मुलाजिम लगातार सातवें दिन भी डिपों के गेट के समक्ष धरने पर बैठे हैं और अपनी मांगे न माने जाने के विरोध में सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं।
सोमवार को जालंधर बस स्टैंड पर लगी यात्रियों की भीड़।
अब सीएम ही दिला सकते हैं राहत
प्रदेश के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी मंगलवार को चंडीगढ़ में कांट्रेक्ट वर्कर्स यूनियन के साथ बैठक कर सकते हैं। इस बैठक के दौरान ही कांट्रेक्ट मुलाजिमों को राहत दिए जाने की घोषणा हो सकती है। कांट्रेक्ट मुलाजिम सेवाएं रेगुलर करने, सरकारी बसों की संख्या 10,000 करने, बराबर काम बराबर वेतन का सिद्धांत लागू करने एवं छोटे केस बनाकर फारिग कर दिए गए मुलाजिमों को दोबारा बहाल करने की मांग कर रहे हैं।
सितंबर में भी हड़ताल पर जा चुके हैं कांट्रेक्ट कर्मी
बता दें कि पंजाब रोडवेज में स्थायी सरकारी कर्मचारियों की संख्या बहुत कम होने के कारण बड़ी संख्या में सरकारी बसों का संचालन कर पाना रोडवेज प्रबंधन के लिए बड़ी चुनौती है। सीमित संख्या में ही बसें चल पा रही हैं। काेट्रेक्ट कर्मचारियों ने इससे पहले सितंबर में भी स्थायी किए जाने की मांग को लेकर करीब एक सप्ताह तक हड़ताल की थी। उस समय भी यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा था।