पंजाब रोडवेज की बसों की रफ्तार पर लगी लगाम, GPS लगा कंट्रोल रूम से रखी जा रही हर पल नजर
पंजाब रोडवेज के डिप्टी डायरेक्टर परनीत सिंह मिन्हास ने संयुक्त कंट्रोल रूम से बसों की रफ्तार समेत अन्य गतिविधियों पर नजर रखने की जारी की गई कवायद की पुष्टि की है। मिन्हास ने बताया कि बिना जीपीएस और स्पीड गवर्नर के किसी बस की भी पासिंग नहीं होगी।
जालंधर [मनुपाल शर्मा]। पंजाब में सरकारी और निजी बसों की रफ्तार पर नियंत्रण रखने समेत विभिन्न गतिविधियों पर संयुक्त कंट्रोल रूम से नजर रखी जाएगी। इसके लिए कंट्रोल रूम वर्किंग में आ चुका है। फिलहाल, सरकारी बसों को ही मॉनिटर किया जा रहा है। वजह यह है कि सरकारी बसों में तो जीपीएस इंस्टॉल करवाए जा चुके हैं, लेकिन अब तक सभी निजी बसों में जीपीएस नहीं लगवाए गए हैं। निजी बस ऑपरेटर को आगामी मार्च से पहले अपनी बसों में जीपीएस लगवाने के निर्देश दिए गए हैं।
पंजाब रोडवेज के डिप्टी डायरेक्टर परनीत सिंह मिन्हास ने संयुक्त कंट्रोल रूम से बसों की रफ्तार समेत अन्य गतिविधियों पर नजर रखने की जारी की गई कवायद की पुष्टि की है। मिन्हास ने बताया कि बिना जीपीएस और स्पीड गवर्नर के किसी बस की भी पासिंग नहीं होगी। इस वजह से निजी बस ऑपरेटर्स को हर हाल में जीपीएस और स्पीड गवर्नर इंस्टॉल करवाने ही होंगे। जीपीएस इंस्टॉल होने के बाद निजी बसें भी संयुक्त कंट्रोल रूम से जुड़ जाएंगी और बसों की रफ्तार समेत अन्य गतिविधियों को लगातार मॉनिटर किया जाएगा।
80 किमी से ज्यादा रफ्तार पर कंट्रोल रूम में पहुंच जाता है मैसेज
पंजाब रोडवेज की बसों में जीपीएस लगवाने के बाद बसों की रफ्तार और उनके रुकने के स्थान को पूरी तरह से मॉनिटर किया जा रहा है। बस की 80 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार बढ़ते ही कंट्रोल रूम में मैसेज पहुंच रहा है और ड्राइवर की जवाब तलबी भी की जा रही है।
निजी आपरेटर अब भी दौड़ा रहें बसें
हालांकि निजी बसों में फिलहाल जीपीएस लगे होने की कोई व्यवस्था नहीं है और प्रदेश की छोटी सड़कों के ऊपर भी निजी बस ऑपरेटर्स की सुपर डीलक्स बसें 100 किलोमीटर प्रति घंटा से भी ज्यादा रफ्तार से भागती हुई देखी जा सकती हैं।
बसों के अवैध परिचालन पर भी लग सकती है रोक
निजी बसों में जीपीएस इंस्टॉल होने के बाद प्रदेश में धड़ल्ले से जारी अवैध बस परिचालन के ऊपर भी नजर रखना संभव हो सकेगा। जीपीएस लगने के बाद बस कितने बजे और किस रूट पर रवाना हुई, इसकी सीधी जानकारी उपलब्ध हो सकेगी। हालांकि निजी बस ऑपरेटर्स से लगातार जीपीएस इंस्टॉल करवाना भी सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती होगा। यह भी संभव है कि निजी बस ऑपरेटर्स की तरफ से मात्र पासिंग के समय ही जीपीएस और स्पीड गवर्नर लगवाए जाएं और बाद में उतार दिए जाएं।