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मैं मर जाना इत्थे, मैंनू लै जाओ... PIMS में नवांशहर के कोरोना संक्रमित युवक ने तोड़ा दम, मां बोली- तीन दिन ऑक्सीजन नहीं मिली

मां कमलजीत कौर कहा कि बेटे ने उन्हें मैसेज भेजे कि उसे 3 दिन से ऑक्सीजन नहीं मिल रही। न ही उसे पानी दिया जा रहा है। उसका सही ढंग से इलाज नहीं हो रहा। उसे लग रहा है कि वह मर जाएगा उसे बचा लो।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Mon, 17 May 2021 01:31 PM (IST)Updated: Mon, 17 May 2021 01:31 PM (IST)
नवांशहर के 24 साल के गुरसेवक सिंह का पिम्स जालंधर में उपाचर किया जा रहा था। (सांकेतिक फोटो)

जालंधर, जेएनएन। मैंनू घर लै जाओ, मैं इत्थे मर जाना... यह कहते-कहते यहां पंजाब इंस्टीट्यूटी ऑफ मेडिकल साइंस (PIMS) में कोरोना वायरस संक्रमण से जूझ रहे मरीज ने दम तोड़ दिया। जान गंवाने वाले युवक की पहचान 24 साल के गुरसेवक सिंह के रूप में हुई है। वह नवांशहर का रहने वाला था। उसकी मां कमलजीत कौर ने अस्पताल के डाक्टरों पर उपचार में लापरवाही बरतने के आरोप लगाए हैं। मां का कहना है कि बेटे ने उन्हें मैसेज भेजे कि उसे तीन दिन से ऑक्सीजन नहीं दी जा रही। वहीं, पिम्स प्रबंधन सभी आरोप बेबुनियाद बताए हैं। प्रबंधन ने कहा कि मरीज को हाई ऑक्सीजन फ्लो पर रखा गया था।

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कमलजीत कौर ने बताया कि बेटे की कुछ दिन पहले तबीयत खराब होने के बाद नवांशहर में डॉक्टरों को दिखाया था। वहां जवाब दे दिया तो डीएमसी लुधियाना गए पर वहां बेड न मिलने पर उसे जालंधर के पिम्स दाखिल करवाया। जांच के बाद डॉक्टर ने कहा कि उनका बेटा कोरोना पॉजिटिव है। उसे निमोनिया भी हो गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि इलाज में कोताही बरतने की वजह से उसके बेटे की मौत हो गई। अस्पताल की तीसरी मंजिल सोमवार को बेटे ने दम तोड़ दिया। कमलजीत कौर कहा कि बेटे ने उन्हें मैसेज भेजे कि उसे 3 दिन से ऑक्सीजन नहीं मिल रही। न ही उसे पानी दिया जा रहा है। उसका सही ढंग से इलाज नहीं हो रहा। उसे लग रहा है कि वह मर जाएगा, उसे बचा लो। कमलजीत कौर ने जिला प्रशासन से लापरवाही बरतने पर पिम्स अस्पताल के खिलाफ कारवाई की मांग की है।

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पिम्स प्रबंधन ने आरोप बेबुनियाद बताए

पिम्स प्रबंधन ने कमलजीत कौर के सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया है। प्रबंधन ने कहा कि मरीज की तबीयत ज्यादा खराब थी। उसे हाई फ्लो आक्सीजन पर रखा गया था। इलाज के दौरान पूरी सुविधाएं दी जा रही थी। सोमवार को सुबह अचानक उनकी मौत हो गई। सरकार की नीतियों का पालन करते हुए शव स्वजनों को सौंप दिया गया।

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