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पंजाब के किसानों का मूंग और मक्का की तरफ रुख, गेहूं के कम झाड़ का घाटा करेंगे पूरा

पंजाब सरकार ने मूंग की फसल पर न्यूनतम समर्थन मूल्य देने का एलान किया है। यह गेहूं और धान के फसल चक्र में फंसे किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। जिला संगरूर में अब तक 1600 हेक्टेयर रकबे में मूंगी की काश्त हो चुकी है।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Mon, 16 May 2022 02:32 PM (IST)Updated: Mon, 16 May 2022 02:32 PM (IST)
पंजाब के किसानों का मूंग और मक्का की तरफ रुख, गेहूं के कम झाड़ का घाटा करेंगे पूरा
संगरूर के किसानों ने 1600 हेक्टेयर में मूंग की बिजाई की है। पुरानी फोटो

जागरण संवाददाता, संगरूर। गेहूं के कम झाड़ से घाटा खाए किसानों ने मूंग की खेती की तरफ रुख कर लिया है। साथ ही महंगी हुई तूड़ी के कारण किसान मक्का (पशु आहार) की बिजाई को अधिक तवज्जों दे रहे हैं। पंजाब सरकार की ओर से मूंग की फसल पर न्यूनतम समर्थन मूल्य देने का एलान भी किसानों के लिए फायदेमंद साबित होगा। जिला संगरूर में अब तक 1600 हेक्टेयर रकबे में मूंगी की काश्त हो चुकी है।

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अगर मक्का की बात करें तो जिले में पांच हजार हेक्टेयर से अधिक रकबे में किसानों ने मक्का की बिजाई कर दी है, जिसे पशु आहार के तौर पर इस्तेमाल किया जाना है। गौर हो कि जिला संगरूर व मालेरकोटला में पिछले वर्ष के मुकाबले 25 फीसदी कम गेहूं की आमद हुई है, जिसका असर सीधे तौर पर किसानों की आर्थिकता पर पड़ा है। इस घाटे को किसान मूंगी व मक्का की काश्त से कवर करने का प्रयास कर रहे हैं।

60 दिन में तैयार हो जाती है मूंग की फसल

गांव किला हकीमां के किसान कमल सिंह ने बताया कि उन्होंने इस बार 18 एकड़ रकबे में मूंग की काश्त की है। साठ दिन में फसल तैयार हो जाती है, जिसके बाद धान की बिजाई भी की जा सकती है। गेहूं का झाड़ इस बार कम मिला है, जिसके चलते काफी आर्थिक नुकसान पहुंचा है। अब मुख्यमंत्री भगवंत मान ने मूंंग पर न्यूनतम समर्थन मूल्य देने का एलान किया है। अगर किसानों को मूंग का बढ़िया मूल्य मिल जाता है तो किसानों का रुझान अगले वर्षों में और अधिक रकबा मूंग की तरह लाने का होगा। कमल ने कहा कि मूंग की फसल के अवशेष अगली फसल के लिए भी बेहद फायदेमंद होते हैं।

मूंग का बढ़िया रेट मिलने की उम्मीद

किसान हुसनपाल सिंह, केसर सिंह ने कहा कि गेहूं की फसल के झाड़ ने इस बार काफी निराश किया है। झाड़ कम निकलने के कारण उनका प्रति एकड़ भारी नुकसान हुआ है। ऐसे में उन्होंने विचार किया कि इस बार मूंग की फसल का बिजाई कर ली जाए ताकि कुछ बढ़िया रेट मिलने से गेहूं की फसल का नुकसान कवर हो जाएगा। इसके बाद वह धान की बिजाई देरी से करेंगे। बेशक सीधी बिजाई का समय निकल जाएगा लेकिन कम समय में पकने वाली धान की फसल लगाकर नुकसान से बचाव कर लेंगे। किसानों को मूंगी की बिजाई को अपनाना चाहिए, क्योंकि अगर सरकार इसका हर वर्ष कम से कम समर्थन मूल्य देगी तो इसका किसानों को भरपूर फायदा मिल सकता है।


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