पंजाब चुनाव 2022ः कांग्रेस की सूची में कैप्टन के नजदीकी भी एडजस्ट, डैमेज रोकने को रिपीट किए पुराने चेहरे
Punjab Assembly Election 2022 कैप्टन अमरिंदर सिंह की भाजपा के साथ नज़दीकियों के चलते कांग्रेस हाईकमान को इस बात का डर सता रहा था कि अगर उम्मीदवारों में भारी बदलाव किया जाता है तो फिर टिकट लेने की चाह में कांग्रेस छोड़ने वालों की संख्या खासी हो सकती थी।
मनुपाल शर्मा, जालंधर। विधानसभा चुनाव में अधिकतर मौजूदा विधायकों को ही दोबारा टिकट थमाना एवं परंपरा के विपरीत नामांकन शुरू होने से पहले ही उम्मीदवारों की सूची जारी कर देना कांग्रेस की डैमेज कंट्रोल नीति का हिस्सा बना नजर आ रहा है। कैप्टन अमरिंदर सिंह की भाजपा के साथ नज़दीकियों के चलते कांग्रेस हाईकमान को इस बात का डर सता रहा था कि अगर उम्मीदवारों में भारी बदलाव किया जाता है तो फिर टिकट लेने की चाह में कांग्रेस छोड़ने वालों की संख्या खासी हो सकती थी। अगर ऐसा होता तो इसका सीधा फायदा भाजपा को मिलता। बता दें कि शनिवार को कांग्रेस ने राज्य की 117 सीटों में से 86 पर अपने प्रत्याशियों के नाम की घोषणा कर दी है।
कांग्रेस के डर का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पार्टी के भीतर विद्रोह रोकने के लिए कैप्टन अमरिंदर सिंह के खासम खास रहे मंत्रियों एवं विधायकों तक को भी दोबारा से टिकट दिया गया है। इनमें ऐसे कई मंत्री भी शामिल हैं, जिन्हें विभिन्न आरोपों के चलते कैप्टन अमरिंदर सिंह के हटने के बाद कैबिनेट से बाहर चलता कर दिया गया था।
कांग्रेसी दिग्गज तर्क यह भी दे रहे हैं कि कैप्टन अमरिंदर सिंह के अलग हो जाने के बाद पंजाब कांग्रेस में कई पावर सेंटर बन गए थे। यही वजह रही कि कांग्रेस हाईकमान के सामने ही पंजाब के कई दिग्गज नेता उम्मीदवारों की सूची को लेकर आपस में भिड़ गए और उम्मीदवारों को लेकर तब कोई फैसला ही नहीं हो सका। यही वजह रही कि कांग्रेस हाईकमान उम्मीदवारों में भारी फेरबदल से गुरेज किया। मात्र कुछ सीटों के ऊपर ही उम्मीदवार बदले गए हैं।
कुछ वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं का तर्क है कि हाईकमान ने डैमेज रोकने के लिए विनेबिलिटी फैक्टर को भी नजरअंदाज किया है। कुछ मौजूदा विधायकों पर दोबारा विश्वास जताना कांग्रेस के लिए हानिकारक भी हो सकता है। वजह यह है कि पार्टी के कुछ मौजूदा विधायक अपने हलकों में विकास नहीं करवा सके हैं लोगों के काम नहीं हुए हैं और अन्य विभिन्न कारणों के चलते ऐसे विधायक अपने हलकों में भारी विरोध झेल रहे हैं। उनके पास बीते पांच वर्ष की उपलब्धि बताने को लेकर कुछ खास नहीं है। बहरहाल, कांग्रेस हाईकमान का डैमेज रोकने का यह फार्मूला चुनावी नतीजे दे पाने में कितना सफल हो पाएगा इसे लेकर तो अभी कुछ तय नहीं है, लेकिन अब इंतजार कांग्रेस की दूसरी सूची का हो रहा है।
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