पंजाब चुनाव 2022ः आसान नहीं आदमपुर से पवन टीनू की राह, सुखविंदर कोटली लगा सकते हैं बसपा के वोट बैंक में सेंध
वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने महिंदर सिंह केपी को प्रत्याशी बनाया था। उनका मूल निवास जालंधर में है। 2012 में कांग्रेस ने सतनाम सिंह कैंथ को चुनाव लड़वाया था। वह भी आदमपुर के नहीं थे। दोनों को टीनू ने आसानी से हरा दिया था।
मनुपाल शर्मा, जालंधर। आरक्षित विधानसभा क्षेत्र आदमपुर से लगातार दो चुनाव जीत चुके शिरोमणि अकाली दल (शिअद) प्रत्याशी पवन कुमार टीनू के लिए इस बार डगर शायद उतनी आसान नहीं होगी। दो बार बाहर से भेजे गए कांग्रेसी उम्मीदवारों को हराते चले आ रहे पवन कुमार टीनू को इस बार आदमपुर हलका के भीतर से ही कांग्रेस की चुनौती को झेलना होगा। कांग्रेस की तरफ से हाल ही में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को अलविदा बोल कर कांग्रेस में शामिल हुए सुखविंदर कोटली को आदमपुर से प्रत्याशी बनाया गया है, जो आदमपुर विधानसभा हलका के ही गांव कोटली थान सिंह से संबंधित हैं।
इससे पहले वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने महिंदर सिंह केपी को प्रत्याशी बनाया था। उनका मूल निवास जालंधर में है। वर्ष 2012 में कांग्रेस ने सतनाम सिंह कैंथ को चुनाव लड़वाया था। वह भी आदमपुर के मूल निवासी नहीं थे। दोनों प्रत्याशी आदमपुर में मजबूत पकड़ नहीं बना पाए और पवन कुमार टीनू लगातार दो चुनाव जीत गए। इस बार परिस्थितियां कुछ बदली हुई हैं। सुखविंदर कोटली आदमपुर से ही संबंधित हैं और हलके की तमाम समस्याओं से भी भलीभांति परिचित हैं। इसके अलावा वह आदमपुर से ही पूर्व में चुनाव लड़ चुके हैं और हलके की राजनीतिक परिस्थितियों के भी खासे जानकार हैं।
कोटली की बसपा के एक धड़े पर पकड़
सुखविंदर किसी समय बसपा में पवन कुमार टीनू के भी अत्यंत नजदीकी रह चुके हैं। वह पवन कुमार टीनू के राजनीतिक दांवपेंच को भी अच्छी तरह से जानते हैं। पवन कुमार टीनू इस बार अकाली दल और भाजपा के सांझे उम्मीदवार हैं लेकिन सुखविंदर कोटली अब भी आदमपुर समेत पंजाब बसपा के एक धड़े पर ही अपनी पूरी पकड़ रखते हैं। ऐसे में पवन कुमार टीनू को समूचे बसपा काडर का सहयोग मिलने पर भी सवालिया निशान है। बहरहाल चुनाव के नतीजे के लिए तो मार्च महीने तक का इंतजार करना होगा लेकिन यह तय है कि आदमपुर में कांग्रेस और अकाली-बसपा गठबंधन के मध्य मुकाबला काफी रोचक ही होगा।