International Women's Day: स्कूल में तैयार खाद किसानों को बेच रहीं बलराज कौर, आमदनी बच्चों पर हो रही खर्च
सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल कादियांवाली की प्रिंसिपल बलराज कौर ने तो स्कूल में कंपोस्ट खाद तैयार करने के लिए दो पिट बनवाए हैं।
जालंधर [अंकित शर्मा]। पंजाब में रासायनिक खादों के इस्तेमाल में पिछले सालों में कमी और फसल की पैदावार में बढ़ोतरी हुई है। पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के आंकड़े इसकी गवाही देते हैं। किसान मिट्टी की जांच के बाद जहां रासायनिक खादों का इस्तेमाल कम करने लगे हैं वहीं देसी खाद का प्रयोग भी बढ़ा है। किसानों का रुझान देख अब आम लोग भी कूड़े से खाद बनाने लगे हैं। सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल कादियांवाली की प्रिंसिपल बलराज कौर ने तो स्कूल में कंपोस्ट खाद तैयार करने के लिए पिट स्थापित करवाए हैं। तैयार होने वाली खाद किसानों को बेच दी जाती है और प्राप्त आय को स्कूल के वेलफेयर फंड में जमा कर दिया जाता है। यह फंड को स्कूल और विद्यार्थियों की बेहतरी के लिए खर्च किया जा रहा है।
करीब 56 मरले जमींन में बने कादियांवाली स्कूल को 2015 में ही सीनियर सेकेंडरी स्कूल के तौर पर अपग्रेड किया गया था। स्कूल परिसर में 75 से 80 पेड़ लगे हुए हैं। इनके कूड़े को इकट्ठा कर खाद बनाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। प्रिंसिपल बलराज कौर बताती हैं कि स्कूल में खाद की खरीदारी के लिए आस-पास के गांवों के किसान उनसे संपर्क करते हैं। यहां तक की सीटी इंस्टीट्यूट के प्रतिनिधि भी स्कूल से खाद लेकर जाते हैं। तैयार खाद को बेचने से होने वाली आय को स्कूल वेलफेयर अकाउंट में जमा किया जाता है।
यूं हुई पत्तों से खाद बनाने की शुरुआत
प्रिंसिपल बलराज कौर ने बताया कि उन्होंने जुलाई 2015 में बतौर प्रिंसिपल स्कूल में सेवाएं देनी शुरू कीं। स्कूल में रोजाना पेड़ पौधे के पत्ते गिरे पड़े नजर आते थे। एक दिन स्कूल का राउंड लगाते हुए ईको क्लब के तहत पिट बनाया हुआ नजर आया। जिसका इस्तेमाल तो नहीं किया जा रहा था लेकिन तभी विचार आया कि क्यों न कंपोस्ट खाद बनाना शुरू किया जाए। विज्ञान विषय की शिक्षिका के साथ चर्चा करने के बाद सहमति बनी और खाद बनाने के लिए उपयोगी सूखा कचरा, पत्ते, गोबर और केंचुए इकट्ठे करने पर काम चला। वन विभाग से पता चला कि केंचुए प्रति किलो के हिसाब से बेचे जाते हैं। फिर पता चला कि किसी स्कूल में केंचुए उपलब्ध हैं। वहां के प्रिंसिपल से बात की और उन्होंने केंचुए उपलब्ध करवा दिए। उन्होंने बताया कि पहली बार उनके स्कूल में बनी कंपोस्ट खाद किसान गुरदीप सिंह संघा ने पांच हजार रुपये में खरीदी।
दूसरा पिट भी किया तैयार
प्रिंसिपल बलराज कौर ने कहा कि गांव के लोगों खासकर किसानों को कंपोस्ट खाद के फायदे बताए गए। जिससे बाद वह स्कूल से खाद खरीदने लगे। अब कई बार ऐसे हालात हो जाते हैं कि खाद के लिए एडवांस में आर्डर बुक किए जाते हैं। इसका रिकार्ड रखकर आय को स्कूल वेलफेयर अकाउंट में जमा करवाया जाता है ताकि बच्चों की बेहतरी के लिए ही खर्च किया जा सके। अब नगर निगम के सहयोग से स्कूल में दूसरा खाद पिट भी तैयार किया गया और उसमें भी खाद बनाई जा रही है।
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