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लोकसभा चुनाव : सांसद चौधरी का चंडीगढ़ में शक्ति प्रदर्शन, शहर के एक विधायक ने बनाई दूरी

जालंधर लोकसभा सीट से टिकट को लेकर चौधरी संतोख सिंह ने एक बार फिर हुंकार भरी है। चंडीगढ़ में उनके समर्थन में कांग्रेस नेताओं का जमावड़ा लगा पर विधायक रिंकू गायब रहे।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Sat, 09 Feb 2019 10:47 AM (IST)Updated: Sat, 09 Feb 2019 10:47 AM (IST)
लोकसभा चुनाव : सांसद चौधरी का चंडीगढ़ में शक्ति प्रदर्शन, शहर के एक विधायक ने बनाई दूरी

शाम सहगल, जालंधर : लोकसभा चुनाव को लेकर शुक्रवार को चंडीगढ़ में हुई बैठक के दौरान सांसद चौधरी संतोख सिंह के पुत्र विक्रम चौधरी ने शक्ति प्रदर्शन किया। खास बात यह रही कि जालंधर पश्चिम के विधायक सुशील रिंकू ने बैठक से दूरी बनाए रखी। राजनीतिक गलियारों में रिंकू की दूरी रहस्य बनी हुई है। चौधरी की कोशिश थी कि वह आज चंडीगढ़ में हुई बैठक में ज्यादा से ज्यादा विधायकों को साथ ले जाकर हाईकमान तक यह संदेश पहुंचा सकें कि उनके साथ सभी कांग्रेसी विधायक हैं। बता दें कि विधायक सुशील रिंकू ने भी जालंधर सीट से ही दावेदारी जताई है। हाल में अकाली दल का दामन छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए पूर्व मंत्री सरवन सिंह फिल्लौर ने भी दावेदारी की थी।

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शुक्रवार को चंडीगढ़ में प्रत्याशियों की दावेदारी को लेकर पंजाब प्रदेश कांग्रेस की प्रदेश प्रभारी आशा कुमारी और हरीश चौधरी ने दावेदारों से मुलाकात की। बताया जा रहा है कि चंडीगढ़ पहुंचे नेताओं ने पहले यूटी गेस्ट हाउस में लंच किया व फिर बैठक के लिए रवाना हुए। इसमें चौधरी विक्रमजीत के साथ विधायक राजिंदर बेरी, विधायक लाडी शेरोवालिया, विधायक चौधरी सुरिंदर सिंह, विधायक बावा हैनरी के अलावा जगबीर बराड़, जिला कांग्रेस के शहरी प्रधान बलदेव सिंह देव और देहाती प्रधान एसएस लाली सहित कई नेता शामिल थे। बैठक के दौरान सभी ने चौधरी संतोख सिंह की दावेदारी का समर्थन किया। वहीं, विधायक सुशील रिंकू ने बैठक से दूरी बनाए रखी।
 

वाल्मीकि समाज को टिकट देने की भी चर्चा

बैठक में इस बात पर भी विचार किया गया कि इस बार कांग्रेस की ओर से वाल्मीकि समाज से उम्मीदवार उतारा जाए या रविदास समाज से। चौधरी, रिंकू व सरवन सिंह फिल्लौर रविदास समाज से हैं। जालंधर की सीट पर वाल्मीकी मतदाताओं का वोट भी लाखों में है। वाल्मीकि समाज अभी तक हुए चुनावों में रविदास समाज के साथ एकजुट होकर मतदान नहीं करता है। यही वजह है कि कुछ नेताओं ने कहा कि वाल्मीकि समाज से भी उम्मीदवार मैदान में उतारने पर विचार किया जा सकता है। हालांकि अभी तक इस बाबत पार्टी स्तर पर कोई फैसला नहीं किया गया है। जालंधर सीट आरक्षित है। ऐसे में इसलिए कांग्रेस की कोशिश है कि किसी भी प्रकार उसे मैदान में उतारा जाए जिसकी वाल्मीकि समाज में भी गहरी पैठ हो।


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