वेस्ट मैनेजमेंट में आगे नहीं बढ़ पाया शहर, स्वच्छता रैंकिग में चढ़ना मुश्किल होगा
नगर निगम जिन सेगमेंट में पिछले चार साल से पिछड़ रहा है उन सेगमेंट में निगम अब भी वहीं खड़ा है।
जागरण संवाददाता, जालंधर
केंद्र सरकार के स्वच्छता सर्वे में जालंधर शहर की रैंकिग में इस बार भी कोई ज्यादा बड़े सुधार की गुंजाइश नहीं है। नगर निगम जिन सेगमेंट में पिछले चार साल से पिछड़ रहा है उन सेगमेंट में निगम अब भी वहीं खड़ा है।
साल 2018 में जालंधर शहर की रैंकिग 215 पर थी जो साल 2019 में 166 पर पहुंच गई। नगर निगम ने सर्विस लेवल सेगमेंट में सुधार किया था लेकिन अब उस सेगमेंट में सुधार की गुंजाइश कम है। अब आगे बढना है तो कूड़े के प्रबंधन पर ही फोकस करना होगा। यह इस बार तो संभव नहीं है, निगम ने वेस्ट मैनेजमेंट के लिए जो उपाए किए हैं उनके नतीजे आने में छह महीने और लग जाएंगे। स्वच्छता सर्वे 2020 का फाइनल सर्वे चार जनवरी से शुरू हो रहा है। यह टीमें शहर के अलग-अलग सेक्टर में सफाई, सेग्रीगेशन, वेस्ट कलेक्शन की प्रक्रिया को सुचारु बनाए रखने के लिए की गई कोशिशों को मूल्याकंन करेगी। साल 2020 के स्वच्छता सर्वे के लिए केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने पैटर्न में बदलाव कर दिया था। इस बार फोकस था कि पिछले चार साल में जो काम किए हैं वह पूरा साल ठीक तरह से हुआ या नहीं और इसकी मॉनिटरिंग कैसे की गई। सर्वे के पैटर्न से यह तय करना था कि नगर निगम जो काम कर रहा है उसमें कितनी निरंतरता है। इस बार सर्वे के अंक पांच हजार से बढ़ा कर छह हजार किए गए हैं।
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वेस्ट मैनेजमेंट में फेल होने के तीन कारण.......
1. लोगों को सेग्रीगेशन समझाने पर करोड़ों खर्च, नतीजा जीरो।
नगर निगम ने स्वच्छ भारत मिशन के तहत लोगों को यह समझाने पर करोड़ों रुपये खर्च दिए हैं कि कूड़े को सेग्रीगेट करना है। घरों में गीले और सूखे कूड़े को अलग-अलग रखना है। जो रेहड़े वाले कूड़ा उठा रहे हैं उन्हें भी गीला और सूखा कूड़ा अलग-अलग देना है लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। लोगों का इसमें सहयोग नहीं मिल रहा। ऐसा नहीं है कि लोग यह जानते नहीं है। जानते हैं तो पर अमल नहीं कर रहे। यही निगम के लिए सबसे बड़ी समस्या बन गया है।
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2. कूड़ा उठाने वाले भी अमल नहीं कर रहे
नगर निगम ने वर्कशॉप लगाकर रेहड़ी वालों को समझाया कि वह घरों से गीला और सूखा कूड़ा अलग-अलग लें। इसके लिए पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर चार वार्डों में डस्टबिन वाले रेहड़े बांटे गए ताकि गीले और सूखे कूड़े को अलग-अलग रखा जा सके। लेकिन अभी तक इसमें भी सफलता नहीं मिल रही है। कई रेहड़े वालों ने डस्टबिन अलग रख दिए हैं और पुराने तरीके से मिक्स कूड़ा उठा रहे हैं। निगम के लिए रेहड़ों वालों को सेग्रीगेशन के मिशन के लिए तैयार करना होगा।
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3. कूड़े का खत्म करने का पिट्स प्रोजेक्ट अभी कागजों में
वेस्ट मैनेजमेंट में तीसरा और आखरी पड़ाव कूड़े को खत्म करना है। इसके लिए निगम ने अब पिट्स प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया है। डीसेंट्रलाइज सिस्टम के तहत शहर में कई जगह पिट्स बनाए जाने हैं। अभी 21 जगह तय की गई है। नंगलशामा में पायलट प्रोजेक्ट ही कोर्ट केस में फंस गया है। लोगों के विरोध के बावजूद निगम इस पर काम करने की तैयारी में है लेकिन इस प्रोजेक्ट को अभी कागजों से निकल कर जमीन पर आने में छह महीने का समय लग जाएगा। इसके अलावा निगम 2-2 टन के छोटे प्लांट भी लगाने की तैयारी में है। निगम ने कूड़े 40 बल्क जेनरेटरों से उनके परिसर में प्लांट लगवा लिए हैं लेकिन इसके अच्छे नतीजे के लिए सख्ती भी करनी होगी। पिट्स और छोटे प्लांटों के जरिए करीब रोजाना 400 टन गीले वेस्ट को खतम करना भी संदेह के घेरे में है।
-------------- शहर को प्लास्टिक मुक्त भी करना होगा
स्वच्छता सर्वे के लिए शहर को प्लास्टिक मुक्त भी करना होगा। सूखे कूड़े में से प्लास्टिक को अलग निकालकर उसे रिसाइकल करने के लिए भेजना है। मल्टी नेशनल कंपनियों के मल्टी लेयर प्लास्टिक पैकिग को कंपनियों को वापस लेने के सिस्टम बनाना होगा। कंस्ट्रक्शन एंड डोमेस्टिक प्लांट के लिए प्लांट लगाना होगा। ई-वेस्ट को भी रिसाइकिल करने का इंतजाम करना होगा। खरतनाक वेस्ट जिसमें सेनेटरी नेपकिन भी शामिल को भी मैनेज करने का इंतजाम जरूरी है।
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तीन चरणों में बांटा सर्वे
केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने स्वच्छता सर्वे पर पूरा साल कम करने के लिए इसे तीन चरणों में बांट दिया था। यह तीन चरण अप्रैल से जून, जुलाई से सितंबर, अक्टूबर से दिसंबर हैं। यह इसलिए किया गया ताकि नगर निगम और काउंसिल पूरा साल स्वच्छता पर काम करें। इसके लिए हर तीन महीने की रिपोर्ट मंगवाई गई और रैंकिग के नंबर भी इन चरणों में बराबर बांटें गए। फाइनल सर्वे में तिमाही सर्वे के नंबर जुड़ने हैं।
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गलत जानकारी देने पर कटेंगे नंबर
तिमाही सर्वे के आधार पर केंद्र निगमों की असेस्मेंट करेगा। अगर इसमें कोई गलत जानकारी दी जाती है तो सर्वे के नंबर कटेंगे। इसलिए निगम को जो भी जानकारी देनी है वह सही देनी होगी। नगर निगम ने ऑनलाइन डाटा अपलोड कर दिया है। इसी डाटा को आधार बनाकर टीमें जालंधर आएंगी। यह डायरेक्ट ऑब्जर्वेशन है और टीमें जो देखेंगी उसके नंबर भी मिलेंगे।