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कर्फ्यू के कारण एक हजार से अधिक नाके, फ‍िर भी नहीं रुक रही शराब की तस्करी

पिछले करीब डेढ़ महीने से कर्फ्यू के कारण जिले में 1000 से अधिक नाके लगे हैं फिर भी शराब की तस्करी रुकने का नाम नहीं ले रही।

By Sat PaulEdited By: Published: Mon, 11 May 2020 01:19 PM (IST)Updated: Mon, 11 May 2020 01:19 PM (IST)
कर्फ्यू के कारण एक हजार से अधिक नाके, फ‍िर भी नहीं रुक रही शराब की तस्करी
कर्फ्यू के कारण एक हजार से अधिक नाके, फ‍िर भी नहीं रुक रही शराब की तस्करी

जालंधर,[मनोज त्रिपाठी]। कोरोना वायरस का संक्रमण रोकने के लिए कर्फ्यू लागू है। इस बीच जिले में शराब तस्करी व शराब की अवैध सप्लाई बदस्तूर जारी है। शराब ठेकों के ड्रा निकाले जाने के बाद भी सरकारी आदेशों के चलते अप्रैल में ठेके बंद रहे। फिर भी कुछ फीसद लोगों को छोड़कर शायद ही कोई ऐसा शराब का शौकीन होगा, जिसे इसके लिए ज्‍यादा जहमत उठानी पड़ी हो। हैरानी की बात है कि पिछले करीब डेढ़ महीने से कर्फ्यू के कारण जिले में 1000 से अधिक नाके लगे हैं, फिर भी शराब की तस्करी रुकने का नाम नहीं ले रही। यह पूरा खेल एक्साइज विभाग और पुलिस की मिलीभगत के चलते हुआ। इस पूरे मामले की पोल तब खुल गई जब अधिकारिक तौर पर ठेके खोलने से एक दिन पहले मिठापुर में सड़क हादसे में शराब तस्कर की मौत हो गई। शव के पास पड़ी बोतलें कार्यप्रणाली की हकीकत बयां कर रही थीं।

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कहां गई सैंपलों की रिपोर्ट

कोरोना ने जालंधर के लोगों को भी दहशत के साए में ले रखा है। बीते सप्ताह तक पंजाब में कोरोना के सबसे ज्यादा पॉजिटिव केस भी जालंधर में ही थे। इसके बाद अचानक हजूर साहिब से आए श्रृद्धालुओं में सैकड़ों की संख्या में पॉजिटिव केस सामने आने लगे और जालंधर का ग्राफ सुधरता गया। इन सबके बीच जालंधर के 134 संदिग्ध मरीजों के सैंपलों की रिपोर्ट कहां गुम हो गई, इसका जवाब अभी तक न तो सेहत विभाग दे पा रहा है और न ही जिला प्रशासन। शहर में इसकी चर्चा है कि ये रिपोर्ट गुम नहीं हुई, बल्कि गुम करवाई गई है। माना जा रहा है कि पॉजिटिव केस आने के चलते कुछ संस्थानों की इमेज खराब हो रही थी। इसीलिए आला अधिकारियों की मेहरबानी से 134 संदिग्ध मरीजों की रिपोर्ट ही गुम करवा दी गई। इस हेराफेरी की चर्चा में कितनी सच्चाई है, ये तो वक्त ही बताएगा।

विधायक को सुलझाना पड़ा मामला

जालंधर के सेंट्रल हलके के विधायक राजिंदर बेरी के काफी समर्थक हैं। कई जगह तो ये समर्थक गुटों में बंटे नजर आते हैं। इन्हीं में से दो गुट पिछले दिनों वॉट्सएप ग्रुप में अश्लील मैसेज भेजने के मामले में आमने-सामने हो गए और मुसीबत विधायक जी की बढ़ गई। जालंधर के गुरु नानकपुरा इलाके के एक सामाजिक नेता ने दर्जनों लोगों को वॉट्सएप ग्रुप में जोड़ा था। इस ग्रुप में एक सदस्य ने अश्लील फोटो के साथ मैसेज भेज दिया। इसके बाद ग्रुप में बवाल मच गया। कई सदस्यों ने तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई के लिए भी एकमत कर लिया था। इतना ही नहीं, कुछ सदस्यों ने तो मामले की पुलिस में शिकायत तक कर दी। इतना सब होने के बाद मामला विधायक जी की जानकारी में आया। दोनों ही गुट उनके समर्थक थे, इसलिए उन्होंने किसी तरह बीच-बचाव करते हुए लिखित में माफी मंगवाकर मामला शांत करवाया।

नंबर गेम में उलझा प्रशासन

कोरोना को लेकर अब सरकार व प्रशासन नंबर गेम में उलझ गए हैं। केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय की तरफ से राज्य सरकारों को स्पष्ट तौर पर आदेश जारी किए गए हैं कि कोरोना को लेकर किए गए लॉकडाउन के बाद जो लोग वहां पर फंस गए हैं, उन्हें उनके गृह राज्यों में वापस भेजा जाए। इस आदेश में यह भी स्पष्ट कहा गया है कि जो लोग स्थाई या अस्थाई तौर पर फैक्ट्रियों व विभिन्न संस्थानों में नौकरी करके वहां रह रहे हैं उन्हें न भेजा जाए। धीरे-धीरे मरीजों की संख्या बढ़ते ही जिला प्रशासन ने इस आदेश का फायदा उठाना शुरू कर दिया। अब रोजाना दो या तीन श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाकर हजारों की संख्या में श्रमिकों को उनके राज्यों में वापस भेजा जा रहा है। यह सारी कवायद इसलिए है कि अगर कहीं कोरोना का संक्रमण ज्यादा फैलता है तो मरीजों की संख्या तो कम ही रहेगी। 

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