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कुत्तों की देखभाल के लिए धड़कता है अमृतसर के पीयूष का दिल, सर्दी में अनाेखे अंदाज में करते हैं देखभाल

अमृतसर में दुकान चलाने वाले पीयूष गुप्ता को कुत्तों से खास लगाव है। वह गली में घूमने वाले कुत्तों को आश्रय दे रहे हैं। कुत्तों की देखभाल पर प्रतिदिन एक हजार रुपये तक का खर्च अपनी जेब से करते हैं।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Thu, 21 Jan 2021 12:55 PM (IST)Updated: Thu, 21 Jan 2021 01:54 PM (IST)
कुत्तों की देखभाल के लिए धड़कता है अमृतसर के पीयूष का दिल, सर्दी में अनाेखे अंदाज में करते हैं देखभाल
कुत्तों की देखभाल करते पीयूष गुप्ता। जागरण

अमृतसर [हरदीप रंधावा]। हाड़ कंपाने वाली सर्दी में इंसान हो या फिर जानवर, दोनों ही खुद को इससे बचाने का प्रयास करते हैं। इंसान कमाने की शक्ति रखता है। इसके लिए वह गर्मी व सर्दी में अपनी सुरक्षा करता है। जानवर दूसरों पर ही निर्भर रहते हैं। ऐसे में लावारिस कुत्तों को सर्दी के मौसम में अपने आप को बचाना बेहद मुश्किल होता है। ऐसे जानवरों की देखभाल के प्रति कम ही लोगों का दिल धड़कता है। वहीं जलियांवाला बाग स्थित गुप्ता पंजाबी जुत्ती वाली दुकान चलाने वाले पीयूष गुप्ता का ऐसेे कुत्तों को देखकर मन पसीज जाता है।

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पीयूष गुप्ता ने अपनी दुकान में दर्जन के करीब कुत्तों को रख रखा है। वह इनको कालू, रॉकी, बंटी, माइकल, जूली, ब्रोनो, क्रीमी और बकरी के नाम से बुलाते हैं। कुत्ते भी नाम से बुलाते ही तुरंत उनके पास दौड़ आते हैें। वह इन कुत्तों की देखभाल के साथ खाने-पीने से लेकर सर्दियों में कंबल व तकिया आदि की व्यवस्था करते हैं।

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पीयूष गुप्ता का कहना है कि बचपन से ही उन्होंने पिता राजिंदर गुप्ता व अल्का गुप्ता के जानवरों के प्रति प्रेम को देखा है। वह सर्दियों में उनकी देखभाल के लिए खासे चिंतित रहते हैं। इसके चलते उन्होंने अपनी दुकान पर कुत्तों को सर्दी से बचाने के लिए कंबल व तकिया मुहैया करवाने के साथ-साथ उन्हें सुबह, दोपहर, शाम व रात को खाना खिलाते हैं। उसके बाद दुकान बंद करते हैं।

देश ही नहीं विदेशी पर्यटक सुनते हैं कहानी

पीयूष ने बताया कि साल 2006 के करीब उन्होंने अपने घर में एक पालतू कुत्ता रखा था। इसका नाम ब्रोनो था। साल 2019 के सितंबर महीने तक ब्रोनो उनके साथ रहते-रहते घर के सदस्य की तरह महसूस होने लगा था। उन्होंने ब्रोनो के साथ हुए लगाव के बाद दुकान के आसपास घूमने वाले कुत्तों को अपनाना शुरू किया था। अब उनकी दुकान पर इलाके के आठ-दस कुत्ते सुबह से लेकर शाम तक रहते हैं। इन्हें सुबह, दोपहर व शाम के साथ-साथ रात को खाना खिलाकर उनकी देखभाल की जाती है। देश ही नहीं विदेश से हर रोज शहर में आने वाले पर्यटक इंटरनेट मीडिया के जरिए दर्जन के करीब दुकान पर कुत्तों की वायरल हुई तस्वीरों को देखकर विशेष तौर पर उनकी दुकान पर पहुंचकर दुकान पर सारा दिन रहने वाले कुत्तों की कहानी सुनते हैं।

इलाके में रात को रखवाली भी खूब करते हैं

पीयूष ने बताया दुकान पर रहने वाले कुत्तों की नसबंदी भी करवा रखी है। ये कुत्ते किसी को परेशान नहीं करते हैं। यह रात में क्षेत्र की रखवाली करते हैं। दुकान पर काम करने वाले विक्की, लव सचिन, बिट्टू और मनजिंदर सिंह ने लाकडाउन में भी आकर कुत्तों की पूरी देखभाल की है।

देखभाल पर हर रोज खर्च होते हैं एक हजार रुपये

पीयूष गुप्ता ने बताया कि दुकान पर कुत्तों की सेवा होती देखकर ग्राहक उन्हें मदद के रूप में पैसा देना चाहते हैं, मगर उन्होंने कभी भी किसी कोई राशि दान के रूप में स्वीकार नहीं की, जबकि कुत्तों की सेवा करते देखकर उनकी मदद करने के लिए लोग खरीददारी जरूर ज्यादा करते हैं। उन्होंने बताया कि हर रोज एक हजार के करीब उनका खर्च होता है, जो कि उन्हें महसूस नहीं होता है। वीआइपी आवागमन होने पर भी उनकी दुकान पर रहने वाले कुत्तों से कोई दिक्कत नहीं होती है। सिक्योरिटी के कहने के मुताबिक कुत्तों को दुकान के अंदर ही रखा जाता है, ताकि किसी को परेशानी न हो।

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